आज भी एक जयचंद जैसे गद्दार सर्व धर्म समाज भारत के पवित्र भूमि में छुपे हुए है, जो महाराजा पृथ्वीराज चौहान जैसे देश भक्त मातृ भूमि रक्षक व सच्चे सपुत को मिटाने में लगा हुआ है.

Even today, a traitor like Jaichand, Sarva Dharma Samaj is..

आज भी एक जयचंद जैसे गद्दार सर्व धर्म समाज भारत के पवित्र भूमि में  छुपे हुए है, जो महाराजा पृथ्वीराज चौहान जैसे देश भक्त मातृ भूमि रक्षक व सच्चे सपुत को मिटाने में लगा हुआ है.
आज भी एक जयचंद जैसे गद्दार सर्व धर्म समाज भारत के पवित्र भूमि में छुपे हुए है, जो महाराजा पृथ्वीराज चौहान जैसे देश भक्त मातृ भूमि रक्षक व सच्चे सपुत को मिटाने में लगा हुआ है.

NBL, 22/04/2022, Lokeshwer Prasad Verma,.All INDIA: Even today, a traitor like Jaichand, Sarva Dharma Samaj is hiding in the holy land of India, which is engaged in eradicating the patriotic mother land protector and true son like Maharaja Prithviraj Chauhan.

जयचंद भारत में गद्दारी का सबसे बड़ा नाम जयचंद है तथा किसी भी धोखेबाज को जयचंद की ही संज्ञा दी जाती है, पढ़े विस्तार से.. 

भारत प्राचीन समय से समृद्ध और संपन्न देश रहा है। यही कारण है कि सदियों से भारतवर्ष पर विदेशी आक्रांताओं की नजर रही है। परन्तु भारत को विदेशी आक्रमणकारियों से ज्यादा देश में छुपे गद्दारों से खतरा रहा है। इन्हीं गद्दारों ने प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से विदेशी आक्रमणकारियों की सहायता कर भारत को नुकसान पहुँचाया है। यदि ये गद्दार देश से गद्दारी ना करते तो भारत आज भी “सोने की चिड़िया” होता। आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसे ही कुछ गद्दारों के बारे में :- जयचंद.. भारत में गद्दारी का सबसे बड़ा नाम जयचंद है तथा किसी भी धोखेबाज को जयचंद की ही संज्ञा दी जाती है। जयचंद और भारत के महान शासकों में से एक पृथ्वीराज चौहान के बीच पुरानी दुश्मनी थी। उन दोनों के बीच हुए युद्ध में पृथ्वीराज चौहान जयचंद को हरा चुके थे, इसके बाद भी जयचंद की पुत्री संयोगिता ने पृथ्वीराज चौहान को अपने पति के रूप में चुना। इससे जयचंद जलभुन गया और किसी भी कीमत पर पृथ्वीराज चौहान से बदला लेना चाहता था। इसी के चलते उसने मोहम्मद गोरी को पृथ्वीराज चौहान से युद्ध करने के लिए न्योता दिया तथा युद्ध में मोहम्मद गोरी की सहायता की। लेकिन बाद में मोहम्मद गोरी ने चंदावर के युद्ध में जयचंद की भी हत्या कर दी थी। जयचंद की इसी गद्दारी के चलते बाद में भारत में इस्लामी शासन की स्थापना हुई।

आम्भीकुमार.. जब यवन शासक सिकंदर (आलक्षेन्द्र) ने ई. पू. 327-26 में भारत पर आक्रमण किया, सिकंदर के सामने पहला राज्य तक्षशिला था। उस समय तक्षशिला का शासक आम्भीकुमार था। आम्भीकुमार पंजाब के शासक राजा पुरु या पोरस से ईर्ष्या करता था। यही कारण है कि सिकंदर के सिंधु नदी पार कर भारत में प्रवेश करने पर आम्भीकुमार ने सिकंदर को आगे के अभियानों के लिए अपने 5 हजार योद्धा भेंट किये तथा सिकंदर को पुरु के साथ किये गए ऐतिहासिक हाइडेस्पीज के युद्ध में भी सहायता की। इस प्रकार आम्भी को भारत के इतिहास का पहला गद्दार कहा जाता है।

मीर जाफर. . मीर जाफर गद्दारी का एक बहुत बड़ा उदहारण है, क्योंकि उसके राज को भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद की शुरुआत माना जाता है। मीर जाफर के कारण ही अंग्रेजों को प्लासी के युद्ध में विजय प्राप्त हुई। प्लासी मुर्शिदाबाद के दक्षिण में 22 मील दूर नादिया जिले में गंगा नदी के किनारे स्थित है। उस युद्ध में एक और बंगाल का नवाब सिराज़ुद्दौला था तो दूसरी और था रॉबर्ट क्लाइव। अंग्रेजों ने इस युद्ध को बंगाल के सेनापति मीर जाफर की गद्दारी के दम पर जीता था और इस प्रकार भारत में अंग्रेजी सत्ता की शुरुआत हुई।

जयाजीराव सिंधिया. . भारत में अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ पहला सशक्त विद्रोह 1857 में हुआ था, जिसे पहला स्वतंत्रता संग्राम भी कहा जाता है। इस युद्ध में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई एक सशक्त नेतृत्व प्रदान कर रही थी। जब झाँसी पर अंग्रेजों ने कब्ज़ा कर लिया, तब रानी लक्ष्मीबाई ग्वालियर पहुंची तथा वहां ग्वालियर के सैनिकों की सहायता से ग्वालियर के किले पर अधिकार कर लिया। लेकिन ग्वालियर के राजा जयाजीराव सिंधिया ने अंग्रेजों का साथ देकर रानी लक्ष्मीबाई और स्वातंत्र्य वीरों को हराने में सहायता की। अंग्रेजों ने इस वफादारी और देश से गद्दारी के लिए जयाजीराव को “नाइट्स ग्रैंड कमान्डर” के खि़ताब से सम्मानित किया।

भारत का इतिहास कई महान योद्धाओं और देशभक्तों से भरा पड़ा है, वहीं इतिहास में ऐसे गद्दार भी कम नहीं है, जिन्होंने किसी न किसी लालच के चलते देश को धोखा दिया है। आज भी भारत में ऐसे गद्दार मौजूद हैं, जो देश को हानि पहुंचाना चाहते हैं, बस आवश्यकता है तो इन्हें पहचानने की।