NBL2022: तीन चीजे लम्बे समय तक छिपाई नही जा सकती:- सूर्य, चन्द्रमा और सत्य: गौतम बुद्ध.

NBL2022: Three things cannot be hidden for long:- Sun, Moon and Truth: Gautam Buddha.

NBL2022: तीन चीजे लम्बे समय तक छिपाई नही जा सकती:- सूर्य, चन्द्रमा और सत्य: गौतम बुद्ध.
NBL2022: तीन चीजे लम्बे समय तक छिपाई नही जा सकती:- सूर्य, चन्द्रमा और सत्य: गौतम बुद्ध.

NBL, 23/04/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. Raipur CG: Three things cannot be hidden for long:- Sun, Moon and Truth: Gautam Buddha.सत्य मानव की सबसे बड़ी शक्ति है। सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं हो सकता। हमारे देश में तो राजा हरिश्चन्द्र जैसे सत्यवादी हुए हैं,पढ़े विस्तार से...

जिनकी मिसाल आज तक दी जाती है। सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र ने सत्य के मार्ग पर चलने की प्रतिज्ञा की थी और आजीवन उसका पालन किया। उनका कहना था, ‘चन्द्र टरै, सूरज टरै, टरै जगत व्यवहार।’ पै दृढ़ हरिश्चन्द्र को टरै न सत्य विचार। 

सत्य का अर्थ है ‘सते हितम्’ अर्थात् जिसमें हित या कल्याण निहित हो। सत्य भूत, भविष्य एवं वर्तमान तीनों काल में एक सा रहता है तथा इससे यथार्थ का ज्ञान होता है। साधारण बातचीत में जो सच है, यथार्थ है उसे जानना, समझना, मानना, कहना एवं उसके अनुसार ही व्यवहार करना सत्य है। मानव बोध में सत्य के प्रति श्रद्धा एवं असत्य के प्रति घृणा स्वाभाविक रूप से पाई जाती है।सत्य  की पहचान वाणी और मन का यथार्थ होना सत्य की पहचान है अर्थात् जो मन में है, वही हम वाणी से बोलें। सत्य सरल एवं सीधे स्वभाव से कहा जाता है, जबकि झूठ बोलने वाले के मन में कपट भाव छिपा होता है। हमारे प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में सत्य की अनेकानेक विशेषताएं बताई गई हैं। महाराज मनु ने धर्म के दस लक्षण बताए हैं, जिनमें सत्य भी प्रमुख स्थान रखता है। ‘धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः। धीविद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्।।’ अर्थात् धैर्य, क्षमा, संयम, अस्तेय (चोरी न करना ), शौच ( अंतर्मन और शरीर की पवित्रता ), इन्द्रिय निग्रह (इन्द्रियों से धर्म सम्मन आचरण), धी ( सत् बुद्धि), विद्या, सत्य एवं अक्रोध यानी हमेशा शांत रहना।
सत्यमेव जयते नानृतम् अर्थात विजय सदैव केवल सत्य की ही होती है। सत्य ही धर्म है तथा जहां धर्म है वहीं विजय है।

महाभारत शांति पर्व में कहा गया है – ‘सत्यस्य वचनं श्रेयः’ यानि सत्य वाणी ही श्रेष्ठ है तथा ‘सत्यादपि हितं वदेत्’ अर्थात सत्यवाणी हित में ही बोली जानी चाहिए। आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश ग्रंथ की रचना का प्रयोजन स्पष्ट करते हुए कहा है कि जो सत्य है उसको सत्य और जो मिथ्या है उसको मिथ्या मानना ही सत्य अर्थ के प्रकाश को समझना है। सत्य की महिमा बताते हुए कहा गया है कि: – सांच बराबर तप नहीं, झूंठ बराबर पाप। जाके हृदय सांच है, ताके हृदय आप।।
 सत्य का आचरण सत्य का महत्व तब ही है जबकि सत्य को जीवन में मन, वचन, कर्म से स्वीकार किया जाये तथा प्रयोग किया जाये। सत्य की महिमा का बखान करना, सत्य के विषय में उपदेश देना जितना सरल है, जीवन में सत्य का आचरण करना उतना ही कठिन है। सत्य का आचरण करने वाला व्यक्ति ही सामाजिक जीवन में प्रतिष्ठा एवं सम्मान प्राप्त करता है। सत्य के आचरण के आधार पर ही हम एक-दूसरे पर विश्वास करते हैं। परस्पर विश्वास की नींव पर ही सम्पूर्ण समाज की रचना टिकी हुई है।

जीवन में सत्य का पालन कैसे करें सत्य का पालन करने के लिए सत्य का ज्ञान होना परम आवश्यक है। अक्सर देखने में आता है कि व्यक्ति अज्ञान, स्वार्थ, अहंकार, अंध विश्वास, हठ एवं दुराग्रह के चलते सत्य के रूप में असत्य ही बोलते रहता है। अज्ञानी व्यक्ति अपने अज्ञान के कारण असत्य को ही सत्य मान लेते हैं। अगर एक बर्तन में गोबर भरा हो तो कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति उस बर्तन में दूध नहीं डालेगा जब तक कि उसमें से गोबर पूरी तरह साफ नहीं दिया जाए। ठीक इसी प्रकार हमारे मन-मस्तिष्क में सत्य तभी समा सकेगा, जब हम उसमें से असत्य को बाहर निकाल देंगे। तात्पर्य यह है कि सत्य को ग्रहण करने के लिए आवश्यक है कि हम असत्य को पूरी तरह अपने जीवन से बाहर निकालना होगा।

सत्य पर सुविचार ‘तीन चीजें लंबे समय तक छिपाई नहीं जा सकतीं- सूर्य, चंद्रमा और सत्य।’ – बुद्ध ‘प्रकृति को समझें, प्रकृति सच्चाई की दोस्त है।’- एडवर्ड यंग

‘सच सूरज की तरह है आप इसे कुछ समय के लिए बंद कर सकते हैं, लेकिन इसे छुपाया नहीं जा सकता।’-  एल्विस प्रेस्ली

शिक्षा का लक्ष्य ज्ञान की प्रगति और सच्चाई का प्रसार है।’ -जॉन एफ कैनेडी ‘अगर आप सच्चाई बताते हैं, तो आपको कुछ भी याद रखना नहीं पड़ता है।’ – मार्क ट्वेन ‘कहा जाता है कि संघर्ष अच्छे और बुरे के बीच है जबकि असली संघर्ष सत्य और झूठ के बीच है।’- डॉन मिगुएल रुइज ‘नैतिकता चीजों का आधार है और सच्चाई नैतिकता का मूल तत्व है।’ – महात्मा गांधी ‘सबसे बड़ी सच्चाई ईमानदारी है, और सबसे बड़ा झूठ बेईमानी है।’ – अबू बक्र ‘आधा सच एक महान झूठ है।’- बेंजामिन फ्रैंकलिन ‘सच्चाई बुद्धि की पुस्तक का पहला अध्याय है।’ – थॉमस जेफरसन