अंधविश्वास को बढ़ावा देने का आरोप सिर्फ हिंदू धर्म के बाबाओं पर ही क्यों? बल्कि देश के अन्य धर्मों के बाबाओं पर अंधविश्वास को बढ़ावा देने का आरोप क्यों नहीं लगाया जा सकता, ऐसा क्यों?
Why only the Babas of Hinduism are accused of promoting superstition?




NBL, 20/01/2023, Lokeshwer Prasad Verma, Raipur CG: Why only the Babas of Hinduism are accused of promoting superstition? Rather, why can't the Babas of other religions of the country be accused of promoting superstition, why so?
आदि अनादि काल से ये अंधविश्वास रूढ़िवादी का रीति रिवाज सदियों से चले आ रहा है, केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के और देशों में भी ये परम्परा चले आ रहा है, जिसको आजके आधुनिक युग के विज्ञान मिटा नहीं पा रहे हैं, क्योकि इस अंधविश्वास का मुख्य ताकत है, दुख तखलिफो का निवारण जो आजके आधुनिक विज्ञान के द्वारा जड़ से नहीं मिटा पा रहे हैं, जो लीगल है, जो कई प्रकार के शोध और अध्ययन के बाद भी लोगों के दुख तकलीफो का निवारण करने मे असमर्थ है, यह विज्ञान दिन हिन गरीब लोगों के लिए बहुत ही महंगी है, जो ये अपना इलाज इन विज्ञान के माध्यम से करा पाए, यही है सबसे बड़ी समस्या।
आज आप सरकारी या बड़ा प्राइवेट अस्पताल में ईलाज कराने मरीज को ले जाते हैं, और मरीज का तबियत मे सुधार नहीं आता तो डाक्टर साहब क्या आपको बोलते है, अब ईश्वर ही इनके रक्षा कर सकते हैं, हम तो अपने विज्ञान का हर फार्मुला आजमा के देख लिया इस मरीज के उपर कोई असर ही नहीं दिख पा रहे हैं, तो हम क्या करें, अब इस मरीज का भगवान ही भला कर सकते हैं, यही एक प्रार्थना हम जरूर कर सकते हैं उस ईश्वर से, तो आप इस डिग्री धारी डाक्टर के इन शब्दों को आप क्या बोलना चाहेंगे अंधविश्वास या विज्ञान? यह उन अंधविश्वास व रूढ़िवादी को रोकने वाले संस्था के पास कौन सा नियम कानुन है ऐसे बोलने वाले डाक्टर साहब के लिए। जो भगवान के भरोसे है इतना बड़ा लाइसेंसी डिग्री धारी डाक्टर, जो डाक्टर मरीज से मोटी रकम रुपिया लेकर भी भगवान के भरोसे बेठे है,
तो देश दुनिया के बाबा लोग भी तो भगवान के भरोसे बेठे है, जो अपने अनुयायीयों से मोटी रकम रुपिया भी नहीं लेता केवल भगवान का नाम लेकर उनके दुख तकलीफो को हरने का उस दुखी इंसान को भरोसा देते हैं, पाजेटिव एनर्जी देकर जो उस दुखी इंसान के लिए इलाज़ है और यही उसके खराब तबियत या उनके खराब स्थिति मे सुधार कर देती है, और बाबा जी का जय जयकार होना शुरु हो जाती है, पाजेटिव एनर्जी देना भी तो विज्ञान है। चाहे इलाज करने वाले विज्ञान से हो या भगवान के भरोसा इलाज करने वाले बाबा या संत या फकीर जो भी हो जिस भी धर्म के हो, लेकिन इस धरती के जीव जन्तु का इलाज विज्ञान और धर्म दोनों करते हैं, और इसे झूठलाया नहीं जा सकता।
हमारे न्यूज नया भारत लाईव अंधविश्वास या रूढ़िवादी सोच का बिल्कुल भी समर्थन नहीं करता है। ये जो आर्टिकल लिखा गया है, हमारा कहना ये है जो आज केवल हिन्दू धर्म के बाबाओ को रूढ़िवादी या अंधविश्वास फैलाने का दोषी मानते हैं, यह निर्णय लेना व्यक्तिगत एक हिंदू धर्म के लोगों के आस्था विश्वास को ठेस पहुँचाना है, बल्कि देश में अन्य धर्मो के द्वारा भी ये अंधविश्वास फैलाया जा रहा है, जिसको भी रोकना अति आवश्यक है, देश के कानून को। जो अनैतिक ढंग से लोगों को गुमराह कर रहे हैं, या उनसे रुपिया ले रहे हैं या अनलीगल तरिका से इलाज कर या दवाई बेच रहे हैं, ऐसे लोगों के उपर सख्त से सख्त कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए।