छत्तीसगढ़ के अफसर भी थे मच्छरों से परेशान, आईपीएस आरिफ शेख को मच्छर ने काटा तो छलका दर्द,कही ये बात..

The officers of Chhattisgarh were also troubled by mosquitoes,.

छत्तीसगढ़ के अफसर भी थे मच्छरों से परेशान, आईपीएस आरिफ शेख को मच्छर ने काटा तो छलका दर्द,कही ये बात..
छत्तीसगढ़ के अफसर भी थे मच्छरों से परेशान, आईपीएस आरिफ शेख को मच्छर ने काटा तो छलका दर्द,कही ये बात..

NBL, 26/04/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. The officers of Chhattisgarh were also troubled by mosquitoes, IPS Arif Sheikh was bitten by a mosquito, then the pain spread, said this..

रायपुर NBL: रायपुर में आम आदमी से लेकर अब अफसर भी मच्छरों से परेशान हैं. एक अफसर को जब मच्छर ने काटा तो उनका दर्द फनी अंदाज में सोशल मीडिया पर छलका. छत्तीसगढ़ के एंटी करप्शन ब्यूरो के हैड आरिफ शेख इन दिनों रमजान की वजह से सुबह जल्दी उठ रहे हैं मगर हल्की सी नींद लेने की कोशिश करते हैं तो मच्छरों का अटैक परेशान कर देता है, पढ़े विस्तार से.. 

अफसर ने मच्छरों को लेकर क्या कुछ लिखा, पढ़िए उन्हीं के शब्दों में... 

अर्ली टू बेड अर्ली टू राइस सिद्धांत को मैं एकदम अपने में इंस्टिल कर दिया हूं.आज कल रमजान में सुबह 4 बजे उठने के बाद फिर नींद आना बड़ा मुश्किल होता है और जल्दी सोने की कोशिश करो तो कुछ न कुछ व्यावधान उत्पन्न हो ही जाता है. आप फोन साइलेंट पे कर दोगे, साउंड प्रूफ खिड़कियां लगा दोगे, लाइट भी संतुलित रखोगे, सूदिंग म्यूजिक लगा के निंदियारानी का इंतजार कर रहे होंगे पर ये मच्छर नामक चीज . उफ्फ इसका कोई इलाज ही नहीं..रातभर राफेल नडाल से ज्यादा शॉट्स मॉस्किटो रैकेट से मारने पर भी कोई निजात नहीं मिलती.और मच्छरदानी में एक मच्छर भी अगर घुस जाए तो सारी रात वही होता है.नाना पाटेकर की भाषा में आप जानते ही हो.

मेरा खून भी मुझे लगता है कुछ विशिष्ट द्रव्य से बना हुआ है, मैं अगर किसी समूह में कही बैठा हूं या कहीं खड़ा, ये मच्छर बाकी सब लोगों को इग्नोर करके ..जाना होता है और कही ..तेरी ओर चला आता हूं.टाइप मुझे ही आके कांटते रहते है ( मेरे बेटे को भी विरासत में ये सुपर पावर मिल गई है..बड़ी ताकत से बड़ी जिम्मेदारी आती है. अब बेचारा वो भी इसे झेल रहा है ). पहले मुझे लगा कि शायद मेरा खून मीठा है और मच्छर इसलिए अट्रैक्ट होते है, लेकिन मेरे साथ बहुत मित्र बैठते हैं, जिन्हे डायबिटीज है और उनके खून में ज्यादा शुगर होती है फिर भी मच्छर भाई साहब उनको फ्रेंडजोन में डाल के सारा प्यार मुझसे ही जाहिर करते हैं.

मच्छर भगाने के अजीबोगरीब हैरतंगेज तरीके भी मैने अपनाए हैं. बचपन में कच्छवा छाप अगरबत्ती ( कच्छवा जलाओ!) से यह सफर शुरू होता है. पहले तो ये अगरबत्ती एक दूसरे से अलग कराना ही एक पहेली सुलझाने की तरह होता था..और अमूमन ये टूट जाया करती थी ( हम भाई बहनों में ये प्रतियोगिता रहती थी कि जो ये बिना तोड़े अलग करेगा अगरबत्ती वही जलाएगा. उसका स्टैंड भी अपने आप में एक कलाकारी थी. सुबह उठने पे जमीन पे बना वो उसकी राख का चक्र मच्छरों के चक्रव्यूह को तोड़ने का उसका संघर्ष दर्शाता था.

महीने में 30 मैट लगते थे.. 

फिर आया गुड नाईट, रोज रात तो एक मैट लगाते थे. महीने में 30 मैट लगते थे, लेकिन भारतीय जुगाड कैसे खून से जाएगा? एक मैट को अल्टी पलटी करके 15 दिन और खींचा जाता था, और तो और..बाद में इसको जलाकर अगरबत्ती टाइप उपयोग किया जाता था ( शार्क टैंक में थोड़ी ना ऐसे ही हम लोगांे को फंडिंग मिलता है. सबसे बड़ी कहानी है ऑलआउट की उसकी एक एड आती थी टीवी पर, जिसमें एक जापानी आदमी दिखाया गया है और ये ऑलआउट में एक लम्बी जीभ निकलती है और मच्छरों को निगल जाती है. यह एड देख के मैने बचपन में इसको लाने की जिद पकड़ी, रातभर मैं जागता रहा, लेकिन ऑलआउट में से कोई जीभ नहीं निकली जो मच्छरों को खा लेती है.

अमेरिका में भी मच्छरों से आजादी नहीं मिली.. 

चाहे ओडोमास लगाओ, फॉगिंग कराओ या फिर सिक्विड स्प्रे ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे..ऐसा नहीं की मच्छर सिर्फ यही का इशू है, जब मैं अमेरिका गया था तो शायद मच्छर भाई भी मुझे फॉलो कर रहा था, या फिर उसने वहां के विदेशी मच्छरों को शायद वायरलैस मैसेज कर दिया हो..वहां पर भी मेरी खूब खातिरदारी हुई है. सर्दी हो गर्मी हो, पश्चिम हो या पूरब हो, देश हो विदेश हो मैने सब जगह अपना अमूल्य खून इन पर कुर्बान किया है. मैने खून दिया है लेकिन मुझे अब तक इनसे आजादी नहीं मिली है.

डीजल का खर्च बढ़ा इसलिए फॉगिंग बंद. . 

नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के अध्यक्ष नाग भूषण राव ने बताया कि फिलहाल फॉगिंग को सीमित कर दिया गया है. इसके डीजल पर अधिक खर्च हो रहा था इसलिए इसे बंद किया गया है. नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी विजय पांडे ने बताया कि निगम के फैसले की वजह से फॉगिंग बंद है, क्योंकि इससे कोई रिजल्ट मिल नहीं रहा था.

मच्छरों से मुक्ति दिलाने प्रोजेक्ट बनाएंगे.. 

शहर में मच्छर की समस्या खत्म नहीं हो रही. नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी विजय पांडे ने बताया कि हर साल औसतन 80 लाख से अधिक का बजट मच्छरों से निपटने का है. नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के अध्यक्ष नाग भूषण राव ने बताया कि इसके बाद भी हम मच्छरों पर काबू पाने में विफल हैं. रायपुर के मच्छर मरते नहीं या कहा जाए खत्म नहीं होते. जो दवाएं छिडकी गईं वो बेअसर साबित हुई है. इस समस्या को खत्म करने का संकल्प लिया जाता है, मगर मैं मानता हूं कि ये खत्म नहीं हो रहा. नागभूषण राव ने बताया कि मैं कुछ वक्त पहले तिरूपति बालाजी गया था, वहां लाखों लोग आते हैं गंदगी होती है, मगर वहां मच्छर नहीं है. इस तरह के मैनेजमेंट को हम रायपुर में भी लागू करें ये मेरा प्रयास होगा, इस पर जल्द एक प्रोजेक्ट तैयार करेंगे.