छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच एक बार फिर '36 का आंकड़ा' बनता दिख रहा है, दो माइनिंग प्रॉजेक्ट्स को लेकर.

Chhattisgarh Chief Minister Bhupesh Baghel and his minister TS Singhdeo

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच एक बार फिर '36 का आंकड़ा' बनता दिख रहा है, दो माइनिंग प्रॉजेक्ट्स को लेकर.
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच एक बार फिर '36 का आंकड़ा' बनता दिख रहा है, दो माइनिंग प्रॉजेक्ट्स को लेकर.

NBL, 07/06/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. Chhattisgarh Chief Minister Bhupesh Baghel and his minister TS Singhdeo are once again making a '36 figure', regarding two mining projects.

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच एक बार फिर '36 का आंकड़ा' बनता दिख रहा है। दो माइनिंग प्रॉजेक्ट्स को लेकर दोनों नेता आमने-सामने आ गए हैं, पढ़े विस्तार से... 

हसदेव अरण्य क्षेत्र में दो माइनिंग प्रॉजेक्ट्स का विरोध करने वालों पर भूपेश बघेल के बरसने के बाद टीएस सिंहदेव सरगुजा में चल रहे प्रदर्शन में सोमवार को शामिल हो गए। उन्होंने सीधी चुनौती देते हुए कहा कि यदि कोई प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग करता है तो गोली खाने वाला मैं पहला व्यक्ति होऊंगा।

सिंहदेव ने अपने निर्वाचन क्षेत्र सरगुजा के उदयपुर विकास खंड स्थित घाटबर्रा, हरिहरपुर, सलही और बसान गांव का दौरा किया, जहां खनन के लिए दो माइनिंग प्रॉजेक्ट्स को मंजूरी दी गई है। सिंघदेव ने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि वह इस जंग में उनके साथ हैं और उनके लिए लड़ने वालों में आगे रहेंगे। शनिवार को बघेल ने कहा कि जो लोग माइनिंग प्रॉजेक्ट का विरोध कर रहे हैं, उन्हें पहले अपने घर की बिजली बंद कर लेनी चाहिए।

सिंहदेव ने हरिहरपुर गांव में कहा, ''हाल ही में गुजरात के एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने मुझे बताया कि छत्तीसगढ़ में जो रहा है उसका गुजरात में असर है और यदि हम गुजरात में लड़ना चाहते हैं... हमें यह समझना है कि इसका (विरोध) वहां असर है। यह आपके विरोध की वजह से है.... लेकिन सिर्फ विरोध आपके जमीन की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं करेगा। एकजुट हो जाओ और यदि कोई बंदूक लेकर आता है तो मैं पहली गोली खाऊंगा।''

सिंहदेव ने आगे कहा कि जब ग्रामीण कह रहे हैं ग्राम सभा (जिसमें खनन के लिए मंजूरी दी गई) फर्जी था, तब इसे स्वीकार किया जाए और जांच की जाए। उन्होंने कहा, ''यदि हमें कोयले की जरूरत है तो जंगल की जमीन के बजाय मैदानी इलाका लिया जाए। जब हमारे पास 80 साल का कोल रिजर्व है और फैसला लिया गया है कि 2030 तक हम बिजली उत्पादन के लिए कोयले पर निर्भरता खत्म कर देंगे तो हमें घने जंगल को क्यों खत्म करना चाहिए। मैं मानता हूं कि इस (खनन) पर दोबारा विचार किया जाए। यदि हमने हसदेव जंगल को बिजली की जरूरत के लिए नष्ट कर दिया तो इसका हमारे पर्यावरण पर बहुत असर होगा।''

इससे पहले मार्च-अप्रैल में भूपेश बघेल की अगुआई वाली कांग्रेस सरकार ने हसदेव अरण्य जंगल में खनन प्रॉजेक्ट्स को मंजूरी दी थी। दोनों प्रॉजेक्ट्स का क्षेत्रफल 1136.32 और 841.53 हेक्टेयर है। इन प्रॉजेक्ट्स को राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को दिया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस खनन प्रॉजेक्ट्स के लिए करीब 4.5 से 5 लाख पेड़ों को काटा जाएगा। आदिवासी समुदाय इस क्षेत्र में खनन गतिविधियों के खिलाफ करीब एक दशक से विरोध कर रहा है।