विदेशी मुल्को के द्वारा हिंदुस्तान दो हजार वर्षों से गुलामी को क्यों झेला, इसका मुख्य कारण है, " जाति वर्ण " व्यवस्था के उच्च वर्ग और निम्न वर्ग के कारण ही भारत सदियों से गुलाम बना रहा?

The main reason why India suffered slavery for two

विदेशी मुल्को के द्वारा हिंदुस्तान दो हजार वर्षों से गुलामी को क्यों झेला, इसका मुख्य कारण है,
विदेशी मुल्को के द्वारा हिंदुस्तान दो हजार वर्षों से गुलामी को क्यों झेला, इसका मुख्य कारण है, " जाति वर्ण " व्यवस्था के उच्च वर्ग और निम्न वर्ग के कारण ही भारत सदियों से गुलाम बना रहा?

NBL, 06/10/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. The main reason why India suffered slavery for two thousand years by foreign countries, is because of the upper class and lower class of the "caste varna" system, India remained enslaved for centuries?

आज मनुस्मृति ग्रंथ के बारे में कुछ भी अनाप शनाप बयान देते रहते हैं, जबकि मनुस्मृति में जाति वर्ण वर्ग का भेद उनके कर्मो के अनुसार बताया गया है, ना की जाति विशेष को कोई उच्च दर्जा दिया है, पढ़े आगे विस्तार से... 

मनु कहते हैं- जन्मना जायते शूद्र: कर्मणा द्विज उच्यते। अर्थात जन्म से सभी शूद्र होते हैं और कर्म से ही वे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र बनते हैं। वर्तमान दौर में ‘मनुवाद’ शब्द को नकारात्मक अर्थों में लिया जा रहा है। ब्राह्मणवाद को भी मनुवाद के ही पर्यायवाची के रूप में उपयोग किया जाता है। वास्तविकता में तो मनुवाद की रट लगाने वाले लोग मनु अथवा मनुस्मृति के बारे में जानते ही नहीं है या फिर अपने निहित स्वार्थों के लिए मनुवाद का राग अलापते रहते हैं। दरअसल, जिस जाति व्यवस्था के लिए मनुस्मृति को दोषी ठहराया जाता है, उसमें जातिवाद का उल्लेख तक नहीं है। 

जब हम बार-बार मनुवाद शब्द सुनते हैं तो हमारे मन में भी सवाल कौंधता है कि आखिर यह मनुवाद है क्या? महर्षि मनु मानव संविधान के प्रथम प्रवक्ता और आदि शासक माने जाते हैं। मनु की संतान होने के कारण ही मनुष्यों को मानव या मनुष्य कहा जाता है। अर्थात मनु की संतान ही मनुष्य है। सृष्टि के सभी प्राणियों में एकमात्र मनुष्य ही है जिसे विचारशक्ति प्राप्त है। मनु ने मनुस्मृ‍ति में समाज संचालन के लिए जो व्यवस्थाएं दी हैं, उसे ही सकारात्मक अर्थों में मनुवाद कहा जा सकता है। 

कुछ स्वार्थी किस्म के लोगों के द्वारा मनुस्मृति गर्न्थो का दुरूपयोग किया गया है, अब आप बताइये और ज़रा सोचिए क्या भगवान के अंग भाग के चार स्थान भाग से मनुष्यों का जन्म हुआ होगा वह भी जाति वर्ण वर्ग के साथ, ये तो सरासर भटकावा है, लोगों को बेवकूफ बनाने वाली बात है, यही मुर्ख बनाने वाले लोग कहते हैं, भगवान के मुख से ब्राह्मण, बाँह से छत्रीय, और जंघा से वैश्य और पाँव से शुद्र ये सब सुनकर बहुत अजीब सा नहीं लगता है आपको और ये कैसी विडम्बना है जो सच मान लिया गया है। 

जबकि आप सदियों से सुनते व देखते आ रहे हैं, एक स्त्री के गर्भ से मनुष्य का जन्म होता है, और इनके सहयोगी पुरुष होते हैं, दोनों के संम्बध स्थापित करने पर वीर्य के अंडाणु और शुक्राणु के निषेचन से गर्भ में बच्चे का निर्माण होता है, और स्त्री उस बच्चे को नौ महीने तक अपने गर्भ में रखती है, तब कही जाकर बच्चे पैदा होते हैं। 

लेकिन भगवान का ये चार वर्ण वर्ग को अपने अंग से पैदा करना बिल्कुल भी सही नहीं है, क्या भगवान के अंग में चार भग थे यानी की चार स्त्री थे तो पुरुष कौन थे स्वयं भगवान ही स्त्री पुरुष तो नहीं थे, तो ये साजिस करता भगवान को भी बदनाम करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ा जबकि भगवान का स्थायी स्वरूप नहीं है, भगवान तो स्वयं ब्रम्हांड है, उनके कोई एक रूप नहीं है, मनुष्य की तरह, वह निराकार है, आप जिस रूप में देखो आपको भगवान दिखेगी और जो मनुष्य जन्म लेती है और मरती है वह भी भगवान की प्रकृति स्वरूप है, जो अनवरत जैसे आप आज देख रहे हो वैसी ही, सदियों तक चलते आ रहे हैं, ये भगवान के अंग से पैदा होना बेबुनियाद कहानी है, जो स्वयं भगवान के प्रति सम्मान को कम करती है, इन साजिस कर्ता मुर्ख लोगों के कारण जबकि भगवान स्वयं प्रकृति ब्रम्हांड अजेय अमर अखंड है। 

अब आपको जाती वर्ण वर्ग शब्द का उल्लेख करते हुए आगे बढ़ रहा हूँ,  क्यों गुलाम थे हम हिंदुस्तानी लोग इन विदेशियों  लुटेरो से इसके मुख्य कारणों को चलो जानते है: पहले उच्च जाति कहलाये ब्राह्मण जो अपने आप को भगवान के मुख से पैदा होना समझते हैं, जो शुद्ध वर्ण पंडित अपने आप को मानते हैं, दूसरा हुआ छत्रीय जो भगवान के भुजा से अपना उत्पत्ति मानते हैं, जो शूरवीर व अपने आपको आज के राजपूत व राज पाठ चलाने वाले राजा मानते हैं, तीसरा भगवान के अंग जांघ से पैदा लिया अपने आप को मानते हैं वह है वैश्य यानी की व्यापारी और चौथा भगवान के पाँव से पैदा लिया जो शुद्र कहलाये यानी की नीच यानी की आज इसे दलित कहते हैं। यही से शुरू हुआ भेद भाव और यही से शुरू हुआ अन्याय अनीति अत्याचार वर्ण वर्ग के अनुसार उच्च नीच्च का खेल शुरू हुआ, और इसका असर पूरे हिंदुस्तान मे हुआ और इन्ही वर्ण वर्ग भेदों के कारण भारत देश कमजोर पड़ गया और इसका भरपूर फ़ायदा उठाया विदेशी लुटेरो ने। 

अब फायदा कैसे उठाया ये विदेशी लुटेरा इस पर चर्चा करते हैं: जाति वर्ण वर्ग मे बड़ा हो गया ब्राह्मण, जो देवी देवता, पोथी पुराण व अन्य धार्मिक स्थलों का पूजा पाठ व ज्ञानी गुरु सब अपने से बन गया जो कहे ये वो सारी बात सत्य है क्योकि ये भगवान के मुख से पैदा लिया। यहाँ तक क्षत्रिय राजा शूरवीर भी इनके पैर पकड़ कर इनके चरणों मे नतमस्तक हो जाते थे, शुभ हानि क्रिया कर्म दिशा काल समय का ज्ञान इन्ही पंडितों से लेता था, तब ये क्षत्रिय राजा आगे बढ़ता था, और वैश्य इनके राज्य मे व्यापार करते थे मनुष्य के जीवकोपार्जन की जरूरतों को बेचता था गुड़, नमक, व अन्य वस्तु सोना, चांदी, हीरा मोती, आदि आदि। 

अब रह गया शुद्र इनको अपने घर, के कपड़े कुचा मैला, गंदगी और खेती बाड़ी खेत खलिहान के साथ साथ अपने राज्य मे इनके आवाज को दबाकर रखना इनके कामो का सही मूल्य ना देना, इनके उपर अत्याचार करना, इनके बहु बेटी के साथ अन्याय करना और पंडितों द्वारा अत्याचार करना मंदिर में पूजा पाठ न करने देना गुरुकुल में विद्या ग्रहण न करने देना इनके साथ व्यापारी भी अन्याय करता था एक रुपये के वस्तु को दो रुपये में बेचना इन दलितों को क्या क्या यातनाएं नहीं दी इन लोगों ने, इसलिए विदेशी लुटेरा जब हिंदुस्तान में आता था तो इन दलित शूद्रो को कोई लेना देना नहीं रखता था देश राज्य हित के लिए, क्योकि इनके साथ इतना अन्याय किया रहता था इन तीनों वर्णो के लोगों के द्वारा की कौन अच्छा कौन बुरा का ज्ञान ही नहीं होता था इन शूद्रो को, जो वर्तमान के हालात हमारे खराब है, तो भविष्य में क्या सुधार होगा, जैसे अभी दलित पीड़ित है, वैसे ही इन विदेशी लुटेरो के समय भी रहेंगे इस कारण से ये उन विदेशी लुटेरो के सामने विरोध करने ये दलित समाज के लोग आगे नहीं आते थे। जबकि इस दलित समाज की जनसंख्या आबादी बहुत ही बड़ा था, अगर ये लोग सहयोग करते तो विदेशी आक्रांता हिंदुस्तान में टिक नहीं पाते लेकिन ये बेचारे दलित समाज के लोग करे तो करे क्या इनको तो हर क्षेत्र से बाहर ही कर देते थे, ये तीनों वर्णो के लोग तो कहा से ये सब कर पाते भूख बेकारी अज्ञानी दलित लोग। यही हिंदुस्तान का बहुत बड़ा दुर्भाग्य है, और ये तीन उच्च वर्ग वर्णो के कारण ही भारत देश गुलाम रहा, जबकि भारत देश में बहुत बड़ी दलित आबादी का दुरूपयो किया गया इन उच्च वर्णो के द्वारा शोषित करके, जबकि यह शुद्र वर्ण भी भगवान का ही एक अंश है, एक मनुष्य है, इनके रगो मे भी खून है, इनको भी भगवान ने आप तीन उच्च वर्ण वर्ग के समान शरीर दिया है, लेकिन स्वार्थी लोग इनको दुर्बल बना दिया यही इनके दुर्बलता को देखते हुए हिंदुस्तान को बार बार लुटा गया। 

आज इन शूद्रो का सबसे बड़ा मशीहा है, डाक्टर भीम राव अम्बेडकर जो सही मायने में इनको आजादी दिलाई, और इनके हितों के लिए सर्व धर्म समाज के लोगों के बीच लाए और आज इन दलित समाज के लोग भी सभी उच्च पदों पर आसीन हो रहे हैं, यही देश के लिए बहुत बड़ी सौभाग्य है, और अब सब सही हो रहा है, और एकता के साथ साथ देश प्रेम के लिए भी जगह इनके दिलो में बन रही है, अब देश सही मायने में विकास कर रहे हैं, अब देश ताकतवर बन रहे, कुछ मतभेद अभी भी बाकी है इन दलितों के उपर उनको अब जड़ से मिटा दो और सर्व धर्म समाज एक हो जाओ और एक ही धर्म स्थापित करो राष्ट्र धर्म, मानव धर्म जाति मे भेद करने का वक्त अब समाप्त करो, मानव से मानव प्रेम करो। 

जो मनुस्मृति के कानून कायदे का दुरूपयोग किया वह सब अज्ञानी लोग किया अपने निजी स्वार्थ हित के लिए जबकि मनुस्मृति कोई भी वर्ण वर्ग को उच्च स्थान नहीं दिया और दिया तो वह है कर्म को बड़ा स्थान दिया, जो आज भी इन कर्मो के अनुसार उनको ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र के उपाधि दे सकते हैं। इसलिए मनुस्मृति ग्रंथ का सही अध्ययन करे और लोगों को सही बताएं की मनुस्मृति हिंदू धर्म की मानवीय मूल्यों के लिए उचित कानून है और इस ग्रंथ मे कोई मानव व्यक्ति विशेष भेद भाव नहीं है जैसे आज सर्व धर्म के लोगों के लिए डाक्टर भीम राव अम्बेडकर जी ने संविधान कानून बनाया वैसी ही मनुस्मृति है।