VIDEO CG नवरात्रि Exclusive : शिला से प्रकट हुईं मां शीतला के दर्शन को लगा तांता…मुकुट का फूल व चावल गिरा कर माता भक्तों को देती है आशीर्वाद.... पढ़िए फूलों के जरिए बात करने वाली माता की रहस्यमय कहानी….देखे विडियो….

CG Navratri Special: The darshan of Mother Sheetla, which appeared from the rock, felt an influx.. By dropping the flower and rice of the crown, the mother blesses the devotees.

VIDEO CG नवरात्रि Exclusive  : शिला से प्रकट हुईं मां शीतला के दर्शन को लगा तांता…मुकुट का फूल व चावल गिरा कर माता भक्तों को देती है आशीर्वाद.... पढ़िए फूलों के जरिए बात करने वाली माता की रहस्यमय कहानी….देखे विडियो….
VIDEO CG नवरात्रि Exclusive : शिला से प्रकट हुईं मां शीतला के दर्शन को लगा तांता…मुकुट का फूल व चावल गिरा कर माता भक्तों को देती है आशीर्वाद.... पढ़िए फूलों के जरिए बात करने वाली माता की रहस्यमय कहानी….देखे विडियो….

CG Navratri Special: The darshan of Mother Sheetla, which appeared from the rock, felt an influx.. By dropping the flower and rice of the crown, the mother blesses the devotees.

संतान प्राप्ति और मनोवांछित फल पाने के लिए दूर-दूर से आए श्रद्धालु

छत्तीसगढ़ धमतरी जिले के नगरी सिहावा क्षेत्र जो कि घने जंगलों के कारण दण्डकारण्य क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। ऐसे क्षेत्र में सिहावा श्रृंगी ऋषि पर्वत के नीचे स्थित मां सिद्ध शक्ति शीतला पीठ सिहावा में नव रात्र का पर्व विशेष स्थान रखता है। नवरात्र के पर्व में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु माता का दर्शन कर अपनी अर्जी माता के दरबार मे लगाते हैं। पंचमी के अवसर पर माता के दरबार में भक्तों की भीड़ उमड़ी..

ऐसी मान्यता है कि माता के दरबार में अर्जी लगाने से निसंतानों को संतान की प्राप्ति होती हैं वहीं लोगों के हर कष्ट का निवारण भी होता है। स्वयम्भू माता शीतला की मूर्ति पत्थर की है जिसका उद्भव धरती से हुआ है। माता शीतला की उद्भव की कहानी के अनुसार यह स्थान घनघोर जंगल से घिरा हुआ था, जिसमें एक व्यक्ति लकड़ी काटने गया। लकड़ी काटने के दौरान उसकी कुल्हाड़ी एक पत्थर से लग जाने के कारण उस कुल्हाड़ी का धार टूट गया। वह आदमी वहीं पर एक टीले नुमा पत्थर से अपने कुल्हाड़ी की धार तेज करने लगा तो उस पत्थर से रक्त जैसा तरल पदार्थ निकलने लगा जिससे वह घबरा कर अपने घर वापस चला गया।

 

रात्रि में उसी व्यक्ति को स्वप्न आया कि जिस पत्थर से रक्त निकल रहा था वह कोई सामान्य पत्थर नहीं अपितु आदि शक्ति शीतला हूं। उस व्यक्ति ने स्वप्न की चर्चा लोगों से की तो मोखला मांझी नामक व्यक्ति ने सर्वप्रथम उस शिला की पूजा की व एक झोपड़ी बना कर उसे मंदिर का रूप दिया। मोखला मांझी के वंशज अंत तक माता की पूजा करते रहे,जुझारू मांझी अंतिम वंशज थे जिन्होंने पूजा अर्चना की। आज झोपड़ी नुमा मंदिर विशाल और भव्य मंदिर का रूप ले चुका है,और माता का दरबार हजारों श्रद्धलुओं से भरा नजर आता है। लोग माता से आशीर्वाद लेने आते हैं और माता भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है...

कहते हैं कि आप सच्चे मन से भक्त माता से कुछ मांगे तो वह आपकी मुराद अपने मुकुट का चावल और फूल गिरा के पूर्ण करने का संकेत देती है...

 वर्तमान में मंदिर में तुकाराम बैस माता के पुजारी हैं और मंदिर के संचालन के लिए एक ट्रस्ट बनाया गया है। अध्यक्ष कैलाश पवार,कोषाध्यक्ष नोहर साहू, महासचिव नेमसिंह बिसेन, सचिव बुधेश्वर साहू, सह सचिव नरेंद्र नाग, नारद निषाद सहित सरंक्षक गणों की नियुक्ति माता के अनुमति से किया गया है। नवरात्र में माता के दरबार मे 2047 ज्योत जगमगा रहे हैं। पंचमी के अवसर पर भक्तों की भीड़ के लिए विशेष भंडारे का आयोजन किया गया था।