सिंधी समाज सनातनी है: महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन




-अ.भा.सिन्धु सन्त समाज ट्रस्ट की अहम बैठक सम्पन्न
-विशाल सन्त सम्मेलन का लिया निर्णय
भीलवाड़ा। सम्पूर्ण सिंधी सन्त समाज सनातन के लिए दृढ़ संकल्पित है, सिंधी समाज के रीति रिवाज और परम्पराएँ सनातन धर्म के अनुकूल है। जिनका निर्वहन करना हर एक सिंधी का फर्ज है। तभी हम अपनी सिंधी सनातन संस्कृति को बचा सकेंगे। यह विचार अलख मेहर धाम सनातन मन्दिर, उज्जैन में आयोजित अखिल भारतीय सिन्धु सन्त समाज ट्रस्ट की बैठक में महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने व्यक्त किये। बैठक की अध्यक्षता साई युधिष्ठिर लाल (रायपुर) ने की। महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम ने आगे कहा कि सिंधी समाज शुद्ध सनातनी समाज है।और हम कोई भी समझौता नही कर सकते। अतः अनुरोध किया जा रहा है कि जिन सिंधी टिकाणो (सनातन मन्दिरों), पंचायती स्थानों और निज निवासों पर श्री गुरु ग्रन्थ साहिब अभी विराजमान है, वो कृपया जल्द से जल्द निकट के पंजाबी गुरुद्वारों को सौपकर प्राप्ति-पत्रक प्राप्त करें।
बैठक में स्वामी युधिष्ठिर लाल जी के आवाहन पर मार्च माह में अमरावती (महा.) में विशाल सन्त सम्मेलन और सनातन धर्म सभा आयोजित करने का सर्व सम्मति से निर्णय लिया गया। राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत खिम्यादास जी ने कहा कि सभी सन्त महापुरुष स्वयं भी सनातन धर्म की मुख्य धारा में आये और पूरे सिंधी सनातनी समाज को भी अपने मूल संस्कृति के लिए जागरूक करे।
बैठक में मुख्य रूप से महंत आत्मदास (उज्जैन), महंत स्वरूपदास (अजमेर), महंत हनुमानराम (पुष्कर), महंत श्यामदास (किशनगढ़), स्वामी हंसदास (रीवा) और इंदौर से स्वामी माधवदास जी के अलावा स्वामी कमलपुरी, अनिल सांई और सन्त चंदनदास मुख्य रूप से उपस्थित हुए।