आर्टिकल NBL२०२२: आज मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी का जन्म पर्व राम नवमी विशेष प्रसारण,पढ़े जरूर..

Article NBL2022: Today Ram Navami special broadcast,

आर्टिकल NBL२०२२: आज मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी का जन्म पर्व राम नवमी विशेष प्रसारण,पढ़े जरूर..
आर्टिकल NBL२०२२: आज मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी का जन्म पर्व राम नवमी विशेष प्रसारण,पढ़े जरूर..

NBL, 10/04/2022, Lokeshwer Prasad Verma,.Raipur CG, Article NBL2022: Today Ram Navami special broadcast, the birth anniversary of Maryada Purushottam Shri Ram ji, definitely read..

भगवान श्रीराम के सभी अनुयायियों को happy ramnavami  2022 इस साल भगवान श्री राम जी का जन्म पर्व 10 अप्रैल को मनाने जा रहे हैं. और जाने श्री राम जी के इस रामनवमी पर्व के बारे मे, पढ़े विस्तार से..। 

हरी कथा हरि अन्नता जो कहहि जो सुनही सब जन संता।। जय जय श्री सीता राम। 

अयोध्या नरेश परमपूज्य भगवान श्रीराम के जन्मदिन के अवसर पर भारत एवं समस्त विश्व में रामनवमी का पर्व मनाया जाता हैं. इस साल रामनवमी १० अप्रैल को मनाई जानी हैं. कहते हैं कि चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को पुरुषोत्तम श्रीराम अयोध्या में अवतरित हुए थे.

राम नवमी के दिन ही श्री हरि विष्णु के अवतार के रूप में श्रीराम धरती पर आए, इसी दिन उनके अन्यय भक्त गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी रामनवमी के दिन ही रामचरितमानस की शुरुआत की थी.भक्त इस दिन उपवास रखते हैं ऐसी मान्यता हैं कि व्रत रखने से साधक सभी पापों से मुक्त हो जाता हैं.

प्राचीन समय कि बात हैं एक बार भगवान राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण व सीता के संग वन में भ्रमण कर रहे थे कि शारीरिक थकावट के चलते उन्होंने एक पेड़ के नीचे विश्राम करने का निर्णय लिया. तो पास ही एक वृद्धा की झोपडी में वे चले गये.

जाकर देखा तो वृद्ध महिला चरखा चला रही थी तो उन्होंने प्रभु श्रीराम को आदर सत्कार किया तथा कुछ वक्त ठहरने के बाद उन्हें भोजन ग्रहण करने का निवेदन किया. तभी राम बोले माँ दो मोती ले आओ मेरा प्रिय तोता भूखा हैं इसके खाने के बाद ही मैं भोजन करता हूँ.

बेहद गरीब महिला के लिए राम की यह मांग उसकी हैसियत से बाहर थी, वह बूढ़ीया दौड़ी दौड़ी नगर के राजा के पास गई और उनसे दो मोती मांगे. राजा जानता था कि महिला की इतनी हैसियत नहीं कि वह वापिस लौटा सके, मगर दया आने के कारण उन्होंने दो मोती उस महिला को दे दिए.

इसके बाद राम, सीता और लक्ष्मण जी ने भोजन ग्रहण किया, जाते जाते भगवान राम ने बुढ़िया की कुटिया के आगे एक मोतियों का पेड़ लगा दिया. उस बुढ़िया का ध्यान पेड़ की तरफ नहीं गया.

उसके पड़ोसी रोज आते और गिरे हुए मोती बीनकर चले जाते. एक दिन वह पेड़ की छाव में चरखा चला रही थी कि ऊपर से मोती उसकी झोली में गिरे वह उन्हें लेकर राजा के पास गई.

राजा ऐसे चमत्कारी वृक्ष के बारे में जानकर चकित हो उठा और उसने कुटिया के उस पेड़ को उखड़वाकर अपने घर के आंगन में लगा दिया, मगर प्रभु की कृपा से वह सूख गया तथा मोती काँटों में तब्दील हो गये,

एक काँटा रानी को लगा तो राजा ने उस झाड को फिर से वृद्धा की कुटिया के आगे लगा दिया और फिर से रोजाना मोती मिलने लगे तथा वह अपने पड़ोसियों को प्रभु की प्रसाद स्वरूप सभी में वितरित करती रही.

* प्रभु की लीला अपरंपार है प्रेम से बोलो जय श्री राम *

संसार के सभी मतों व धर्मों में महान पुरुषों ने जन्म लिया जिन्हें अवतार, भगवान या खुदा के रूप में दर्जा मिला हैं. हिन्दुओं के लिए श्रीराम उनके प्राणों से प्रिय हैं. त्रेतायुग में भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ के घर जन्म हुआ था.

आज के समय में श्रीराम जैसे मर्यादित आदर्श व्यक्तित्व का बने रहना बड़ा मुशिकल हैं. राम का जीवन इसलिए भी सभी के लिए आदर्श हैं क्योंकि उनका जीवन पिता के प्रति, पुत्र रूप, पति के रूप में, राजा के रूप, भाई के रूप में, यौद्धा के रूप में अद्वितीय रहा था.

उन्होंने कई युद्ध लड़े वीरता के साथ अन्याय का मुकाबला कर पीड़ितों तथा शोषितों का साथ दिया. अपने सेना में केवल दलितों और निम्न वर्ग के लोगों को साथ लिया. सर्व समाज के सभी दबे कुचले लोगों का सहारा बने श्रीराम. 

अपने भाई के लिए राजा का पद त्यागना, पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए 14 वर्ष का वनवास उनकी अद्वितीय त्याग व वीरता के परिचायक कार्य थे. यह त्याग मातृ पितृ देवो भव की पाठ जो उनके पौरुष को बढ़ा दिया और नर से नारायण बन गया, श्री राम। 

इस दिन विशेष रूप से भगवान श्रीराम जी की पूजा अर्चना और कई तरह के आयोजन कर उनके जन्म के पर्व को मनाते हैं। वैसे तो पूरे भारत में भगवान श्रीराम का जन्मदिन उत्साह के साथ मनाया जाता है लेकिन खास तौर से श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में इस पर्व को बेहद हर्षोल्ललास के साथ मनाया जाता है।

रामनवमी के समय अयोध्या में भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से भक्तगणों के अलावा साधु-संन्यासी भी पहुंचते हैं और श्रीराम जन्म का उत्सव मनाते हैं।

रामनवमी के दिन आम तौर पर हिन्दू परिवारों में व्रत-उपवास, पूजा पाठ व अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है। राम जी के जन्म के समय पर उनके जन्मोत्सव का आयोजन किया जाता है और खुशियों के साथ उनका स्वागत किया जाता है।

कई घरों में विशेष साज-सज्जा कर, घर को पवित्र कर कलश स्थापना की जाती है और श्रीराम जी का पूजन कर, भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।इस दिन विशेष तौर पर श्रीराम के साथ माता जानकी और लक्ष्मण जी की भी पूजा होती है।

श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम जय श्री सीता राम।।