दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने अपने स्वार्थ के चलते अपने ही दो मंत्रियों को शराब घोटाले में शामिल करवा दिया। क्या केजरीवाल सच बोल रहे हैं या कोई बड़ी चाल चल रहे हैं?

Delhi CM Kejriwal, due to his selfishness,

दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने अपने स्वार्थ के चलते अपने ही दो मंत्रियों को शराब घोटाले में शामिल करवा दिया। क्या केजरीवाल सच बोल रहे हैं या कोई बड़ी चाल चल रहे हैं?
दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने अपने स्वार्थ के चलते अपने ही दो मंत्रियों को शराब घोटाले में शामिल करवा दिया। क्या केजरीवाल सच बोल रहे हैं या कोई बड़ी चाल चल रहे हैं?

NBL, 02/04/2024, Lokeshwar Prasad Verma Raipur CG: Delhi CM Kejriwal, due to his selfishness, got two of his own ministers involved in the liquor scam. Is Kejriwal speaking the truth or is he playing some big trick? पढ़े विस्तार से.... अरविंद केजरीवाल जिन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की है और उच्च प्रशासनिक पद पर रह चुके हैं और जो आसानी से दिल्ली जैसे महानगर और देश की राजधानी के सीएम बन सकते हैं, और अपनी आम आदमी पार्टी को कुछ ही समय में देश में राष्ट्रीय पार्टी बना सकते हैं, ऐसा व्यक्ति कोई साधारण व्यक्ति नहीं हो सकता, उनका दिमाग कुछ कहता है और दिल कुछ और कहता है, जिसे समझ पाना उनकी पार्टी के मंत्रियों या उनके विधायकों और उनकी पार्टी के नेताओं के बस में नहीं है, जिन्होंने अपने ही विश्वासपात्र अतिसी और सौरभ भारद्वाज को ईडी को बयान देकर सीएम अरविंद केजरीवाल कोर्ट में फंसवा दिया, जबकि इन दोनों नेताओं ने खुद बहुत कोशिश की ताकि सीएम केजरीवाल को जमानत मिल जाए और वे दिल्ली और देश में अपनी पार्टी का राजनीतिक स्तर ऊपर उठा सकें और इसका फायदा आम आदमी पार्टी को आगामी लोकसभा चुनावों में मिल सके।अगर गहराई से सोचा जाए तो खुद सीएम केजरीवाल को अपने दोनों मंत्रियों अतिसी और सौरभ भारद्वाज से डर लगने लगा था। इनका बार-बार सामने आना और प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए सीएम केजरीवाल का पक्ष लेना और अपनी आम आदमी पार्टी के वर्चस्व को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करना इन दोनों नेताओं का आम आदमी पार्टी में कद बढ़ा चुका था। केजरीवाल को डर लगने लगा था कि उनका सीएम पद उनके पाले में आ जाएगा क्योंकि अरविंद केजरीवाल जानते हैं कि उन्हें इस शराब घोटाले में जेल जाना पड़ेगा और दिल्ली के मुख्यमंत्री पद को छोड़ना पड़ेगा और दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के लिए बेहतर नेता अतिसी और सौरभ भारद्वाज ही हो सकते हैं।

और इन दोनों नेताओं में से कोई भी मुख्यमंत्री बन सकता है और मेरे जेल में रहने से मेरा राजनीतिक स्तर दिन-प्रतिदिन गिर सकता है और इन दोनों नेताओं का राजनीतिक स्तर बढ़ सकता है और मेरे द्वारा बनाई गई आम आदमी पार्टी इनके पास जा सकती है। इसलिए सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपने दिमाग से योजना बनाकर कोर्ट के जरिए इन दोनों को फंसाया क्योंकि केजरीवाल ईडी के पूछताछ में पूरा सहयोग नहीं कर रहे हैं और ईडी को अपने आईफोन का पासवर्ड नहीं बता रहे हैं। इसलिए कोर्ट के माध्यम से सीएम केजरीवाल पर 15 दिन का ट्रायल लगाया गया है। उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया है और जेल प्रशासन उन पर निगरानी रख रहा है।

अरविंद केजरीवाल जैसे चतुर व्यक्ति ने दिल्ली और पंजाब में अपने दम पर आम आदमी पार्टी की स्थापना की और देश के कुछ राज्यों में एक-दो विधायक बनाकर अपनी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी बना दिया और उसे मजबूत करने के लिए उन्होंने दिल्ली में शराब घोटाले भी किए ताकि इस पैसे से वो पूरी ताकत के साथ देश में आ सकें और पूरे देश में अपनी आम आदमी पार्टी का परचम लहरा सकें लेकिन उनकी ही सहयोगी पार्टी कांग्रेस ने इस शराब घोटाले का मुद्दा उठाकर उन्हें फंसा दिया और आज वही कांग्रेस आम आदमी पार्टी की हितैषी बनकर काम कर रही है, यह कहावत बिल्कुल फिट बैठती है इन दोनों पार्टियों के लिए चोर-चोर मौसेरे भाई और अब वही कांग्रेस पार्टी अपने भ्रष्टाचार को छुपाने और सीएम केजरीवाल को बचाने में लगी हुई है लेकिन आज सीएम अरविंद केजरीवाल जेल में हैं। 

और कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी और दिल्ली के सीएम केजरीवाल पर आरोप लगाकर अपनी पुरानी खुन्नस निकाल ली है और केजरीवाल ने अपनी पार्टी के दो मंत्रियों का नाम लेकर और मुसीबत मोल ले ली है कहीं ऐसा न हो कि इन दोनों मंत्रियों के खिलाफ ईडी पूछताछ शुरू कर दे और आम आदमी पार्टी के दो मंत्रियों को जेल की हवा खानी पड़े और अरविंद केजरीवाल का बिना किसी बहस के अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाने का रास्ता साफ हो जाए और अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी को बचाने में कामयाब हो जाएं।ताकि उनकी पार्टी की कमान उनके हाथों में रहे, इसलिए आज केजरीवाल का यह बयान देश की जनता का ध्यान उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल की ओर मोड़ रहा है, या तो यह सीएम अरविंद केजरीवाल की साजिश हो सकती है कि वे निर्दोष आतिशी और सौरभ भारद्वाज को ईडी के जाल में फंसाकर ईडी और कोर्ट को धोखा दें, ताकि वह अपनी गिरती राजनीतिक हैसियत को बचाने में सफल हो सकें। आज आम आदमी पार्टी कह सकती है कि केंद्रीय जांच एजेंसियों ने हमारे खिलाफ सबूत जुटाने का हर संभव प्रयास किया और उन्हें हमारे आम आदमी पार्टी के नेताओं से कोई सबूत नहीं मिल पाया और आज यह कहावत चरितार्थ करते हुए कि सत्य का कोई अहित नहीं हो सकता, सीएम अरविंद केजरीवाल खुद को पाक-साफ बताकर देश के लोकतंत्र को गुमराह करने में सफल हो सकते हैं।

अरविंद केजरीवाल और उनके नेताओं द्वारा कोई बड़ा फैसला लिया जा रहा है, जिससे नया इतिहास बनेगा और केंद्रीय जांच एजेंसियां ​​देश में संदेह के घेरे में न आएं, इसलिए इन जांच एजेंसियों को बहुत सोच-समझकर कदम उठाने चाहिए क्योंकि सीएम अरविंद केजरीवाल एक चतुर खिलाड़ी हैं, उनकी चतुर योजनाएं कुछ भी हो सकती हैं। इसलिए उनके द्वारा लगाए गए आरोपों की बारीकी से जांच होनी चाहिए, ताकि उन्हें यह कहने का मौका न मिले कि हमारे दो मंत्रियों के यहां जांच हुई और कोई सबूत नहीं मिला, इसी तरह हम भी बेदाग हैं और हमें भाजपा के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फंसाया और केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया। सीएम अरविंद केजरीवाल ऐसे आरोप लगा सकते हैं।

बिना मेहनत के प्राप्त धन और कम समय में प्राप्त पद को बचाए रखना बहुत कठिन है। इसी तरह से आम आदमी पार्टी के सभी नेताओं को जो मुफ्त की राजनीति मिली हुई है, वो पढ़े-लिखे प्रोफेशनल हैं लेकिन आम आदमी पार्टी में बहुत कम लोग हैं जो जमीनी स्तर पर रहते हैं, जो पंच हैं, सरपंच हैं और किसी गांव या शहर में राजनीति में मेहनत करके राजनीति में आए हैं और देश के लोकतंत्र का दुख-दर्द समझ सकते हैं, वो सिर्फ किताबी ज्ञान से राजनीति कर रहे हैं, हम अच्छा अस्पताल बना सकते हैं, हम अच्छा स्कूल खोल सकते हैं और देश से गरीबी हटा सकते हैं, देश में रोजगार ला सकते हैं, देश से भ्रष्टाचार हटा सकते हैं, वो सब कुछ कर सकते हैं जिसकी देश के लोकतंत्र को जरूरत है, ये सब कहना बहुत आसान लगता है लेकिन इसे जमीनी स्तर पर लाना बहुत मुश्किल है लेकिन आम आदमी पार्टी के लिए ये सब कहना आसान लगता है, क्योंकि वो किताबों में पढ़कर सीख रहे हैं जबकि उन्होंने ये सब अपने जीवन में देखा नहीं है क्योंकि वो सभी दिल्ली जैसे महानगर में पैदा हुए हैं और आम आदमी पार्टी के सभी नेता उच्च शिक्षित और धनी परिवारों और अच्छे परिवारों से आए हैं, उन्हें झुग्गी-झोपड़ियों से क्या मतलब है। गरीबी में जिंदगी कैसे जी जाती है, इसके बारे में उन्हें रत्ती भर भी पता नहीं है, लेकिन उन्हें ये जरूर पता है कि कांग्रेस ने कैसे देश पर राज किया और उनके नेताओं ने देश में क्या-क्या भ्रष्टाचार और घोटाले किए, भाई-भतीजावाद से देश में सत्ता कैसे चलाई जाती है, परिवार के लोगों को ही परिवार की पार्टी सौंपकर उसे कैसे काबू में रखा जाता है। धन इकट्ठा करने के क्या-क्या तरीके हैं, लालू यादव ने कैसे अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बनवाया और कैसे अपनी विरासत को बचाया, ऐसे अनगिनत उदाहरण देश में हैं जिसे आम आदमी पार्टी ने सीख लिया है और उसे छानकर देश के लोकतंत्र को गुमराह करने का अनोखा तरीका अपना लिया है, जिससे देश के लोकतंत्र को समझना बहुत मुश्किल हो गया है कि आम आदमी पार्टी के नेताओं को केंद्रीय जांच एजेंसियों के जरिए फंसाया जा रहा है या फिर आम आदमी पार्टी वाकई एक भ्रष्ट पार्टी बन चुकी है, इस तरह से देश के लोकतंत्र में अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है, कुछ संदेह बीजेपी पीएम नरेंद्र मोदी पर भी बने हुए हैं जो कि सही नहीं है, लेकिन ऐसा करने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा पुरजोर प्रयास किए जा रहे हैं, केंद्रीय जांच एजेंसियां ​​पीएम नरेंद्र मोदी के निर्देश पर काम कर रही हैं, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है, लेकिन आज भ्रष्टाचारियों पर सख्त कार्रवाई हो रही है, यह देश हित में है और यह बहुत अच्छा है, जिन्होंने देश को लूटा है उनका धन देश को वापस मिलना चाहिए, इसका उपयोग देश हित में होना चाहिए, जो कि बहुत जरूरी है। हम जांच एजेंसियों के पक्ष में हैं, आप जानते हैं कि आप किसके पक्ष में हैं।