सिंधी सिख नही, सिंधी सनातनी- महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन

सिंधी सिख नही, सिंधी सनातनी- महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन
सिंधी सिख नही, सिंधी सनातनी- महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन

इंदौर/भीलवाड़ा। पिछले कुछ दिनों से सिंधी सिख शब्द ज्यादा सुनने में आ रहा है, परन्तु सिंधी सिख नही सिंधी सनातनी है। इसलिए जितना ज्यादा हो सके सनातन मन्दिर बनाओ। हमारे मन्दिरों में पुरातन समय से महंत गद्दी पर और ग्रन्थ मंजी पर होता है। और भगवान, देवी देवताओं और गुरुदेवों की मूर्तियां विराजमान होती है। हम सनातन परम्पराओ को नही छोड़ सकते। श्री गुरु गोविंद सिंह जी एवं अन्य गुरुसाहिबान ने सनातन धर्म हेतु ही कुर्बानियां दी, हम भी सनातन धर्म कभी नही छोड़ेंगे। हम सिख रहित मर्यादा नही पिछले 400 सौ वर्षों की तरह सनातनी परम्परा के अनुसार ही श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी की सेवा कर सकेंगे, अतः 12 जनवरी 2023 को अखिल भारतीय सिन्धु सन्त समाज ट्र्स्ट की कोर कमेटी ने निर्णय ले लिया कि हम ससम्मान श्री गुरु ग्रन्थ साहिब पंजाबी गुरुद्वारों में सौप दिये जायें।
उक्त ओजस्वी उद्बोधन सिंधी सन्त संत समाज के एकमात्र महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम  उदासीन (भीलवाड़ा) ने सर्व सिन्धु समाज, इंदौर द्वारा रविवार को आयोजित विशाल सनातन धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए दिया। उन्होंने आगे बताया कि ये तो शुरुआत है, अब हर एक दो महीने में छोटी बड़ी धर्म सभाओ का आयोजन किया जाता रहेगा और आगामी मार्च माह में बहुत बड़ी धर्मसभा बड़ौदा (गुज.) में आयोजित होने वाली है और विराट सन्त सम्मेलन भी जल्द ही होने जा रहा है। ज्ञात हो कार्यक्रम का शुभारंभ सिंधी कॉलोनी चौराहा से विशाल शोभा यात्रा के रूप में हुआ। जहाँ गोविंद धाम में सर्व सन्त समाज का विशेष अभिनंदन किया गया। तत्पश्चात श्री वरूण देव के बहराणे का सर्व सन्त समाज द्वारा पूजन कर शोभायात्रा निकाली गई, जिसका जगह-जगह पर हृदय से स्वागत किया गया। समाज मे अत्यंत उत्साह देखा गया। शोभायात्रा का समापन साधु वासवाणी उद्यान में हुआ, जहां पर सनातन धर्म सभा का आयोजन किया गया था। सनातन धर्म सभा का शुभारंभ सन्त समाज द्वारा दीप प्रज्वल्लन  और शंखध्वनि के साथ हुआ। जिसमें अखिल भारतीय सिन्धु सन्त समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत खिम्यादास, सतना के अलावा महंत आत्मादास (उज्जैन), महंत अर्जुनदास (उल्हा.) आदि ने सम्बोधित किया। अंत मे सनातन धर्म सभा के मुख्य वक्ता महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम जी महाराज ने अपना ओजस्वी उद्बोधन में दिया। महामंडलेश्वर ने पूरे जोश के साथ संदेश दे ही रहे थे कि अचानक विद्युत प्रवाह बाधित हो जाने पर उद्बोधन बीच में ही रुक गया, पर महाराज जी ने उसकी परवाह न करते हुए अपना उद्बोधन जारी रखा और ये कहते हुए कि माँ के दूध का कर्ज तभी उतार पाओगे, जब सनातन धर्म मे डटे रहोगे" समस्त श्रोताओं को धरती माँ को प्रणाम कर सनातन धर्म मे दृढ़ रहने का संकल्प करवा कर पुनः शंखध्वनि कर सभा समाप्ति की घोषणा कर दी। इस धर्म सभा मे सतना से महंत खिम्यादास (राष्ट्रीय अध्यक्ष), उल्हा. से महंत अर्जुनदास (संरक्षक), अजमेर से महंत स्वरूप दास (उपाध्यक्ष), रीवा से स्वामी हंसदास (राष्ट्रीय महामंत्री), पुष्कर से महंत हनुमान राम, एवं अनेक नगरों के सन्तो महापुरुषों के साथ इंदौर के समस्त सन्त समाज और ब्राह्मण मण्डल मुख्य रूप से उपस्थित रहा। कार्यक्रम का सफल संचालन स्वामी माधवदास जी ने किया।