देश के कई राज्यों में भाषा को लेकर अलगाववादी सोच है और भारत को टुकड़ों में बांटकर स्थानीय राजनीतिक नेता अपना एजेंडा सेट कर रहे हैं, जो देशहित में सही नहीं है।

In many states of the country

देश के कई राज्यों में भाषा को लेकर अलगाववादी सोच है और भारत को टुकड़ों में बांटकर स्थानीय राजनीतिक नेता अपना एजेंडा सेट कर रहे हैं, जो देशहित में सही नहीं है।
देश के कई राज्यों में भाषा को लेकर अलगाववादी सोच है और भारत को टुकड़ों में बांटकर स्थानीय राजनीतिक नेता अपना एजेंडा सेट कर रहे हैं, जो देशहित में सही नहीं है।

NBL, 15/03/2023, Lokeshwer Prasad Verma Raipur CG: In many states of the country, there is separatist thinking regarding language and local political leaders are setting their agenda by dividing India into pieces, which is not right in the interest of the country.

भारत देश अपने गोद में अनेको प्रकार के भाषा बोली व जाति धर्म संप्रदाय संस्कृति के लोगों को स्थान दिया है, और यही भारत की महान खुबशुरती है, और इन्ही सब को जोड़ती है हिंदी भाषा जो देश के अन्य राज्यों के उनके अपनी स्थानीय भाषा को त्याग कर दूसरे अन्य राज्यों के लोगों के साथ हिन्दी भाषा में बोली जाती है, भले ही टूटी फूटी में बोले हिंदी लेकिन देश के सभी राज्यों के लोगों का काम चल जाता है हिन्दी भाषा बोलने से इसलिए हिन्दी भाषा को संपूर्ण भारत की राष्ट्रीय भाषा मानी गई है।

लेकिन भारत देश के बहुत से राज्यों में स्थानीय भाषा का प्रयोग जनरलीय हो गया है, जहाँ पर राष्ट्रीय हिन्दी भाषा का स्थान शून्य के बराबर हो गया है, जैसे वेस्ट बन्गाल में बन्गला भाषा और वहाँ भी आपको हिन्दी भाषा में लिखे हुए एक भी शब्द आपको देखने को नही मिलेगा जो हिन्दी भाषी लोगों के लिए बहुत ही कठिन हो जाता है वहाँ की स्थानीय भाषा को समझना यही से समझ आ जाता है कि यह सब एक लोकल राजनीतिक नेताओ का एक एजेंडा है जो राजकीय भाषा हिन्दी का सम्मान नही हो पा रहे हैं। और देश को टुकड़े टुकड़े करने के लिए लगा हुआ है अपनी राजनीतिक स्वार्थ के लिए हमारी बोली हमारी जमीन हमारी सरकार बनी रहे, राष्ट्र के हित में यह हिन्दी भाषा विरोधी लोग कभी नही चाहेगा की हमारे स्थानीय क्षेत्र का जानकारी इन हिन्दी भाषा बोलने वाले लोगों को मिल सके। राष्ट्र के लोगों को ही राष्ट्र विरोधी बना रहे हैं ये स्थानीय लोकल क्षेत्र के राजनीतिक नेताओ के द्वारा जो देश के एकता को तोड़ने में लगा हुआ है। 

ऐसे ही देश के बहुत से राज्यों का हाल है, जैसे, ओडिसा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिल नाडु, केरल, कर्नाटक, पंजाब, जन्मु कश्मीर, महाराष्ट्र और देश के बहुत से राज्यो मे, जहाँ अपनी क्षेत्रीय भाषा के बल पर वहाँ की स्थानीय लोकल पार्टी के नेता अपनी राजसत्ता चलाना चाहते हैं, वह लोग तो यहाँ तक सोचते हैं कि हमारे लोकल पार्टी को देश के कानूनों की बंदिश नहीं रहता तो और अच्छा होता हम स्थानीय नेताओ के लिए और खास कर इनकी गंदी सोच तो देश के जाँच ऐजेसन्सियो के उपर रहती है, जैसे ED, CBI, IT, ये हमारे उपर कोई जाँच पड़ताल नहीं करते तो और अच्छा होता, हम खुले आम भ्रष्टाचार व घोटाले करते अपने राज्यों में और हमें रोकने वाले कोई नहीं होता तो और हमारे लिए अच्छा होता, हमी लोग अपने राज्य के करता धर्ता होते। 

अगर भारत देश के हर राज्य सोच ले की हमारे लोकल स्थानीय लोगों को ही कार्य करना है, देश के अन्य राज्यों के लोग हमारे राज्य में कार्य नही कर सकता तो क्या हाल होगा देश के लोगों का, जबकि यही हिन्दी भाषा विरोधी लोग भी तो देश के बहुत से राज्यों में कोई जज है कोई कलेक्टर है तो कोई बिजनेस वाले कई राज्यों के संस्थानों में कई प्रकार के कार्य करने वाले लोग भी तो है, तो इनके लिए क्या कहना चाहेगा ये हिन्दी भाषा विरोधी नारे लगाने वाले राज्य के लोग।

यह सब राजनीतिक फंडा है स्थानीय राजनीतिक नेताओ की गहरी साजिश है जो देश के एकता को भंग करने के लिए लगा हुआ है बोली भाषा के नाम पर और इस प्रकार के घिनौंनी कृत्य को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान में लेनी चाहिए यह बोली भाषा विरोधी नारे देश के अन्य राज्यों में जो खून खराबे हो रहे हैं उनको रोकना चाहिए यह जो हिन्दी भाषा बोलने वाले लोगो का हत्या हो रहा है उनको रोकना चाहिए और सख्त से सख्त कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए, ताकि देश की एकता को बोली भाषा के नाम पर भंग व भड़का न सके और देश में शांति बना रहे। और राष्ट्रीय भाषा हिन्दी को अनिवार्य रूप से स्थानीय भाषा के उपर लिखने का आदेश दिया जाय ताकि हिन्दी भाषा बोलने वाले लोगों को आसानी से स्थानीय शहर गली मोहल्ला व हर अपने जरूरत को समझ सके और राष्ट्रीय हिन्दी भाषा का सम्मान हो सके देश के हर राज्यों में, तभी इन स्थानीय लोगों की गंदी राजनीति का ढोल की पोल खुलेगा जो स्थानीय लोगों को स्थानीय भाषा के नाम पर देश को जोड़ने की जगह देश को तोड़ने में लगा हुआ है।