Gandhi Jayanti 2023 : रायपुर के इस मठ आए थे महात्मा गांधीजी, सभा कर दलितों को दिलाया मंदिर प्रवेश का हक....

आज गांधी जयंती है। गांधी जी की छत्तीसगढ़ से जुड़ी कुछ यादें है। आपको बता दे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पहली बार रायपुर में 103 साल पहले 1920 में पधारे थे, इसके पश्चात 90 साल पहले 1933 में भी आए थे। दो बार छत्तीसगढ़ में प्रवास के दौरान गांधीजी ने दुर्ग, धमतरी, बिलासपुर का दौरा करके देशभक्ति की अलख जगाई थी।

Gandhi Jayanti 2023 : रायपुर के इस मठ आए थे महात्मा गांधीजी, सभा कर दलितों को दिलाया मंदिर प्रवेश का हक....
Gandhi Jayanti 2023 : रायपुर के इस मठ आए थे महात्मा गांधीजी, सभा कर दलितों को दिलाया मंदिर प्रवेश का हक....

रायपुर। आज गांधी जयंती है। गांधी जी की छत्तीसगढ़ से जुड़ी कुछ यादें है। आपको बता दे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पहली बार रायपुर में 103 साल पहले 1920 में पधारे थे, इसके पश्चात 90 साल पहले 1933 में भी आए थे। दो बार छत्तीसगढ़ में प्रवास के दौरान गांधीजी ने दुर्ग, धमतरी, बिलासपुर का दौरा करके देशभक्ति की अलख जगाई थी।

आजादी से पहले महात्मा गांधी दो बार छत्तीसगढ़ के रायपुर आए। आज भी यहां वो जगहें मौजूद हैं, जहां महात्मा गांधी के कदम पड़े। यह जगहें वक्त बीतने के साथ पुरानी जरुर हुई हैं मगर यहां के लोगों में आज भी इसकी यादें ताजा हैं। पुरानी बस्ती स्थित जैतुसाव मठ में उन दिनों दलितों को प्रवेश नहीं दिया जाता था। साल 1933 में रायपुर आने के दौरान महात्मा गांधी ने यहां सभा ली। इस सभा में मौजूद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महादेव प्रसाद पांडे ने बताया कि तब मैं बच्चा था, गांधी जी ने मेरे सिर पर हाथ फेरा था।

आज भी मौजूद हैं वह कुआं

मठ में हुई सभा में महात्मा गांधी ने लोगों को छूआछूत मिटाने और दलितों के साथ मिल जुलकर रहने प्रेरित किया। यहीं पास में स्थित है बावली वाले हनुमान। सालों पहले यहां एक कुंड से भगवान हनुमान की तीन मुर्तियां निकलीं थीं। यह मुर्तियां यहां के मंदिरों में स्थापित हैं। स्थानिय निवासी और रिटायर शिक्षक डॉ रेवा राम यदु ने बताया कि सभा के बाद भीड़ के साथ महात्मगा गांधी आगे बढ़े, हनुमान मंदिर में प्रवेश किया। यहां उन्होंने दलितों को भी प्रवेश दिलाया। तब से यह मान्यता खत्म हुई अब मंदिर के दरवाजे हर वर्ग के लिए खुले हैं।

यहीं नजदीक एक कुआं भी है। इस कुंए से किसी भी दलित को पानी लेने की इजाजत नहीं थी। जब महात्मा गांधी को यह पता चला तो वह इस कुएं की तरफ भी बढ़े। एक दलित बच्ची से उन्होंने पानी निकालने को कहा। बच्ची ने पानी निकाला और पास ही मौजूद लोगों से इस पानी के पीकर छूआछूत का भेद खत्म किया। माना जाता है इस तरह से देश के बहुत से हिस्सों में लोगों के बीच मौजूद जाति के भेदभाव को खत्म करने गांधी ने आंदोलन किए। इतिहासविद डॉ रमेंद्र नाथ मिश्र का मानना है कि इसकी शुरूआत यहीं से  हुई।