भूपेश सरकार का एक और भ्रष्टाचार उजागर, बच्चों के निवाले पर डाला डाका......

भूपेश सरकार का एक और भ्रष्टाचार उजागर, बच्चों के निवाले पर डाला डाका......
भूपेश सरकार का एक और भ्रष्टाचार उजागर, बच्चों के निवाले पर डाला डाका......

भूपेश सरकार का एक और भ्रष्टाचार उजागर, बच्चों के निवाले पर डाला डाका

*भूपेश बघेल में चुनाव दौरे में मस्त, आला अधिकारी भ्रष्टाचार में व्यस्त - तरुणा साबे

सी-मार्ट की आड़ में स्कूल शिक्षा विभाग में हुआ खुला भ्रष्टाचार, "आप" ने की जांच की मांग

"आप" बस्तर लोकसभा सचिव तरुणा साबे ने भूपेश सरकार पर खड़े किए सवाल, कहा- भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा बच्चों का निवाला


जगदलपुर। छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार का एक घोटाला और भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। इस बार सरकार ने बच्चों के राशन पर डाका डालने का काम किया है। मामले को लेकर आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय परिषद के सदस्य और बस्तर लोकसभा सचिव तरुणा साबे ने भूपेश सरकार को घेरते हुए कहा कि आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि साल 2022 में प्रोग्राम अप्रूवल बोर्ड की बैठक हुई। बैठक में प्रधानमंत्री पोषण योजना (मध्याह्न भोजन योजना) का अनुमोदन भी कराया गया, लेकिन भूपेश सरकार की लापरवाही का आलम देखिए कि सोया चिक्की वितरण का प्रस्ताव तो मई 2022 में भेज दिया गया। बावजूद इसके सालभर तक प्रदेश की भूपेश सरकार के अधिकारी और विभागीय मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम ने फाइल को अटकाए रखा और इतने समय तक बच्चों को पोषण से वंचित किया गया। 

तरुणा ने बताया कि तकरीबन साल भर बाद जब मामले का खुलासा हुआ, तब 15 मार्च 2023 को लोक शिक्षण संचनालय द्वारा 7 की जगह 12 जिलों में सोया चक्की के स्थान पर मिलेट्स आधारित खाद्य पदार्थ छात्र-छात्राओं को बांटने के निर्देश जारी कर दिए गए, लेकिन इसमें भी भूपेश सरकार ने भ्रष्टाचार करने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा कि निर्देश स्पष्ट रूप से कहा गया था कि स्थानीय स्तर पर स्व सहायता समूह के माध्यम से वन विभाग द्वारा उपार्जित सामग्री से खाद्य पदार्थ छात्र-छात्राओं को बाटा जाना चाहिए, लेकिन भूपेश सरकार के अधिकारियों ने स्व सहायता समूह की जगह पर सी-मार्ट से मिलेट चिक्की 12 जिलों के लिए खरीद लिया।

 जबकि लोक शिक्षण संचनालय द्वारा आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया कि स्थानीय स्व-सहायता समूहों के माध्यम से ही खरीदा जाना चाहिए, बावजूद इसके आदेश को दरकिनार करते हुए आला अफसरों ने 12 जिलों में सी-मार्ट के माध्यम से खरीदकर व्यापारियों को बांट दिया। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिन व्यापारियों के माध्यम से योजना का पैसा खर्च कर रहे क्या उसके पास लाइसेंस व उत्पादकता है। इसके अलावा भूपेश सरकार के भ्रष्टाचारी अधिकारियों को या नहीं समझ में आया कि आने वाले महीने में अध्ययन शाला में गर्मी की छुट्टियां होने वाली है और बच्चे इस दौरान स्कूल नहीं आएंगे, तो ऐसे में कैसे बच्चों को मिलेट्स फूड दिया जाएगा। उन्होंने सवाल खड़े करते हुए भूपेश सरकार से पूछा कि क्या शिक्षा विभाग 12 जिलों में 30 अप्रैल तक 30 करोड़ रूपए का मिलेट्स फूड में खर्च कर लेगा। 

तरुणा साबे ने कहा कि प्रदेश की भूपेश सरकार भ्रष्टाचार की सरकार है। मिलेटस फूड्स का वितरण स्कूलों के सत्र शुरु होते ही किया जाना था, लेकिन सरकार की लापरवाही के कारण इसे शुरु नहीं किया गया। बच्चों और उनके साथ खिलवाड़ किया गया। उन्होंने कहा कि जिन व्यापारियों के माध्यम से यह कार्य किया जा रहा है क्या उनके पास उद्योग विभाग से मिलेट चिक्की उत्पादन का लाइसेंस है कि नहीं, यदि है तो उनकी उत्पादन क्षमता क्या है, इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि एक महीने के अंदर 30 करोड़ मिलेट चिक्की उत्पादन करने की क्षमता नहीं है। न ही प्रदेश में कोई ऐसी यूनिट है। आगे तरुणा ने कहा कि हम प्रशासन से पूरे मामले की जांच की मांग करते हैं।