गणेश चतुर्थी आज : गणेश चतुर्थी पर 59 साल बाद बन रहा है दुर्लभ संयोग…. यहां देखे संपूर्ण पूजा विधि ,सरल मंत्र…घर पर गणपति स्थापना की पूजा विधि व शुभ मुहूर्त…..

गणेश चतुर्थी आज : गणेश चतुर्थी पर 59  साल बाद बन रहा है दुर्लभ संयोग…. यहां देखे संपूर्ण पूजा विधि ,सरल मंत्र…घर पर गणपति स्थापना की पूजा विधि व शुभ मुहूर्त…..


नया भारत डेस्क : भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से दस दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत हो जाएगी। 10 सितंबर से लेकर 19 सितंबर तक यह उत्सव मनाया जायेगा। गणेश उत्सव के पहले दिन श्री गणेश जी की घर में स्थापना की जाती है और पूरे दस दिनों तक उनकी विधि-विधान से पूजा करके आखिरी दिन गणेश विसर्जन किया जाता है।

 

 

आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार भले ही ये गणेश उत्सव दस दिनों तक मनाया जाता है, लेकिन ये लोगों की श्रद्धा पर निर्भर करता है कि वो गणपति जी को कितने दिनों के लिए अपने घर लाते हैं। कई लोग एक दिन, तीन दिन, पांच दिन या सात दिनों के लिये भी गणपति जी को घर पर लाते हैं। 

 

गणेश जी की मिट्टी की प्रतिमा का बहुत ही महत्व है  श्री गणेश भगवान की कृपा से इन दस दिनों के दौरान आपकी मनचाही सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं। गणपति जी आपकी हर समस्या का समाधान निकालने के लिये आपके साथ ही मौजूद होंगे। जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा और स्थापना विधि के बारे में। 

 

गणेश चतुर्थी का  शुभ मुहूर्त

 

 

चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 9 सितंबर रात 12 बजकर 18 मिनट से


चतुर्थी तिथि समाप्त- 10 सितंबर  रात 9 बजकर 57 मिनट तक 

 


मध्यान्ह पूजन मुहूर्त –  सुबह 11 बजकर 3 मिनट से दोपहर 1 बजकर 33 मिनट पर

 


वर्जित चंद्रदर्शन का समय –सुबह 9 बजकर 12 मिनट से शाम 8 बजकर 53  मिनट तक

 

 

भगवान गणेश की स्थापना का शुभ मुहूर्त

 

10 सितंबर  2021 को दोपहर 12 बजे से लेकर दोपहर 1 बजे के बीच गणेश स्थापना के लिये अच्छा मुहूर्त है। 

 

 

बन रहे हैं ये संयोग

10 सितंबर को शाम 5 बजकर 43 मिनट तक ब्रह्म योग रहेगा। इसके अलावा 9 सितंबर दोपहर 2 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 10 सितंबर दोपहर 12 बजकर 58 मिनट तक सभी कार्यों में सफलता दिलाने वाला रवि योग रहेगा। इसके साथ ही दोपहर 12 बजकर 58 मिनट तक चित्रा नक्षत्र रहेगा 

 

 

पूजन सामग्री

पूजा के लिए चौकी, लाल कपड़ा, भगवान गणेश की प्रतिमा, जल का कलश, पंचामृत,  रोली, अक्षत, कलावा, लाल कपड़ा, जनेऊ, गंगाजल, सुपारी, इलाइची, बतासा, नारियल, चांदी का वर्क, लौंग, पान, पंचमेवा, घी, कपूर, धूप, दीपक, पुष्प, भोग का समान आदि एकत्र कर लें।

 

 

भगवान गणेश की स्थापना विधि

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान करे लें। गणपति का स्मरण करते हुए पूजा की पूरी तैयारी कर लें। इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करें। एक कोरे कलश में जल भरकर उसमें सुपारी डालें और उसे कोरे कपड़े से बांधना चाहिए। इसके बाद सही दिशा में चौकी स्थापित करके उसमें लाल रंग का कपड़ा बिछा दें। स्थापना से पहले गणपति को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद गंगाजल से स्नान कराकर चौकी में जयकारे लगाते हुए स्थापित करें। इसके साथ रिद्धि-सिद्धि के रूप में प्रतिमा के दोनों ओर एक-एक सुपारी भी रख दें।

 

 

भगवान गणेश की पूजा विधि

स्थापना के बाद गणपति को फूल की मदद से जल अर्पित  करे। इसके बाद रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाए। इसके बाद लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची और कोई मिठाई रखकर अर्पित कर दें। नारियल और भोग में मोदक अर्पित करें। षोडशोपचार के साथ उनका पूजन करें। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं।  सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्‍ती से भगवान  गणेश की आरती करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें। 

 

 

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

या फिर

ॐ श्री गं गणपतये नम: का जाप करें। 

दिन में 3 बार लगाएं भोग

अगर आपने अपने घर पर भगवान गणपति की मूर्ति स्थापित की हैं तो उनका ख्याल बिल्कुल घर के सदस्य की तरह रखना होगा, इसलिए गणपति को दिन में 3 बार भोग लगाना अनिवार्य है। गणपति बप्पा को रोजाना मोदक का भोग जरूर लगाना चाहिए। आप चाहे तो मोतीचूर  या बेसन के लड्डू से भी भोग लगा सकते हैं। 

 

 इस बार गणेश चतुर्थी चित्रा नक्षत्र में आ रही है। इस दिन चंद्र तुला राशि में शुक्र साथ रहेगा। सूर्य अपनी राशि सिंह में, बुध अपनी राशि कन्या में, शनि अपनी राशि मकर में और शुक्र अपनी राशि तुला में रहेगा। ये चार ग्रह अपनी-अपनी राशि में रहेंगे। गुरु कुंभ राशि में रहेगा। इस राशि में दो बड़े ग्रह गुरु और शनि वक्री हैं।

 

 

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक 2021 से 59 साल पहले 3 सितंबर 1962 को गणेश चतुर्थी चित्रा नक्षत्र से शुरू हुई थी। उस समय भी चंद्र शुक्र के साथ तुला राशि में था। सूर्य, बुध, शुक्र और शनि, ये चारों ग्रह अपनी-अपनी राशि में स्थित थे। इस वर्ष भी ऐसे ही ग्रह योग होने से सभी राशियों के लिए समय अनुकूल रहेगा।

मेष- इस राशि को कई लाभ प्राप्त होंगे और सभी प्रकार की अनुकूलता रहेगी। खुशियों की प्राप्ति होगी और संतान से प्रसन्न्ता मिलेगी।

वृषभ- विवादों में विजय मिलेगी। गणेशजी की सेवा करने से रुका कार्य पूरा होगा। मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा।

मिथुन- घर-बाहर सभी ओर सम्मान प्राप्त होगा। जिम्मेदारियों में वृद्धि होगी और धन की प्राप्ति सुगम होगी। जोखिमपूर्ण कार्य नहीं करें।

कर्क- आधुनिक सुख-सुविधाएं प्राप्त करेंगे और किसी बड़े काम के बन जाने से हर्ष प्राप्त होगा। विवाह प्रस्ताव मिलेंगे।

सिंह- सोचे हुए काम बनेगें और विशेष उपलब्धियों की प्राप्ति होगी। विदेश जाने की इच्छा रखने वालों को सफलता मिलेगी।

कन्या- खोए हुए धन और नुकसान की पूर्ति संभव है। धार्मिक यात्रा का योग बनेगा और किसी बड़े आय देने वाले काम की स्थापना होगी।

तुला- यह राशि अपने खराब दौर से गुजर रही थी, लेकिन अब अच्छे समय की ओर जा रही है। प्रसन्नतादायक समाचार की प्राप्ति होगी एवं संतान सुख मिलेगा।

वृश्चिक- गणेशजी के जाते समय कोई बड़ी खुशखबरी प्राप्त होगी। जमीन संबंधी लाभ होने की संभावना है। धन की समस्या भी दूर होगी।

धनु- नुकसान पहुंचाने वालों को खोजने में सफल होंगे और शत्रुओं का नाश करने में सफल होंगे। जीवन साथी से प्रसन्नता प्राप्त होगी एवं सम्मान मिलेगा।

मकर- यह समय अच्छा रहेगा एवं कीर्ती में वृद्धि होगी। नए वस्त्र आभूषणों की प्राप्ति होगी। योजनाएं सफल होंगी।

कुंभ- शुभ समाचारों की प्राप्ति होगी और संतान भी अनुकूल रहेगी। यात्रा में तकलीफ हो सकती है। धार्मिक कार्य करने का मौका मिलेगा।

मीन- गणेश जी और लक्ष्मी जी की विशेष प्रसन्नता प्राप्त हो सकती है। किसी भूमि के सौदे को हल्के से न लें और सही दिशा में कार्य करने पर निश्चित लाभ मिलेगा।