CG - लेक्चरर को BEO बने रहने का छाया ऐसा जूनन, फर्जी लेटर लेकर कर ली ज्वाइनिंग, खुलासे पर मचा बवाल, जाने क्या है पूरा मामला.....
कबीरधाम जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से लेकर शिक्षा विभाग के संचालनालय (डीपीआई) तक एक विकास खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) का ज्वाइनिंग लेटर चर्चा में है। मामला बोडला के प्रभारी बीईओ के पद पर ज्वाइनिंग का है।




रायपुर। कबीरधाम जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से लेकर शिक्षा विभाग के संचालनालय (डीपीआई) तक एक विकास खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) का ज्वाइनिंग लेटर चर्चा में है। मामला बोडला के प्रभारी बीईओ के पद पर ज्वाइनिंग का है। पूर्व में बोडला के प्रभारी बीईओ रहे दयाल सिंह दो दिन पहले कबीरधाम डीईओ कार्यालय पहुंचे और स्कूल शिक्षा विभाग का एक आदेश डीईओ वायडी साहू की टेबल पर रख दिया। विभाग के अवर सचिव के हस्ताक्षर से जारी इस आदेश में दयाल सिंह को प्रभारी बीईओ बोडला के पद पर पदस्थ करने का निर्देश था। इसमें यह भी बताया गया है कि दयाल सिंह का निलंबन समाप्त कर दिया गया है।
आदेश देखते हुए डीईओ ने दयाल सिंह को ज्वाइनिंग दे दिया, लेकिन अचानक उनकी नजर आदेश पर दर्ज तारीख पर पड़ी। आदेश पर 19 जुलाई 2024 की तारीख दर्ज थी। पुरान आदेश देखकर डीईओ साहू के होश उड़ गए। DPI का फर्जी लेटर के सहारे बीईओ को ज्वाइनिंग दे दिये जाने के बाद हड़कंप मच गया है। BEO पद से सस्पेंड हुए व्याख्याता दयाल सिंह ने एक साल पुराने पत्र के आधार पर ज्वाइनिंग ले ली। आरोप है कि बीईओ दयाल सिंह फर्जी लेटर लेकर डीईओ कार्यालय पहुंचा और बताया कि सरकार ने उन्हें बीईओ के पद पर ज्वाइनिंग का निर्देश दिया है। इधर, डीईओ ने भी बिना जांचे ही बीईओ को ज्वाइनिंग का आदेश दे दिया।
लेकिन बाद में जब लेटर की सच्चाई सामने आयी, तो डीईओ के तोते उड़ गये। आनन फानन मे ज्वानिंग को निरस्त किया गया, वहीं मामले में कार्रवाई की बात कही जा रही है।पूरा मामला कवर्धा के बोड़ला बीईओ से जुड़ा है। दुर्व्यवहार सहित अन्य आरोप के मामले में बीईओ दयाल सिंह को राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया था। 15 जून को निलंबित बीईओ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जहां से उन्हें राहत मिल गयी।
हालांकि बीईओ को सस्पेंशन से सरकार ने बहाल तो कर दिया, लेकिन बीईओ नहीं बनाया। ऐसे में दयाल सिंह ने फर्जीवाड़ा की साजिश रजी और बीईओ बनाने के पुराने आदेश के आधार पर ज्वाइनिंग कर दिया। आपको याद होगा कि पिछले दिनों ही राज्य सरकार ने खुद ही हाईकोर्ट में कहा था कि व्याख्याता को बीईओ बनने की पात्रता नहीं है।