सुनते-सुनते नई बातें फायदे की मिल जाती है - बाबा उमाकान्त




सुनते-सुनते नई बातें फायदे की मिल जाती है - बाबा उमाकान्त
एक साथ कौनसे दोनों काम नहीं हो सकते हैं
अंतर्यामी बाबा का आध्यात्मिक पुत्र (सेवक) हूं
पालघर (महाराष्ट्र)। निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, मन की बात बिना कहे ही जानने वाले, सभी जीवों के पिता स्वरुप, दुनिया के जिन झंझटों में फंसने पर आध्यात्मिक दौलत मिलने में बाधा आये उनसे सावधान करने वाले, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज ने 3 अक्टूबर 2021 प्रातः उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि एक बार गुरु महाराज (बाबा जयगुरुदेव ) देखते-देखते जब गेट के बाहर निकलने लगे तो वहां शहर के सतसंगी लोग लाइन लगाकर खड़े हो गए। तो सबको देखते हुए जा रहे थे। उनके पास जब पहुंचे, उनको भी देखा।
थोड़ा सा आगे चले गया, उसके बाद फिर घूमे, बोले, देखो, मैं सबको मानता हूं। मैं देवी को, देवता को मानता हूं। मैं उनको जानता भी हूं। और देखीये उधर शंकर जी का मंदिर बनेगा और उधर विष्णु भगवान का बनेगा और आप आकर के दर्शन कीजिएगा। अब स्वामी जी जब उधर चले गए तो मैं तो उनके पीछे-पीछे लगा रहता था। मैंने सुना, उस आदमी ने अपने साथ आये हुए से कहा, यही तो सवाल करना था। मैं तो मान गया, बाबा अंतर्यामी है।
आध्यात्मिक पुत्र (सेवक) हूं
महाराज ने 23 सितंबर 2021 सांय सूरत (गुजरात) में बताया कि जैसे गंगा सबके लिए होती है, पेड़ सबको फल देता है। ऐसे ही कहा गया जो यह काम करते हैं, इसी तरह के होते हैं। परमारथ के कारने, सन्तन धरा शरीर। गुरु महाराज पूरे सन्त थे। उन्होंने अब वोही काम, मुझसे कराना शुरू कर दिया। अपने नाम के आगे-पीछे लिखना शुरू कर दिया, वह तो आपकी मर्जी, हम तो सेवक हैं, सेवा करते हैं। गुरु महाराज भी यही कहा करते थे कि मैं कोई महात्मा फकीर औलिया भगवान नहीं हूँ, मैं तो आपका सेवक हूं। उनका एक तरह से आध्यात्मिक पुत्र जब (मैं) बन गया तब वही सेवा मैं भी करता हूं। तो आपको सबको बताऊंगा। किसी को लौटाउंगा नहीं। अनमोल चीज (नामदान) दूंगा। यह रुपया-पैसा, धन-दौलत से खरीदी जाने वाली चीज नहीं है, वह आपको दूंगा।
एक दिन गुरु महाराज की आंखों से आंसू निकल आया
महाराज ने 26 सितंबर 2021 सायं कल्याण आश्रम मुंबई में बताया कि एक दिन गुरु महाराज (बाबा जयगुरुदेव ) की आंखों से आंसू निकल आया, पोंछने लगे तो उस समय मैं कुछ नहीं बोला। लेकिन दिमाग में बात आती रही, गुरु महाराज को कोई कष्ट है। क्या कष्ट है? दुनिया का इनको क्या चिंता है? क्या फिक्र है? पूछा कुछ नहीं बोले। फिर देखे कि इसके (मेरे) मन में कुछ बात है जो नहीं निकल रही तो इसको निकालना जरूरी है। गुरु महाराज ने कहा गुरु महाराज का (यानी दादा गुरु घूरे लाल जी) का दर्शन नहीं हो रहा था। तो ऐसे ही समझो, अगर आपको साधना में कुछ दिखाई-सुनाई पड़े तो किसी को भी मत बताना। और मेहनत करोगे तो दिखाई भी पड़ेगा, सुनाई भी पड़ेगा। तरीका जो बताएंगे उस तरीके से करोगे तब दिखाई सुनाई पड़ेगा, ये कोई कठिन नहीं है।
एक साथ दोनों काम नहीं हो सकते हैं
महाराज ने 25 सितंबर 2021 दोपहर ढहाणु, पालघर (महाराष्ट्र) में बताया कि हमारे यहां पर कोई भेदभाव नहीं है। आप भी कोई भेदभाव के चक्कर में मत पडो। भाई-भतीजावाद, एरियावाद, जातिवाद, भाषावाद, राष्ट्रवाद, प्रांतवाद आदि सब वाद से हट जाओ, मानववाद ले आओ। आप भूखे को खिला दो, प्यासे को पानी पिला दो, हो सके तो उसकी मदद कर दो। बाकी इन चक्करों से अब दूर हो जाओ क्योंकि गाल भी फूला लो और ठट्ठा के भी हंस भी लो तो दोनों काम एक साथ नहीं हो सकते हैं। मालिक को भी पाओ उसके लिए भी प्रयास करो और दुनिया में इन वादों को चलाकर के सम्मान इज्जत पाना चाहो तो दोनों काम एक साथ नहीं हो सकते हैं। इसलिए थोड़ा उससे अब हटो, छोड़ो। इस तरफ आध्यात्मिक, परमार्थ की तरफ आप बढ़ो।
सुनते-सुनते फायदे की नई बातें मिल जाती हैं
महाराज ने 20 मार्च 2022 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि सुनने की इच्छा बराबर बनाये रखनी चाहिए। क्योंकि सुनते-सुनते बहुत सी नई बातें मिल जाती है जिनकी जानकारी अपने को नहीं है और वह बातें याद हो जाती है, सुरत यानी जीवात्मा के कल्याण में मददगार हो जाती है। बातों से प्रेरणा मिलती है। जो मन इस समय दुनिया की चीजों को पाने की तरफ प्रेरणा दे रहा है, वही भजन ध्यान सुमिरन में, मालिक के पाने में, मालिक के दर्शन करने के लिए प्रेरणा देने लगता है। तो सुनने की इच्छा रखनी चाहिए।