Village Business Ideas: घर बैठे गोबर से सामान बनाकर गांव से ही हर महीने करें 3 लाख रूपये तक की कमाई!

Village Business Ideas: Earn up to 3 lakh rupees every month from the village itself by making goods from cow dung sitting at home! Village Business Ideas: घर बैठे गोबर से सामान बनाकर गांव से ही हर महीने करें 3 लाख रूपये तक की कमाई!

Village Business Ideas: घर बैठे गोबर से सामान बनाकर गांव से ही हर महीने करें 3 लाख रूपये तक की कमाई!
Village Business Ideas: घर बैठे गोबर से सामान बनाकर गांव से ही हर महीने करें 3 लाख रूपये तक की कमाई!

Village Business Ideas :

 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को विधानसभा में छत्तीसगढ़ बजट 2022-23 (Chhattisgarh Budget 2022-23) पेश किया। इस दौरान सीएम बघेल के हाथ में मौजूद ब्रीफकेस (briefcase made of cow dung) काफी चर्चा में रहा. ऐसा इसलिए क्योंकि यह ब्रीफकेस गोबर का बना था। खास बात यह रही कि ब्रीफकेस के ऊपर संस्कृत में ‘गोमय वसते लक्ष्मी’ लिखा था, जिसका मतलब है ‘गोबर में लक्ष्मी का वास होता है’। देश में पहली बार ऐसा हुआ जब किसी मुख्यमंत्री ने गोबर से बने ब्रीफकेस में बजट पेश किया। आम तौर पर मुख्यमंत्री चमड़े या जूट से बने ब्रीफकेस का इस्तेमाल बजट की प्रति लाने के लिए करते रहे हैं। दरअसल ये ब्रीफकेस रायपुर की संस्था ‘एक पहल’ ने तैयार किया है। इसके फाउंडर रितेश अग्रवाल हैं। उनकी टीम ने 10 दिनों की मेहनत के बाद ये ब्रीफकेस तैयार किया था।

रितेश पिछले 3 साल से गोबर से बने चप्पल, पर्स, बैग, मूर्तियां, दीये, ईंट, पेंट जैसी चीजें बना रहे हैं। होली के लिए उन्होंने गोबर से ईको फ्रेंडली अबीर और गुलाल तैयार किया है। देशभर में उनके प्रोडक्ट की डिमांड है। हर महीने 3 लाख रुपए कमाई हो रही है। 23 लोगों को उन्होंने रोजगार भी दिया है। (Village Business Ideas)

नौकरी छोड़कर गो सेवा से जुड़ गए: 

41 साल के रितेश की पढ़ाई लिखाई रायपुर में हुई। साल 2003 में ग्रेजुएशन करने के बाद अलग-अलग कंपनियों में उन्होंने लंबे वक्त तक काम किया।

रितेश बताते हैं कि काफी समय से मेरे मन में समाज के लिए कुछ करने का ख्याल आ रहा था। अक्सर मैं देखता था कि सड़कों पर गायें घूमती रहती हैं। इनमें से ज्यादातर गायें कचरा खाने की वजह से बीमार हो जाती हैं, तो कई हादसे का शिकार भी हो जाती हैं। मैं चाहता था कि इनके लिए कुछ किया जाए, ताकि इनकी जान बच सके। इसलिए साल 2015 में नौकरी छोड़ दी और एक गोशाला से जुड़कर गो सेवा करने लगा। (Village Business Ideas)

जयपुर और हिमाचल में ली गोबर से ईकोफ्रेंडली प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग

गो सेवा के दौरान रितेश को गाय से जुड़े कई प्रोजेक्ट पर काम करने का मौका मिला। तब उन्हें पता चला कि दूध देने वाली गाय के साथ ही बिना दूध देने वाली गाय भी उपयोगी है। उसके गोबर से कई तरह के कीमती प्रोडक्ट बनाए जा सकते हैं।

इसी बीच साल 2018-19 में छत्तीसगढ़ सरकार ने गोठान मॉडल शुरू किया। रितेश भी रायुपर के एक गोठान से जुड़ गए।  इसके बाद गो सेवा के साथ-साथ गोबर से ईकोफ्रेंडली प्रोडक्ट तैयार करने को लेकर प्लान करने लगे। इसकी ट्रेनिंग के लिए वे जयपुर और हिमाचल प्रदेश गए। (Village Business Ideas)

स्थानीय लोगों के साथ मिलकर तैयार किया समूह: 

रितेश कहते हैं कि रायपुर आने के बाद मैंने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर एक समूह तैयार किया। इसमें महिलाओं को प्राथमिकता दी। उन्हें गोबर से अलग-अलग प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग दी। जरूरी चीजें मुहैया कराईं, फिर गोबर से मूर्तियां, दीये और ईंट बनाना शुरू किया। इसका काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला। छत्तीसगढ़ के साथ ही दूसरे राज्यों में भी हमने अपने प्रोडक्ट भेजे। (Village Business Ideas)

गोबर से बनी लकड़ी से 7 हजार से ज्यादा दाह संस्कार

भास्कर से बात करते हुए रितेश बताते हैं कि कोरोना के दौरान एक के बाद एक लोगों की मौतें होने लगीं। अचानक दाह संस्कार के लिए लकड़ियों की डिमांड बढ़ गई। तब हमारे दिमाग में ख्याल आया कि क्यों न गोबर से ही कुछ ऐसा तैयार किया जाए, जिसका दाह संस्कार के लिए लकड़ियों की जगह इस्तेमाल किया जा सके। इसके बाद हमारे समूह के लोगों ने गोबर से लकड़ी बनानी शुरू की। (Village Business Ideas)

होली के लिए गोबर से तैयार किया अबीर-गुलाल: 

जैसे-जैसे रितेश के प्रोडक्ट की मांग बढ़ती गई, वे अपने काम का दायरा बढ़ाते गए। हाल ही में उन्होंने गोबर से कई रंगों में ईकोफ्रेंडली अबीर-गुलाल तैयार किए हैं। इसकी कीमत 300 रुपए प्रति किलो है। देशभर में वे इसकी मार्केटिंग कर रहे हैं। फिलहाल उनके साथ 13 महिलाएं और 10 पुरुष काम करते हैं, जबकि उनके गोठान में 400 से ज्यादा गाय हैं। (Village Business Ideas)

गोबर से अबीर-गुलाल तैयार करने की प्रोसेस क्या है? 

रितेश बताते हैं कि गोबर से अबीर-गुलाल तैयार करने के लिए सबसे पहले गोबर को सुखाया जाता है। इसके बाद उसे मशीन की मदद से पीसकर पाउडर के रूप में कन्वर्ट करते हैं, फिर उसमें अलग-अलग तरह के फूलों की सूखी पत्तियों के पाउडर को मिलाते हैं। फिर इसमें कस्टर्ड पाउडर मिलाया जाता है। इसके बाद बारी आती है इन्हें रंग देने की। इसके लिए अलग-अलग तरह के नेचुरल कलर का इस्तेमाल किया जाता है। मसलन पीला रंग चाहिए तो हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है। (Village Business Ideas)

एक हजार रुपए में कर सकते हैं गोबर से धन कमाने की शुरुआत: 

गोबर सबसे आसानी से उपलब्ध होने वाला प्रोडक्ट है। खास करके गांवों में। इसके पास गाय नहीं है, वे भी चार-पांच रुपए किलो के हिसाब से गोबर आसानी से खरीद सकते हैं। कई लोग तो मुफ्त में भी गोबर उपलब्ध करा देते हैं। अगर आप भी गोबर से कमाई करना चाहते हैं तो एक हजार रुपए की लागत से इसकी शुरुआत कर सकते हैं।(Village Business Ideas)