भारतीय प्रतिनिधिमंडल की पहली आधिकारिक अफगानिस्तान यात्रा चर्चा का विषय है, भविष्य में अफगानिस्तान की नई तालिबान सरकार को मान्यता से जोड़ा जा रहा है, लेकिन भारत सरकार का रुख अभी स्पष्ट नहीं है.

The first official visit of the Indian delegation to Afghanistan

भारतीय प्रतिनिधिमंडल की पहली आधिकारिक अफगानिस्तान यात्रा चर्चा का विषय है, भविष्य में अफगानिस्तान की नई तालिबान सरकार को मान्यता से जोड़ा जा रहा है, लेकिन भारत सरकार का रुख अभी स्पष्ट नहीं है.
भारतीय प्रतिनिधिमंडल की पहली आधिकारिक अफगानिस्तान यात्रा चर्चा का विषय है, भविष्य में अफगानिस्तान की नई तालिबान सरकार को मान्यता से जोड़ा जा रहा है, लेकिन भारत सरकार का रुख अभी स्पष्ट नहीं है.

NBL, 08/06/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. The first official visit of the Indian delegation to Afghanistan is the subject of discussion, the new Taliban government of Afghanistan is being linked to recognition in the future, but the position of the Indian government is not yet clear.

विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव जेपी सिंह के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का अफगानिस्तान का पहला आधिकारिक दौरा चर्चा का विषय है। इसे भविष्य में अफगानिस्तान की नई तालिबान सरकार को मान्यता देने से जोड़ कर देखा जा रहा है, पढ़े विस्तार से... 

हालांकि सच्चाई यह है कि फिलहाल भारत के एजेंडे में यह मुद्दा शामिल नहीं है। इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय से पहले भारत तालिबान सरकार को कुछ अहम मुद्दों पर ठोक बजा कर देखना चाहता है।

सरकारी सूत्र ने इस संबंध में कहा, अफगानिस्तान सामरिक समेत कई अन्य कारणों से भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण मुद्दा भारत के खिलाफ आतंकवाद के दुरुपयोग का है। फिर बीते शासनकाल में भारत ने अफगानिस्तान के विकास के लिए बड़ा निवेश किया है। ऐसे में सवाल विश्वास कायम करने का भी है। जिसकी जिम्मेदारी तालिबान की है। जब तक इन मुद्दों पर भारत को सकारात्मक और ठोस संकेत नहीं मिलेंगे, तब तक तालिबान सरकार को मान्यता देने का सवाल नहीं उठता। भरोसे की जमीन मजबूत होने के बाद भारत वहां काउंसलर सेवा फिर से बहाल करने के बारे में सोच सकता है।

तालिबान से मिल रहे सकारात्मक संकेत... 

अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही तालिबान भारत को लगातार सकारात्मक संकेत दे रहा है। हाल में तालिबान शासन ने मानवीय सहायता के लिए कई बार भारत की तारीफ की है। सरकारी सूत्र के मुताबिक मुख्य समस्या भरोसे की है। तालिबान शासन के सकारात्मक संदेश के कारण ही सत्ता परिवर्तन के दौरान पहले दोहा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की तालिबान प्रतिनिधिमंडल से बातचीत हुई थी। फिर बीते साल अगस्त में दीपक मित्तल ने तालिबान के शीर्ष नेता मोहम्मद अब्बास स्टैनिकजई से बातचीत की थी। बीते साल अक्तूूबर में मॉस्को में विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव जेपी सिंह ने तालिबान शासन के उप प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनफी के साथ बातचीत की थी। अब लंबे अरसे बात भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान का दौरा किया है।

पाक-चीन को फ्री हैंड नहीं देना चाहता भारत.. 

अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता देने के मामले में पाकिस्तान और चीन सबसे आगे रहा था। भारत को आशंका है कि पाकिस्तान एक बार फिर से अफगानिस्तान का उपयोग भारत में आतंकवाद को भड़काने के लिए कर सकता है। सरकारी सूत्र ने कहा, यह सच है कि सीमा समेत कई मुद्दों पर तालिबान सरकार का पाकिस्तान के साथ मतभेद है। मगर यह स्पष्ट नहीं है कि इन मतभेदों का भविष्य क्या होगा। जहां तक भारत का सवाल है कि सामरिक, आर्थिक समेत कई मामले में महत्वपूर्ण होने के कारण वह अफगानिस्तान में चीन और पाकिस्तान को फ्री हैंड नहीं देना चाहता।

अफगानिस्तान ने काउंसलर सेवा शुरू करने का किया अनुरोध.. 

अफगानिस्तान की तालिबान सरकार चाहती है कि भारत सरकार उसे मान्यता दे। इस कड़ी में भारत सबसे पहले बंद पड़ी काउंसलर सेवा बहाल करे। जबकि भारत बिना ठोस भरोसे के इस दिशा में आगे बढ़ना नहीं चाहता। भारत के लिए राहत की बात यह है कि अफगानिस्तान के कई पड़ोसी देशों मसलन ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान से उसके बेहतर कूटनीतिक रिश्ते हैं।

तालिबान ने गजनी में दो शिया मौलवियों के दफ्तर बंद किए.... 

तालिबान ने सोमवार को गजनी में दो शिया मौलवियों अयातुल्ला मोहम्मद इशाक फैयाज और अयातुल्ला मोहकक काबुली के दफ्तरों को बंद कर दिया है। तालिबान ने दोनों के दफ्तरों का बार-बार निरीक्षण किया और उनके अफसरों को गिरफ्तार कर लिया। यह घटनाक्रम तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद द्वारा अफगानिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर अमेरिकी वार्षिक रिपोर्ट को खारिज करने के बाद आया है।

इससे पहले तालिबान ने दर्जनों शिया मस्जिदों में ईद की नमाज अदा करने पर रोक लगा दी थी। बता दें, तालिबान ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय की वैश्विक धार्मिक आजादी रिपोर्ट की आलोचना करते हुए कहा कि अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों के धार्मिक व नागरिक अधिकारों की रक्षा की जाती है। बता दें कि अफगानिस्तान में पिछले दिनों शिया मस्जिदों पर हमले बढ़े हैं जिनमें कई शिया धर्मावलंबी मारे गए हैं।

तालिबान शासन से संबंध को लेकर भारत के अपने हित : अमेरिका.. 

अफगानिस्तान पर कट्टरपंथी संगठन तालिबान के नियंत्रण के बाद पहली बार भारतीय प्रतिनिधिमंडल की काबुल यात्रा पर अमेरिका ने कहा कि तालिबान शासन के साथ संबंध को लेकर भारत के अपने हित हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने यह बात पत्रकारों से कही।

भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान के लिए वरिष्ठ राजनयिक जेपी सिंह के नेतृत्व में एक दल गत सप्ताह अफगानिस्तान गया था। वहां उसने तालिबान के वरिष्ठ सदस्यों से मुलाकात की और भारत की ओर से भेजी गयी सहायता के बारे में उनसे चर्चा की। प्राइस ने कहा, अलग अलग देशों के तालिबान के साथ अलग अलग तरह के संबंध बनेंगे। दोहा में हमारा एक दल हमारे हितों को ध्यान में रखते हुए तालिबान के संबंध बनाने के लिए काम कर रहा है।