Pitta Dosha : पित्त दोष को संतुलित करने वाले सिंपल डाइट टिप्स की मदद से करें पित्त दोष को संतुलित जाने घरेलु आहार ....
Pitta Dosha: With the help of simple diet tips that balance pitta dosha, do home diet to balance pitta dosha. Pitta Dosha : पित्त दोष को संतुलित करने वाले सिंपल डाइट टिप्स की मदद से करें पित्त दोष को संतुलित जाने घरेलु आहार ....




Ayurvedic ritucharya :
आयुर्वेद के अनुसार बरसात के मौसम में शरीर की प्रकृति भी प्रभावित होती है और प्रकृति दोष में भी बदलाव आते हैं।जानकारों के अनुसार, वर्षा ऋतु में शरीर का वात दोष बढ़ जाता है और शरीर में पित्त जमा होने लगता है। इस मौसम में वात और पित्त दोष बढ़ने से बॉडी सिस्टम कमजोर होने लगता है। पित्त दोष बढ़ जाने पर इसका सीधा असर डाइजेस्टिव सिस्टम पर पड़ता है। परिणामस्वरूप पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है और पेट से जुड़ी कई समस्याएं बढ़ जाती हैं। ऐसे में शरीर में पित्त दोष को संतुलित करने और पित्त की वजह से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए आयुर्वेद में ऋतुचर्या जैसे कुछ नियम बताए गए हैं। (Ayurvedic ritucharya)
आयुर्वेदिक ऋतुचर्या क्या है?
मौसम बदलने के साथ खान-पान और जीवनशैली में बदलाव आवश्यक हैं और आयुर्वेद में हर मौसम को लिए ऋतुचर्या का उल्लेख है। इन नियमों के अनुसार आवश्यक बदलाव करने से शरीर को बदलते मौसम के साथ बीमार होने से बचाने में सहायता होती है। (Ayurvedic ritucharya)
पित्त दोष से बढ़ने से रोकने के लिए डाइट टिप्स
अपनी डाइट में मौसमी फल और सब्जियों को शामिल करें। पित्त दोष वाले लोगों के लिए गाय के घी का सेवन बहुत लाभकारी माना जाता है । अपनी डाइट में घी का इस्तेमाल सब्जियों और दाल में तड़के के लिए करें।
बरसात में भले ही मौसम ठंडा हो और आपको कम प्यास लगे लेकिन रोजाना 8-10 गिलास पानी पीने के नियम को बरसात में भी जरूर फॉलो करें। इससे आप हाइड्रेटेड रह सकेंगे और शरीर को फूर्ति भी मिलेगी।(Ayurvedic ritucharya)
बरसात में मूंग दाल, जौ, भिंडी, करेला और पके हुए कद्दू का सेवन बहुत लाभकारी (benefits of eating pumpkin) माना जाता है। इन फूड्स का सेवन सब्जी, दाल और खिचड़ी आदि बनाने में किया जा सकता है।
बाहर का खाना खाने से पेट में एसिडिटी और जलन जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं, जो पित्त बढ़ने का लक्षण हो सकती हैं। ठेलों पर बिकने वाले चाट, चाउमीन या समोसे जैसी चीजों के सेवन से बचना चाहिए। हमेशा घर का बना सादा भोजन खाएं।
खट्टे स्वाद वाले फूड्स जैसे चटनी, अचार और दही आदि का सेवन ना करें।हरी पत्तेदार सब्जियों के सेवन से बरसात में बचना चाहिए। (Ayurvedic ritucharya)