हाथ जोड़कर विनय हमारी, तजो नशा बनो शाकाहारी, छोड़ो व्यभिचार बनो ब्रह्मचारी, सतयुग लाने की करो तैयारी - बाबा उमाकान्त ने बताया इसका अर्थ




हाथ जोड़कर विनय हमारी, तजो नशा बनो शाकाहारी, छोड़ो व्यभिचार बनो ब्रह्मचारी, सतयुग लाने की करो तैयारी - बाबा उमाकान्त ने बताया इसका अर्थ
गुरु के प्रति भाव भक्ति अगर किसी के अंदर भर दोगे तो वह आपके और दूसरों के भी काम आएगा
आत्मा का कल्याण तो ध्वन्यात्मक निर्मायक पांच नाम से ही होगा
भिखारीपुर (उत्तर प्रदेश) : बने तो गुरु से बने नहीं तो बिगड़े भरपूर, स्वामी बने जो और से, उस बनने पर धूल - गोस्वामी जी के इस वचन को चरितार्थ और साकार करने वाले, व्यक्तिगत संबंधों की परवाह न करते हुए गुरु के आदेश का अक्षरश: पालन कर गुरु को खुश कर ले जाने वाले, निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी जानशीन, जिनको स्वामी जी महाराज अपनी असली गद्दी पर खुद बैठा कर गए हैं, जो सब कुछ हैं, जो सब कुछ चला रहे हैं, जो समस्त पॉवर लेकर इस समय धरती पर मनुष्य शरीर में धूम, डोल रहे हैं, ऐसे विलक्षण सन्त उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज ने 11 अप्रैल 2023 प्रातः भिखारीपुर (उत्तर प्रदेश) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि हमारी हाथ जोड़ करके विनती है कि आप शाकाहारी हो जाओ, नशे को आप त्याग दो। छोड़ो व्यभिचार बनो ब्रह्मचारी। ब्रह्मचारी का मतलब यह नहीं होता है कि औरत को छोड़ दो या शादी ही न करो। अभी सब लोग शादी न करें तो सृष्टि कैसे चलेगी? औरत को कोई छोड़ देगा तो क्या हाल होगा? यह तो आप जो समझदार लोग हो, जानते हो। लेकिन ब्रह्मचारी का मतलब क्या होता है? बूढ़े बुजुर्ग लोग ही कह कर गए- एक आहारी सदाव्रत धारी और एक नारी ब्रह्मचारी। एक नारी जो आपकी है उसी में संतुष्टि रखो, इधर-उधर दिल-दिमाग मत दौड़ाओ। बच्चियों जो भी पुरुष मिले हैं, आपको पति परमेश्वर मिले हैं, एक धर्म एक व्रत नेमा, काय वचन मन पति पद प्रेमा, यानी उन्हीं को समझो कि यही हमारे पति परमेश्वर है तो वह ब्रह्मचर्य का पालन होगा। और सतयुग लाने की करो तैयारी। अभी सब शाकाहारी, नशा मुक्त हो जाए, ब्रह्मचर्य का पालन करने लग जाए, आत्मशक्ति लोगों के अंदर आ जाए, ईश्वरवादी खुदा परस्त लोग बन जाए तो सतयुग आ गया या नहीं आया। सतयुग लाने की करो तैयारी। और अगर तैयारी नहीं करोगे, अगर सतयुग के लायक लोग नहीं बनेंगे तो इतिहास उठा कर के देख लो, युग परिवर्तन अवश्यंभावी। यह दुनिया यह संसार परिवर्तनशील है, यहां बदलाव होता रहता है।
अपना नहीं, गुरु का आदमी बनाओ
जो हमको दुश्मन भी मानते हैं उनसे भी मैं प्रेम करता हूँ। बहुत से लोग हमसे नाराज हो जाते थे। क्यों? क्योंकि सिर झुका रखो हरदम नमन के लिए। जो (गुरु का) हुकुम होता था, उसका पालन करता था। जब गुरु महाराज ने कह दिया कि कोई (मिलने) आएगा नहीं तो कोई नहीं जा सकता, एक मक्खी भी नहीं जा सकती। कोशिश यही रहती थी कि अब किसी से नहीं मिलना है तो नहीं मिलना है। कोई अपना आदमी मैंने आज तक बनाया ही नहीं। आपको यह बात इसलिए बता रहा हूं कि अगर आप अपना आदमी बनाने के चक्कर में रहोगे तो फेल हो जाओगे। और अगर गुरु का आदमी बना दोगे, गुरु की भाव भक्ति किसी के अंदर भर दोगे तो वह दूसरों के और आपके भी काम आएगा। उसी में लोग (हमसे) नाराज भी हो जाते थे, चिढ़ भी जाते थे कि हमको (गुरु जी से) नहीं मिलने दिया, हमारी औकात को नहीं समझे और हमको तो गुरु महाराज प्यार करते हैं। तो कहने का मतलब यह है कि गुरु के आदेश का हमेशा पालन किया।
रानी इंदुमती ने कबीर साहब से क्या मांगा
महाराज ने 23 अप्रैल 2023 प्रातः बुराड़ी (नई दिल्ली) में बताया कि जब रानी इंदुमती ने देखा कि कबीर साहब सचखंड में बैठे हुए हैं तब बोली, आपने हमे मृत्यु लोक में क्यों नहीं बताया कि हम ही सब कुछ है, हम ही यह सब चला रहे हैं। अगर आप बताए होते कि दुनिया का सारा पावर (शक्ति) लिए हम यहाँ मृत्युलोक में मनुष्य शरीर में घूम, डोल रहे हैं तो हमको इतनी मेहनत, साधना नहीं करनी पड़ती। हम तो बस आपकी दया की ही भिखारी बनकर, आपसे दया लेकर के आपके पास पहुंच जाते। तब उन्होंने, कहा तुझको विश्वास न होता, तेरा मन डगमगाता रहता। ऐसे ही इस समय देखो, बहुत से लोगों का मन विचलित हो जाता है। गुरु के वचनों पर ही शंका हो जाती है। दूसरों की बातों पर विश्वास हो जाता है। गुरु से मांगने की बजाय, जिसके पास पता चलता है कि धन दौलत, पद-प्रतिष्ठा है, उसी से मांगने लगते हो। दाता केवल सतगुरु देत न माने हार, धरनी जालौ देखिए तहले सब भिखार। जो खुद मांगता रहता है उससे भूल-भ्रम में पड़कर के मांगने लगते हैं। ऐसे ही भूल-भ्रम में तू पड़ जाती तो तुझको विश्वास न होता। इसलिए तुझे रास्ता बताया, रास्ते पर चलाया, लाकर के यह जलवा दिखाया, तब तुझे विश्वास हुआ। बोल तेरी मदद किया या नहीं किया? तब चरणों पर गिर पड़ी। बोली आपने मदद, उपकार किया और ऐसा उपकार मुझ पर किया कि उसका बदला चुकाया ही नहीं जा सकता। सन्तों की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार, लोचन अंनत उघाडिया, अनंत दिखावन हार। कितनों की अंतर में तीसरी आंख को आपने खोल दिया, आपके उपकार का बदला कोई चुका ही नहीं सकता है। लेकिन गुरुजी, मैंने तो आपकी एक बात पकड़ी कि आपसे कुछ नहीं मांगा। न धन मांगा, न काम मांगा, दुनिया, कुछ नहीं मांगा। मैंने तो सब पर धूल डाल दी। मैंने तो किसी की निंदा-बुराई, मान-सम्मान न तो मांगा और न (उसकी तरफ) ध्यान दिया। केवल आपको और आपकी भक्ति मांगी। इसलिए मैं आपके वचनों को पकड़कर हमेशा रही कि गुरु माथे पर रखिए, चलिए आज्ञा माहि, कह कबीर ता दास को तीन लोक भय नाही। उसको तीनो लोकों में डर नहीं रहता है।
आत्म कल्याण ध्वन्यात्मक निर्मायक पांच नाम से ही होगा
बाबा उमाकान्त ने 13 सितंबर 2021 सायं जयपुर (राजस्थान) में बताया कि आत्मा का कल्याण तो, जो पांच नाम गुरु महाराज ने बताया, उसी से होगा। आत्म कल्याण की तो इच्छा ही नहीं जग रही है प्रेमियों की, सतसंगियों की। उसके बारे में तो कोई सोच ही नहीं रहा है। सब दुनिया की चीजें, दुनिया की बातें। जब सतसंग सुनाया जाता है तब कहते भी हैं दया करो, दया करो, ध्यान भजन नहीं बन रहा है, मन नहीं लग रहा है। तो देखो मन कहां लग रहा है। इसको तो आप देख लो। मन तो एक ही है तो कहां-कहां लगेगा? जहां लगाओगे वहीं तो लगेगा। तो मन को लगा कर के (साधना) करो। तो चाहे यह (दुनिया का काम) करोगे, चाहे वह (अपनी जीवात्मा का असला काम) करोगे, दोनों में कामयाबी मिलेगी।