संत एवं विचारक स्वामी विवेकानंद जी का आश्रम जंहा- जंहा है, वह सभी जगह आध्यात्मिक साधना स्थल है.

Wherever the ashram of the saint and thinker Swami Vivekananda ji

संत एवं विचारक स्वामी विवेकानंद जी का आश्रम जंहा- जंहा है, वह सभी जगह आध्यात्मिक साधना स्थल है.
संत एवं विचारक स्वामी विवेकानंद जी का आश्रम जंहा- जंहा है, वह सभी जगह आध्यात्मिक साधना स्थल है.

NBL, 05/07/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. Wherever the ashram of the saint and thinker Swami Vivekananda ji is, it is the place of spiritual practice everywhere.

जैसे-जैसे एक के बाद एक पर्वतों के पिता हिमालय की शृंखलाएं एवं तुंग शिखर मेरी दृष्टि में आने लगे तो मन उसी शाश्वत सत्य में स्थिर हो गया, जिसे हमेशा से हिमालय हमें सिखाते रहे हैं, जो यहां के हर कण में गूंज रहा है- त्याग, पढ़े विस्तार से... 

यह भाव 19वीं शताब्दी के एक योद्धा संत एवं विचारक स्वामी विवेकानंद के थे, जब वे हिमालय मे साधना के लिए गए थे। उन्होंने अपने शिष्य स्वामी स्वरूपानंद एवं अंग्रेज दंपति कैप्टन जेम्स हेनरी सेवियर एवं पत्नी शारलेट एलिजाबेथ सेवियर से हिमालय की तलहटी में एक ऐसे ही साधना स्थल की स्थापना करने की इच्छा प्रकट की थी।

1899 में बना मायावती अद्वैत आश्रम उत्तराखंड के चंपावत जिले में एक ऐसा ही स्थल है, जहां जाकर व्यक्ति खुद को भूल, अपने वास्तविक चैतन्य रूप को पहचानने लगता है। आध्यात्मिक साधना के लिए यह उत्तम स्थल है। जहां कोई आवाज नहीं, केवल प्रकृति अपने नैसर्गिक रूप में मन को ऊंचाइयों तक ले जाने में सहायक होती है। विवेकानंद ने मायावती आश्रम की परिचय पत्रिका लिखते हुए यह निश्चय किया था, ऐसी जगह जहां सत्य के अलावा कुछ नहीं आ पाएगा। वहां पर मैं इस विचार का प्रतिपादन करना चाहता हूं। सत्य की खोज करने वाले लोग जहां बिना अंधविश्वास के, धर्म का असली मर्म समझेंगे, वहां बुद्ध, शिव, विष्णु नहीं, बल्कि उस एक चैतन्य प्रभु की सत्ता को जान सकेंगे, जो सब में है।

चंपावत जिले में पहुंचने में टनकपुर से तीन घंटे के पहाड़ के सफर को पूरा करना होता है और वहां से आधा घंटे के बाद देवदार के वृक्षों के घने जंगल से गुजरती एकल सड़क मायावती आश्रम तक जाती है। चंपावत से 22 किलोमीटर दूर एवं लोहाघाट से 6 किलोमीटर की दूरी पर मायावती अद्वैत आश्रम स्थित है।। पहले यह मायावती चाय का बागान था और यह जनरल मैकग्रेगर के पास था। उनसे सेवियर दंपति ने खरीदा और आश्रम का रूप दिया। 55 किलोमीटर की दूरी तक कोई अस्पताल या डाक्टर मौजूद नहीं है। गांव से गंभीर रोगियों को आश्रम के अस्पताल में लाकर चिकित्सा दी जाती है। मायावती आश्रम से नंदा कोट, नंदा देवी, त्रिशूल, नंदा घंटी, कामत, नीलकंठ ,बदरीनाथ और केदारनाथ चोटियां नजर आती हैं।

आश्रम के संग्रहालय में आज भी वह छपाईखाना मौजूद है जो सेवियर दंपति ने खरीद कर आश्रम में लगाया था। ताकि स्वामी विवेकानंद द्वारा 1896 में शुरू की गई मासिक पत्रिका प्रबुद्ध भारत का प्रकाशन हो सके। मासिक पत्रिका आज कोलकाता से प्रकाशित होती है।