निगम अध्यक्ष का बार-बार अपमान कर रही है महापौर परिषद - आलोक अवस्थी

निगम अध्यक्ष का बार-बार अपमान कर रही है महापौर परिषद - आलोक अवस्थी
निगम अध्यक्ष का बार-बार अपमान कर रही है महापौर परिषद - आलोक अवस्थी

निगम अध्यक्ष का बार-बार अपमान कर रही है महापौर परिषद - आलोक अवस्थी

निगम अध्यक्ष के निर्देशों की जानबूझकर अवहेलना कर रहे एमआईसी सदस्य, विकास विरोधी होने का पहले भी लगा चुके हैं आरोप

कांग्रेस की आपसी फूट हो रही सार्वजनिक, निगम अध्यक्ष का अपमान सर्वदा गलत व निंदनीय


जगदलपुर : कांग्रेस की आपसी फूट और अन्तर्कलह लगातार सार्वजनिक हो रही है। नगर निगम में महापौर परिषद द्वारा निगम अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद का बार-बार अपमान करने का प्रयास हो रहा है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। मोतीलाल नेहरू वार्ड के भाजपा पार्षद आलोक अवस्थी ने आरोप लगाते हुये कहा कि नगर निगम अध्यक्ष कविता साहू द्वारा सदन में दिये गये निर्देशों की अवहेलना महापौर परिषद के सदस्य खुले रुप में जानबूझकर कर रहे हैं। 28 जुलाई को सामान्य सभा की बैठक में महापौर सहित एमआईसी सदस्यों को भाजपा पार्षदों के प्रश्नों के लिखित जवाब सात दिवस में देने निगम अध्यक्ष ने निर्देशित किया था, मगर चौबीस दिन बीतने के बाद भी एमआईसी सदस्य पूर्णतः लिखित जवाब देने कोई रूचि नहीं दिखा रहे हैं, भाजपा पार्षदों के प्रश्नों के आधे उत्तर ही भेजे गये है। इन्हीं एमआईसी सदस्यों द्वारा निगम अध्यक्ष को विकास विरोधी कहने का दुस्साहस तक सदन में किया जा चुका है। 

भाजपा पार्षद आलोक अवस्थी ने कहा कि नगर निगम में सत्तासीन कांग्रेस की आपसी लड़ाई में महापौर व निगम अध्यक्ष के बीच खींचतान जगजाहिर हो रही है। महापौर परिषद द्वारा निगम अध्यक्ष को अपमानित करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा जा रहा है, जो अच्छी परंपरा नहीं है। एक एमआईसी सदस्य ने सामान्य सभा की बैठक में महापौर परिषद के मुताबिक निर्णय नहीं होने पर निगम अध्यक्ष कविता साहू पर विकास विरोधी होने का आरोप लगा दिया था। वर्तमान में भाजपा पार्षदों को लिखित उत्तर भेजने के निगम अध्यक्ष के स्पष्ट निर्देश को भी महापौर परिषद ने मानने से इंकार ही कर दिया है,ऐसा प्रतीत हो रहा है। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि बिना महापौर की सहमति के यह सभी स्थितियां निर्मित हो रही है। सत्ता के राग द्वेष में निगम अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद का अपमान उचित नहीं है। 

आलोक अवस्थी ने कहा कि निगम अध्यक्ष का पद किसी भी राजनीतिक दल से पृथक होता है। सत्ताधारी कांग्रेस दल सामान्य सभा की बैठक में निगम अध्यक्ष से मनचाहे निर्णय व उनके अनुसार ही कार्यवाही करने दबाव बनाना चाहता है। ऐसा नहीं होने पर  निगम अध्यक्ष का अपमान करने लगातार कोशिश की जा रही है। यह परिपाटी व ऐसी दूषित राजनीतिक सोच सर्वदा निंदनीय व कतई स्वीकार योग्य नहीं है।