हमारा काम लोगों को सुख शांति पहुंचाना क्योंकि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से आप सब हमारे बच्चे हो - सन्त उमाकान्त महाराज

हमारा काम लोगों को सुख शांति पहुंचाना क्योंकि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से आप सब हमारे बच्चे हो - सन्त उमाकान्त महाराज
हमारा काम लोगों को सुख शांति पहुंचाना क्योंकि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से आप सब हमारे बच्चे हो - सन्त उमाकान्त महाराज

हमारा काम लोगों को सुख शांति पहुंचाना क्योंकि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से आप सब हमारे बच्चे हो - सन्त उमाकान्त महाराज

संकट में दस बार जयगुरुदेव बोलते ही जान माल की रक्षा का कोई न कोई विकल्प रास्ता निकल जायेगा

उज्जैन (म.प्र.) : इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज  ने बक्सर (बिहार) बताया कि नाम दो तरह का होता है एक ध्वन्यात्मक और एक वर्णनात्मक। हमेशा दोनों नाम रहे। ये वक़्त के महापुरुष के ऊपर निर्भर करता है। नाम रहा संतन अधीना, सन्त बिना कोई नाम न चीन्हा। जैसे राम भगवान आए, राम नाम को उन्होंने जगाया। राम-राम जो लोग बोले उनकी मदद हुई। पत्थर पर राम नाम लिखा तो पत्थर तैरने लगे। कृष्ण आए, कृष्ण नाम में शक्ति भरा। कृष्ण-कृष्ण जहां जो लोग बोले उनकी रक्षा हुई। द्रौपदी, ग्रह को उबारा। तमाम ऐसे उदाहरण मिले। कबीर साहब जब आए तो सत साहब नाम जगाया। नानक साहब ने वाहेगुरु, शिवदयाल जी ने राधा स्वामी नाम और गुरु महाराज ने जयगुरुदेव नाम जगाया। यह जयगुरुदेव नाम इस वक्त का प्रभु का जगाया हुआ नाम है। कभी भी मुसीबत में पड़ जाओ, आंधी-तूफान, बीमारी में पड़ जाओ, कभी भी आपको कोई भी कष्ट हो, जयगुरुदेव नाम बोलना, 10 बार बोलते ही अंतर में, जान माल की रक्षा का कोई विकल्प, रास्ता निकलेगा।

मैं देख रहा हूं, काफी लोगों को परेशानी रहती हैं, उपाय ले लो

मैं देख रहा हूं इसी कार्यक्रम में आई हुई भारी भीड़) में काफी कुछ लोग परेशान हो। बीमारी, लड़ाई-झगड़ा, कोई न कोई परेशानी घर में बनी ही रहती है, रुपया-पैसा में बरकत नहीं होती है। कोई चैलेंज करो तो 50सों आदमीयों को बता दूंगा कि उनके घर में रोज झगड़ा होता है, रोज कुछ-कुछ (झगडा) होता है, बीमारी बनी रहती है। आप पता कर लो। सबके सामने नहीं बताये तो अकेले में पूछो जो बाबाजी ने तुम्हारे लिए कहा है वो सही है या गलत है? गलत निकल जाए तो हमारी एक बात मत मानना। सबको, कहां तक एक-एक को बताया जा सकता है (क्योंकि संगत अब बहुत बढ़ गयी है)? हमारा काम क्या है? सुख शांति लाना कि लोग सुखी रहें। हमारे गुरु महाराज कहा करते थे, हमारे कोई अपना बच्चा नहीं है लेकिन आध्यात्मिक दृष्टिकोण से तुम सबको अपना बच्चा मानता हूं। उन्हीं का काम मैं भी कर रहा हूं। मेरे भी कभी बीवी बच्चे नहीं रहे। मैं भी घर द्वार, कल-कारखाना नहीं खोला। मैं भी गुरु के पीछे-पीछे बचपन से ही लगा रहा। वही काम मैं भी कर रहा हूं। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से सब लोग मेरे बच्चे की तरह से ही हो। आपको सुखी देखना चाहता हूं लेकिन एक-एक को कम समय में कैसे बताया जा सकता है। एक बार में जो सबको बता दे रहा हूं, विश्वास के साथ करोगे तो फायदा आपको दिखने लग जाएगा। जिनके-जिनके यहां तकलीफ रहती हो, आप लोग जयगुरुदेव नाम की ध्वनि बोलना शुरू कर दो। 

जयगुरुदेव नाम ध्वनि बोलने, बुलवाने के फायदे

परिवार में जिनको नाम दान मिल गया है उनको सिमरन ध्यान भजन करना और जो परिवार के सदस्य नामदानी नहीं है, उनको सबको इकट्ठा करके जयगुरुदेव नाम की ध्वनि दोनों समय बुलवाना। धीरे-धीरे तकलीफ चली जाएगी। मैं बताने लगा लोगों को और लोग करने लग गए। लोग बताते हैं की बहुत तकलीफें कम हो गई, बीमारियां भी कम हो गई। रुपया पैसा भी अब मालूम पड़ता है, नहीं तो कमाई होती थी लेकिन पता ही नहीं चलता था कि कहां चला जाता है। कोई न कोई समस्या परेशानी बनी ही रहती थी। अभी खोजोगे तो इसी में मिल जाएंगे। पूरे परिवार को बुलवाते हैं, बोलते हैं। लेकिन गलती आप करते हो, जो कहा जाता है उसको करते नहीं हो। बस यही कहते हो दया दुआ हो जाए। फ्री फोकट में चाहते हो। थोड़ी मेहनत तुम करो, हम भी मेहनत करते हैं। 75वां साल हमारा लगने जा रहा है। दुबला पतला शरीर, गर्मी-ठंडी का असर जल्दी आता है। आपको बताने के लिए आया हूं। कुछ मेहनत मैं करता हूं, कुछ आप भी तो करो। यदि गांव के लोग जो इसमें बैठे हैं, मेरी बात समझ में न आवे तो आप जो पढ़े-लिखे लोग हो, आप भी थोड़ा परोपकार परमार्थ करना, इनको समझा दो कि ये जयगुरुदेव नाम की ध्वनि अपने घरों में रोज सुबह-शाम एक घंटा बोलना शुरू कर दें। ऐसे बोलना रहेगा- जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव।