क्या देश में मुद्दों के बिना राजनीति हो सकती है? बिल्कुल नहीं, ये वो मुद्दे हैं जो देश का विकास भी करते हैं और विनाश भी।
Can there be politics without issues




NBL, 03/09/2023, Lokeshwer Prasad Verma Raipur CG: Can there be politics without issues in the country? Not at all, these are the issues which both develop and destroy the country. पढ़े विस्तार से....
जब अंग्रेजों ने फूट डालो और राज करो की कूटनीति का प्रयोग करके भारत पर कब्ज़ा कर लिया और ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना हुई, तब देश के लोगों के सामने एक ही समस्या थी कि इस ब्रिटिश साम्राज्य को देश से और इन अंग्रेजों के चंगुल से देश के लोकतंत्र को कैसा बचाया जाए और भारत को कैसे आज़ाद करें? यही उस समय के संपूर्ण देश वासियों की एक ही मुद्दा था।
जब भारत में ब्रिटिश साम्राज्य था तो देश में आतंकवादियों और नक्सलियों का नामोनिशान नहीं था। पाकिस्तान, जो आज आतंकवादी पैदा कर रहा है, वह भी ब्रिटिश साम्राज्य का गुलाम था, जो भारत का हिस्सा था और जो आज खुद को कट्टर मुस्लिम देश कहता है। जबकि ब्रिटिश शासन के दौरान पाकिस्तान मुस्लिम देश भीगी बिल्ली था,अगर उन्होंने ब्रिटिश शासन के दौरान वैसा व्यवहार किया होता जैसा वे आज कर रहे हैं।
जब से भारत को ब्रिटिश सरकार से आजादी मिली और भारत की अपनी नई सरकार बनी और जब से भारत एक लोकतांत्रिक देश बना और देश के लोकतंत्र में अपनी बात रखने की आजादी मिली, तब से देश में अनेक प्रकार की समस्या शुरू हो गई है,ये बिल्कुल सच है।
और वह समस्या आज भी भारत में विकराल रूप धारण किये बैठी है और वह समस्या है देश की राजनीति जो देश के लोकतंत्र को गुमराह करके देश में सत्ता हासिल करना आज भी कायम है। कुछ नेता तथ्यों के साथ राजनीति करना चाहते हैं तो कुछ नेता बिना तथ्यों के बात करते हैं और देश के लोकतंत्र को गुमराह कर सत्ता हासिल करना चाहते हैं।
आर्थिक सुधारों के बावजूद, भारत को अभी भी कई सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें प्रमुख सामाजिक व आर्थिक मुद्दे हैं: गरीबी, भ्रष्टाचार, नक्सलवाद और आतंकवाद, कुपोषण और अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल। भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा आज भी गरीबी रेखा से नीचे है, यह समस्या भारत के आजाद होने के बाद से ही बनी हुई है और राजनीति का यह मुद्दा आज तक बना हुआ है, तो राजनीतिक नेताओं को किस बात पर गर्व है और कब तक? क्या यह समस्या देश से दूर हो जायेगी या यह आजीवन मुद्दा बनी रहेगी और देश का लोकतंत्र गुमराह होता रहेगा।
आज भारत के राजनीति में एक होड़ लगी हुई है, वह है भारत की मुख्य समस्याये बेरोजगारी, महंगाई दूर करना और सस्ते दामों में देश के लोकतंत्र को देना या मुफ्त की रेवड़ी बाँटना जो राजनीतिक दल जितना ज्यादा इन सभी समस्याओ को हल करने की बात करते हैं उतना ही उस दल का प्रभाव देश के लोकतंत्र में पड़ता है।
जैसे ही चुनाव नजदीक आता है वैसा ही राजनीतिक दलों की तिजौरी खुल जाता है जो देश के लोकतंत्र को उनके उम्मीद से कही ज्यादा मिलने की प्रबल संभावना बढ़ जाती है, लेकिन जैसे ही चुनाव समाप्त हुए और परिणाम घोषित हुआ और हारे हुए दल नेता आपके इर्द गिर्द दिखाई ही नहीं देगा सीधे पाँच साल के लिए लुप्त हो जायेंगे और जैसे ही चुनाव नजदीक आयेगा वैसा ही नेता जी अपने आलिशान बंगला से बाहर आयेंगे और वही फार्मुला फिर अपनाएंगे थोड़ा जोड़ तोड़ कर आप लोकतंत्र के सामने पेश करेंगे।
लोकतंत्र को पसंद आ गया तो पिछले चुनाव में हारे हुए नेता जीत जायेंगे और पूर्व में लगाए चुनाव खर्च को पहले वसूल करेंगे फिर थोड़ा अपने प्रभाव कायम रखने के विकास करेंगे कही गली के रोड या मुक्तिधाम जैसे छोटे छोटे कार्यो को करके अपने बचाव के लिए कुछ काम करेंगे वह नेता जी उस नेता जी की सरकार केंद्र और राज्य दोनों जगह में है तो फिर बड़ा काम करेंगे या एक जगह राज्य में है उनकी सरकार तो केंद्र सरकार के उपर अपनी सारी कमजोरियों को थोप देंगे और देश के लोकतंत्र के सामने अपने बीच बचाव करते हुए यू ही पांच साल निकाल देंगे इसलिए कभी भी देश के लोकतंत्र को डबल इंजन की सरकार बनानी चाहिए।
देश की मुख्य समस्याएँ कब ख़त्म होंगी? जिस दिन देश में राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों के नेता मुफ्त की रेवड़ी बांटना बंद कर देंगे और देश के विकास के मुद्दों पर काम करेंगे। पूरी ईमानदारी के साथ, देश के लोकतंत्र के लिए, तो देश की हर समस्या धीरे धीरे ख़त्म हो जाएगी।
जब तक देश का लोकतंत्र मुफ्त का रेवड़ी खाता रहेगा, तब तक देश में समस्याएं खत्म नहीं होंगी, जब तक राजनीतिक दल मुफ्त का रेवड़ी बांटते रहेंगे और सत्ता में बैठे राजनीतिक दल उसका कर्ज चुकाने के लिए लोकतंत्र से मुफ्त का खिलाया पैसा वसूल करते रहेंगे तब तक देश का लोकतंत्र आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हो पाएगा।
आजके विपक्षी दलों के नेताओं के द्वारा मुद्दा उठायी जाती है, सत्ता पक्ष पीएम नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री था तो वही अमेरिका मोदी को विजा देने व अपने देश में आने के लिए मना कर दिया था वही अमेरिका आज पीएम नरेंद्र मोदी के पलके बिछाए इंतजार करते है, लेकिन ऐसा क्यों ये मुद्दा विपक्षी दलों के नेताओं की होता है।
पीएम नरेंद्र मोदी सरकार के सबका साथ सबका विकास के जन हित नीति को अविश्वास बताती हैं विपक्षी दलों के नेताओं के द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी के हर एक जन हित कार्य काँटों की तरह चुभती है देश के विपक्षी दलों के सभी नेताओं को और देश के मीडिया से भी विनती करते है क्या कर दिया ऐसा पीएम नरेंद्र मोदी सरकार जो दिन रात उनके गुणगान गाते है आप मीडिया वाले ये मुद्दा होती है विपक्षी दलों के नेताओं की।
आखरी साँस तक लड़ते रहेंगे हम पीएम नरेंद्र मोदी सरकार से चाहे ED. CBI लगा दे हमारे पीछे मै तो कहता हूँ क्यों इतना डरते हो पीएम नरेंद्र मोदी सरकार से वाकई पीएम नरेंद्र मोदी नदी मे आने वाले सैलाब है और उस नदी के बीचो बीच एक पेड़ है जो पीएम नरेंद्र मोदी सरकार जैसे सैलाब से बचने के लिए आप लोग I. N. D. I. A रूपी पेड़ पर चढ़ कर अपने आप को बचाना चाहते है।
जैसे नदी के विकराल बाढ़ से बचने के लिए नदी के बीचो बीच खड़े पेड़ में इंसान भी चढ़ जाते हैं और सांप भी चढ़ जाते है और अन्य जीव जंतु भी चढ़ जाते हैं, लेकिन एक दूसरे को नुकसान नही पहुँचाते है चुपचाप उस सैलाब को देखते रहते है और सोचते रहते है थोड़ा भी चूक हुई हमसे तो हमें नदी के विकराल सैलाब हमें निगल जायेगी वैसा ही खामोशी के साथ पेड़ पर बैठे रहते है और जैसा ही सैलाब कम होता है जान बचाकर जाने लायक रास्ता मिल जाता है तो फिर एक दूसरे का दुश्मन बन जाते है।
वैसा ही आज पीएम नरेंद्र मोदी सरकार रूपी सैलाब से बचने के लिए सभी विपक्षी नेताओं के द्वारा I. N. D. I. A रूपी पेड़ पर बैठ गए खामोशी के साथ जैसे ही सैलाब शांत होगा चुनाव का परिणाम आ जायेगा अगर विपक्षी दलों के नेताओं के पक्ष में आ गया तो आपसी लड़ाई चालू हो जायेंगे मै प्रधानमंत्री बनूँगा मै प्रधानमंत्री बनूँगा जैसे देश के आजादी होने का इंतजार पंडित जवाहर लाल नेहरू और मोहम्मद जिन्ना देख रहे थे जैसे ही आजादी मिली और आपसी फुट पड़ गया और पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत का प्रधानमंत्री बन गया और भारत से अलग होकर एक नया पाकिस्तान देश बन गया और उसका मुखिया मोहम्मद जिन्ना बन गए वैसा ही विवाद इन विपक्षी दलों के नेताओं में होगा इनके हर मुद्दा देश हित के लिए नही है बल्कि अपने उनके हित के लिए है।
देश टूटे फूटे कुछ भी हो जाए लेकिन इन विपक्षी दलों के नेताओं की विकराल रूप एक ही होगा चुनाव कैसे जीते और पीएम नरेंद्र मोदी सरकार को कैसे हराये खुले मन से बोलता है विपक्षी नेता हम विपक्षी दलों के नेताओं के काले धन स्विस बैंक से लाकर देश के लोकतंत्र के खाते में पीएम नरेंद्र मोदी रुपिया डाल दिया क्या? यही बेतुकी मुद्दा विपक्षी दलों के नेताओं की आज देश में मुद्दा बनाकर देश के लोकतंत्र को भ्रमित कर रहे हैं।
यही विनाश की मुख्य जड़ है, इकानामि का अध्ययन ना करते हुए इन विपक्षी दलों के नेताओं के द्वारा ये बोला जाता है हम गैस सिलेंडर का रेट कम कर देंगे हम पेट्रोल डीजल का दाम कम कर देंगे हम देश के हर एक वस्तु के दामों को घटा देंगे और हम बेरोजगारी देश से हटा देंगे हम चारों तरफ खुशहाली ही खुशहाली ला देंगे यह बात I. N. D. I. A गठबंधन नेताओं की देश में चल रही है, जबकि इस गठबंधन में प्रायः प्रायः राजनीतिक दल देश व राज्य के सत्ता में काबिज रहा तो यह सब खत्म क्यों नहीं कर पाए यह बात देश के लोकतंत्र पूछता है। एक रोड तक ढंग से नहीं बना पाए थे, गरीबी हटाओ तो एक बहाना था गरीब से वोट कैसे लेना है ये आपका फार्मुला था जो आज पीएम नरेंद्र मोदी सरकार साढ़े नौ साल में किया जन हित कार्य देश में आप विपक्षी दलों के नेता पचास/साठ साल में नही कर पाए और आज देश के लोकतंत्र यह सब देख रहा है।
जो विपक्षी दलों के नेता देश के महाबलि सेनाओ पर सवाल करते हैं जो चीन आपके पूर्वज के सत्ता काल में भारत के जमीन को कब्जाये बैठे है और आज एक इंच आगे नही बढ़ पाए पीएम नरेंद्र मोदी सरकार के शासन काल में चीन और उस दुश्मन देश चीन का सपोर्ट करते हैं आप विपक्षी दलों के नेताओं के द्वारा कितना कुंठित बुद्धि रखते हैं आप विपक्षी नेता लोग जो आप देश जोड़ने नही तोड़ने की बात करते हैं केवल एक पीएम नरेंद्र मोदी को हराने के लिए भारत के शौर्य को नीचे बताकर देश के लोकतंत्र से फ़ायदा उठाना चाहते हैं ये आपके सोच का निम्नता है जो भारत को ही कमजोर व डरपोक बता रहे हैं और दुश्मन देश चीन को बहादुर व ताकत वर देश बता रहे, यह सब करने से आपको राजनीतिक लाभ मिलेगा यह सब आप विपक्षी दलों के नेताओं की सोचना व्यर्थ है।
यह देश को विनाश की ओर ले जाने वाला सोच है आप विपक्षी दलों की नेताओं की जो सच को जानते हुए भी देश के लोगों के अंदर भ्रम पैदा कर रहे हैं जबकि पीएम नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में चीन देश भारत के एक इंच जमीन कब्जा नही किया बल्कि कांग्रेस के कार्यकाल में चीन भारत भूमि को कब्जा किया जो आपके पूर्वज बंजर जमीन बंजर जमीन करके चीन को आगे बढ़ने से नही रोक पाया और उसी बंजर जमीन को बचाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी सरकार और देश के सेना डटे हुए है, और आने वाले समय काल में भारत अपने भूमि चीन से वापस लायेगी क्योकि भारत की सेना मे वह जज्बा है उसे ताकत देने वाले देश प्रेमी नेता पीएम नरेंद्र मोदी सरकार की जरूरत है आप जैसे विपक्षी दलों के नेताओं की नही है जो देश का खाते है और विदेश का गुण गाते है।
आप विपक्षी दलों के नेता खासकर कांग्रेस अपने पूर्वजो के इतिहास को एक पढ़ लो तो बेहतर होगा नहीं तो देश के लोकतंत्र सब जानते आपके कांग्रेस की इतिहास चीन कब भारत भूमि को कब्जा किया और अभी आप कांग्रेस की क्या नाटक चल रहा है देश के लोकतंत्र में, चुनाव जीतने का फार्मुला देश को कमजोर या अपाहिज बता कर मत करो राजनीति चीन का क्या बिसात जो भारत को आँख दिखा सके भारत हमारा शौर्य भूमि है और सब भारत से पंगा लिया और सब मिट गया वैसा विपक्षी दलों के नेताओं आप भी कही इतिहास बन कर न रह जाना भारत की आन बान शान की बात पर सियासत मत करो आपका लड़ाई राजनीति है राजनीति तक सीमित रहो भारत को कमजोर और चीन जैसे हमारे दुश्मन देश को ताकतवर देश मत कहो भारत माँ की छाती के दूध इतना कमजोर नही है जो हमें आँख दिखा सके चीन।
वन नेशन वन इलेक्शन का फायदा न देखकर विपक्षी दलों के नेता इसका विरोध कर रहे हैं, जो बेबुनियाद है, जबकि वन नेशन वन इलेक्शन से देश के करोड़ों रुपये बच सकते हैं और देश के लोकतंत्र का समय भी बचेगा। चुनाव आचार संहिता में समय बर्बाद होता है और आधा समय देश के चुनाव में चला जाता है, कभी दिल्ली में, कभी मुंबई में, देश में कहीं और चुनाव होते ही रहते हैं और सारा प्रशासनिक अमला इसी चुनाव व्यवस्था में लगा रहता है। यहां तक कि देश का राजस्व भी प्रभावित होता है, तहसील, एसडीएम और जिला कलेक्टर कार्यालय इस चुनाव में लगे होते हैं और राजस्व का सारा काम रुक जाता है और कई चुनावी कारणों से देश के लोकतंत्र में कई समस्याएं आती हैं जो एक राष्ट्र एक चुनाव से दूर हो जाएंगी और देश में इस नियम का होना बहुत जरूरी है।
अब तो हद ही कर दी इन विपक्षी I. N. D. I. A गठबंधन मे जुड़े कुछ नेता लोग सनातन धर्म संस्कृति को डेंगू मलेरिया, मच्छर जैसे संज्ञा देकर ब्यान दे रहे है और सनातन धर्म को जड़ से मिटाने की बात कर रहे है तमिलनाडु के सीएम स्टालिन के बेटे के द्वारा कितना धैर्य खो चुके हैं इन विपक्षी दलों के कुछ नेता जो चुनाव होने से पहले अपने आपा खो बैठे है, और इनके गठबंधन जीत गया चुवाव तो फिर क्या क्या नही बोलेंगे ये विपक्षी गठबंधन I. N. D. I. A के नेता जरा सम्भल के मेरे देश के लोकतंत्र आप उस मुद्दा को ध्यान में रखो जो विकास की ओर भारत को ले जाए नाकि विनाश की ओर ले जाने वाले मुद्दा को समर्थन दे जो देश का वजूद ही मिटाने में लगा हो।