CG Farmer Success Story : फसल की देखभाल के लिए छत्तीसगढ़ का किसान खरीद रहा 7 करोड़ का हेलीकॉप्टर,टर्न ओवर और कमाई सुनकर उड़ जाएंगे होश…

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कोंडागांव जिले के रहने वाले उन्नत किसान राजाराम त्रिपाठी (Rajaram Tripathi) अपने एक हजार एकड़ खेती की देखभाल के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं.

CG Farmer Success Story : फसल की देखभाल के लिए छत्तीसगढ़ का किसान खरीद रहा 7 करोड़ का हेलीकॉप्टर,टर्न ओवर और कमाई  सुनकर उड़ जाएंगे होश…
CG Farmer Success Story : फसल की देखभाल के लिए छत्तीसगढ़ का किसान खरीद रहा 7 करोड़ का हेलीकॉप्टर,टर्न ओवर और कमाई सुनकर उड़ जाएंगे होश…

नया भारत डेस्क : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कोंडागांव जिले के रहने वाले उन्नत किसान राजाराम त्रिपाठी (Rajaram Tripathi) अपने एक हजार एकड़ खेती की देखभाल के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं. राजाराम त्रिपाठी प्रदेश के पहले ऐसे किसान हैं जो हेलीकॉप्टर खरीद रहे हैं. 7 करोड़ की लागत से खरीदे जा रहे हेलीकॉप्टर के लिए उन्होंने हॉलैंड की रॉबिन्सन कंपनी से डील भी कर ली है. साल भर के अंदर उनके पास R-44 मॉडल की 4 सीटर हेलीकॉप्टर भी आ जाएगा.

 

 

बैंक की नौकरी छोड़ बने किसान

कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद राजाराम त्रिपाठी को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में प्रोबेशनर ऑफिसर के रूप नौकरी मिली थी। उनकी पोस्टिंग कोंडागांव में हुई थी। 1996 में राजाराम त्रिपाठी ने पांच एकड़ में सब्जी की खेती शुरू की थी। उन्होंने मूसली और अश्वगंधा से इसकी शुरुआत की। खेती के दौरान उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ तो बैंक की नौकरी छोड़ दी। इसके बाद से राजाराम त्रिपाठी लगातार खेती कार्य में लगे हुए हैं। राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि उनका पूरा परिवार खेती-बाड़ी पर निर्भर है। कई साल पहले अपनी बैंक की नौकरी छोड़ वे लंबे समय से खेती-बाड़ी करते आ रहे हैं।

 

बना ली है अपनी कंपनी, सब हैं सीईओ

किसान राजाराम त्रिपाठी चार सौ आदिवासियों को साथ लेकर एक हजार एकड़ में सफेद मूसली, काली मिर्च और जड़ी बूटियों की खेती करते हैं। इसके बाद उन्होंने अपनी एक कंपनी बना ली है। इसका नाम मां दंतेश्वरी हर्बल समूह है। कंपनी का टर्नओवर 25 करोड़ है। कंपनी अमेरिकी और यूरोपीय देशों में काली मिर्च का निर्यात करता है। खेती के लिए वह ऑस्ट्रेलियन ट्रिक का इस्तेमाल करते हैं। भारत सरकार उन्हें देश के सर्वेश्रेष्ठ किसान ऑवर्ड से सम्मानित कर चुकी है। वह खेती कार्य में उपयोग होने वाले तकनीक को विदेश जाकर देखते रहते हैं।

 

हेलीकॉप्टर से खेती का आइडिया?

किसान राजाराम ने बताया कि अपने इंग्लैंड और जर्मनी प्रवास के दौरान वहां उन्होंने देखा कि दवा और खाद के छिड़काव के लिए हेलीकॉप्टर का उपयोग हो रहा है, और काफी बेहतर तरीके से इसका रिजल्ट भी मिल रहा है, बस इसी को ध्यान में रखकर उन्होंने अपने किसान समूह के 1 हजार एकड़ के साथ आसपास के खेती वाले इलाकों में हेलीकॉप्टर से ही खेतो की देखभाल करने की ठानी और हेलीकॉप्टर खरीदने का पूरी तरह से मन बना लिया और हॉलैंड की रॉबिंसन कंपनी से डील भी कर लिया।

 

दवा छिड़काव में करेंगे हेलीकॉप्टर का उपयोग

डॉ. राजाराम त्रिपाठी के मुताबिक, इंग्लैंड और जर्मनी प्रवास के दौरान उन्होंने देखा कि दवा और खाद के छिड़काव में हेलीकॉप्टर का उपयोग हो रहा है। अपने समूह के एक हजार एकड़ के साथ आसपास के खेती वाले जिलों में इस हेलीकॉप्टर का उपयोग करना चाहते हैं। इसके लिए वह कस्टमाइज हेलीकॉप्टर बनवा रहे हैं, ताकि मशीन भी लगवाई जा सके।

 

त्रिपाठी का कहना है कि फसल लेते समय कई प्रकार के कीड़े फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। हाथों से दवा छिड़काव से भी कई जगह दवा गिरनी छूट जाती है जिससे कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है, हेलीकॉप्टर से दवा छिड़काव से पर्याप्त मात्र में दवा डाली जा सकती है। हेलीकॉप्टर केवल उनके खेतों के लिए नहीं, बल्कि आसपास के किसानों के भी काम आ सकेगा।

 

उज्जैन की उड्डयन अकादमी से हेलीकॉप्टर उड़ाने की ले रहे ट्रेनिंग

राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि मैं मेरा बेटा और छोटा भाई उज्जैन स्थित उड्डयन अकादमी से हेलीकॉप्टर उड़ाने का प्रशिक्षण लेने जा रहे हैं। जहां से वे प्रशिक्षण लेने के बाद हेलीकॉप्टर से खेती की देखभाल करेंगे। उन्होंने बताया कि बस्तर में किसान की छवि नई पीढ़ी को खेती किसानी के लिए प्रेरित नहीं कर सकती। नई पीढ़ी के युवा आईटी कंपनी में नौकरी कर सकते हैं लेकिन वह खेती को उद्यम बनाने का प्रयास नहीं करते। इसी सोच को बदलने के लिए वह हेलीकॉप्टर खरीद रहे हैं। ताकि युवा पीढ़ी में खेती किसानी को लेकर एक सकारात्मक सोच बन सके।

 

 

सालाना 25 करोड़ का टर्न ओवर

उन्होंने बताया कि उनके भाई और बच्चे भी नौकरी ना कर खेती किसानी कर रहे हैं और खेती बाड़ी से उनका काफी लगावभी है। उनके खेती-बाड़ी और दंतेश्वरी हर्बल समूह से उनका सालाना टर्न ओवर करीब 25 करोड़ रुपए है। अब उनके साथ साथ आसपास के आदिवासी किसान भी उन्नत किसान के श्रेणी में आ गए हैं, और उनके द्वारा भी हर्बल प्रोडक्ट का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें सफेद मूसली और बस्तर की जड़ी बूटी भी शामिल है. गौरतलब है कि उनके यही सोच की वजह से और खेती किसानी के लिए किए जा रहे हैं नए नए प्रयास और उससे मिल रही सफलता की वजह से राजाराम त्रिपाठी चार बार सर्वश्रेष्ठ किसान अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं।