देश के हर देशभक्त सपूत का सम्मान करना हमवतन लोगों का मूल कर्तव्य होना चाहिए, देशभक्त वीर सपूत के बारे में गलत शब्दों से टिप्पणी करने वाले राजनीति और राजनीतिक नेताओं को बोलने का कोई अधिकार नहीं है?

It should be the basic duty of the compatriots

देश के हर देशभक्त सपूत का सम्मान करना हमवतन लोगों का मूल कर्तव्य होना चाहिए, देशभक्त वीर सपूत के बारे में गलत शब्दों से टिप्पणी करने वाले राजनीति और राजनीतिक नेताओं को बोलने का कोई अधिकार नहीं है?
देश के हर देशभक्त सपूत का सम्मान करना हमवतन लोगों का मूल कर्तव्य होना चाहिए, देशभक्त वीर सपूत के बारे में गलत शब्दों से टिप्पणी करने वाले राजनीति और राजनीतिक नेताओं को बोलने का कोई अधिकार नहीं है?

NBL, 15/04/2023, Lokeshwer Prasad Verma Raipur CG: It should be the basic duty of the compatriots to respect every patriotic son of the country, politics and political leaders who comment with wrong words about the patriotic brave son have no right to speak?

आज देश के सभी राजनीतिक नेताओ के द्वारा देश के वीर सपूत व उनके देश हित बलिदान की मजाक बना कर हँसते है, जो सभ्य भारत के लिए उचित नहीं है, और देश के सभी राजनीतिक दल आजकल देश के इन वीर सपूतों को बाँट दिया है, देश के हर कोई राजनीतिक दल अपने पार्टी आफिस में वीर शहीद भगत सिंह जी का तस्वीर टांग कर रखे हुए हैं, तो कोई लोहिया जी का तो कोई भीम राव अम्बेडकर जी का तो कोई वीर सावरकर जी का ऐसा अन्य राजनीतिक दलों के नेताओ ने अनेक प्रकार के इन महापुरुषों के तस्वीरों को दिवाल में टांग कर या मूर्ति बनाकर सिम्बोलिक कर दिया गया है। मै वीर भगत सिंह के विचारों पर चलता हूँ, तो कोई राजनीतिक पार्टी महात्मा गॉंधी के विचार धारा से चलता हूँ, ऐसा खिचतान देश के राजनीतिक दल नेताओ का देश में आज कल चल रहा है, जो राजनीतिक दल ऐसा इन महा पुरुषों के अलग अलग विचार धाराओ को लेकर चलेंगे तो देश का क्या हाल होगा जबकि इन सभी महापुरुषो का विचार धारा अलग अलग जरूर थे, लेकिन सभी महापुरुषो की एक ही विचार था भारत देश को इन मुगलो या इन अंग्रेज फिरंगियों से कैसे छुड़ाया जाय कैसे आजादी दिलवाये जो हम सभी देशवासि अमन चैन सुख शांति से रह सके और आज इन महापुरुषो के खुद के अपने उनके विचारों को एक हथियार बना कर देश के राजनीतिक दल नेता लोग चल रहे हैं, जो देश को खंड खंड कर रहे हैं देश धर्म समाज के अंदर भेदभाव पैदा कर रहे हैं, जबकि इन महापुरुषो का एक ही उद्देश्य था एक मेव राष्ट्रनिर्माण सेवा। जन सुखाय जन हिताय का भाव था देश के इन सभी महापुरुषो की। 

देश को इन विदेशी अतितायीयो व लुटेरो से देश को आजादी दिलाने के लिए दो गुट तैयार हुए, एक शांति वादी सोच वाले नेता और और दूसरा क्रांति सोच रखने वाले नेता या वीर सपूत जो देश वासी इन दो गुटों में शामिल होकर अपने देश के आजादी की लड़ाई लडी और देश को आजादी दिलाई इन दोनों विचार धराओ में बड़ा ही अंतर है। शांति वादी सोच रखने वाले नेता व उनके सहयोगी देश वासी बिना लड़ाई झगड़े किये बिना अपना बात रखते थे उन विदेशी अतितायी मुगल व इन विदेशी अंग्रेज फिरंगीयो के पास जो शांति वादी नेता व उनके सहयोगी देश वासी के विशाल आंदोलन को देखकर व इनके प्रभाव को देखकर इन शांति वादी नेताओ की कुछ एक इनके शर्तो को इन विदेशी मुगल व अंग्रेज अतितायी लोग मान लेते थे और ऐसा ही देश में आंदोलन चला करता था उस वक्त के हिसाब से देश को आजादी दिलाने के लिए।

दूसरा क्रांति कारी सोच रखने वाले नेता व इनके सहयोगी देश वासी लोग थे, जिसका रूप इन शांति वादी सोच रखने वाले नेताओ से अलग थे, इन क्रांति कारी नेताओ की सोच यह था मांगने से आजादी नहीं मिलता आजादी पाने के लिए छीनना पड़ता है, और इन विदेशी अंग्रेज अतितायी लुटेरा लोगों से हमें अपने बाहु बल से लड़ेंगे और हम अपने हक को छीन लेंगे, इसलिए इन कांति कारी सोच रखने वाले लोगों के रगो में इन विदेशियों के लिए नफरत ही नफरत था, इसलिए जहाँ इन अंग्रेज इन क्रांतिकारियों को मिल जाता वही उनको लूट लेता व उनके वही हत्या कर देते थे, ऐसा क्रांतिकारी को अंग्रेज सरकार आतंक फैलाने वाले व मानव समाज के अंदर दहसत गर्द फैलाने आरोप इन क्रांति कारियो को अंग्रेज ब्रिटिश सरकार मानते थे, और इन क्रांति कारी नेता व इनके सहयोगी लोग इन अंग्रेज ब्रिटिश सरकार को अचानक मिल जाता तो उस वक्त इन क्रांतिकारीयो को फांसी में लटकाने व मौत की सजा या जेल में कठोर कारावास काला पानी देने की सजा का प्रावधान बनाये थे, यही काला पानी का सजा वाला जेल समुंदर के बीच टापू में है जिसको अंड बार निको बार द्वीप कहते हैं, चारों तरफ पानी ही पानी बीच टापू में जेल है, जो इन क्रांतिकारियों को ले जाके डाल दिया जाता था। 

इन दो गुटों में सबसे ज्यादा अंग्रेज ब्रिटिश सरकार की कठोर यातनाएं केवल इन क्रांतिकारीयो को ही मिलता था और सबसे ज्यादा डर इन अंग्रेजो को इन क्रांतिकारीयो से ही बना रहता था, और देश को जल्दी आजादी दिलाने में इन क्रांतिकारीयो का सबसे बड़ा सहयोग व योगदान था, जिसको हम आप देश वासी झुठला नही सकते इन क्रांतिकारीयो के देश हित बलिदान को, हम सभी देशवासि इनके ऋणी है, और हम सभी देश वासी सदा सदा के लिए ऋणी रहेंगे इन वीर सपूत क्रांतिकारी देश भक्त के जिसका सम्मान हम देश वासियों को हर वक्त हर समय दिल से करना चाहिए बिना भेदभाव के। 

उस वक्त देश के बिगड़ी हालात को समझते देखते हुए इन दो गुटों का निर्माण हुआ पहला शांति वादी और दूसरा क्रांति वादी और यह दोनों गुट देश के आजादी के लिए अपना सहयोह व देश में अपना योगदान दिया इन दोनों गुटों के लोग अपना अपना बलिदान तक देना पड़ा देश हित के लिए लेकिन इनके विचार धाराएँ अलग अलग है, जो आजके राजनीतिक दलों के नेताओ को लेकर नहीं चलना चाहिए एक व्यक्ति विशेष चुनाव अपने दलों के नेताओ को इन महापुरुषो को लेकर नहीं चलना चाहिए, क्योकि इन दोनों गुटों के सभी महापुरुषो ने देश को आजादी दिलाई, आप आजके राजनीतिक दल वीर भगत सिंह और एक महात्मा गॉंधी बापू को लेकर नहीं चल सकते क्योकि दोनों का विचार धाराये अलग था, एक मारने पिटने वाले सोच का है और दूसरा हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन करने वाले नेता है। तो क्या देश में अभी वर्तमान में वीर भगत सिंह जैसा सोच रखकर देश राज्य में कानून व्यवस्था लागू करोगे जो उस अंग्रेज सरकार के समय था वीर भगत सिह जी की क्रांतिकारी विचार जो अंग्रेज ब्रिटिश सरकार का जीना हराम कर दिया गया था, वैसा अभी देश में करोगे तो देश का क्या हाल होगा। 

देश के हर देशभक्त सपूत का सम्मान करना हमवतन लोगों का मूल कर्तव्य होना चाहिए, देशभक्त वीर सपूत के बारे में गलत शब्दों से टिप्पणी करने वाले राजनीति और राजनीतिक नेताओं को बोलने का कोई अधिकार नहीं है? ना ही इन महापुरुषो के आड़ लेकर राजनीति मत करो जो देश में दो गुटों का निर्माण हो एक तरफ शांति और दूसरे तरफ अशांति मार काट लड़ाई झगड़े वह सब अंग्रेज ब्रिटिश सरकार को देश से भगाने के लिए दो गुटों का निर्माण किया हमारे पूर्वजो ने जो आज हम उन महापुरुषो के आर्शिवाद से आजाद है और अब इन दो गुटों का निर्माण की आवश्यकता देश में अभी नहीं है, अभी देश के विकास के लिए हर देश वासियों के हित के लिए व देश की जरूरतों को पुरा करने के लिए विचार करनी चाहिए, और सब देश वासियों के हित के लिए देश के हर एक राजनीतिक दलों के नेताओ को विचार किया जाना चाहिए, अपने देश की उन्नति उत्थान के लिए। 

अब विदेशी अतितायी लुटेरा अंग्रेज ब्रिटिश सरकार नहीं है जो देश में इनको भगाने के लिए आंदोलन करो अब देश के उन्नति विकास के लिए आंदोलन करो देश में महंगाई को लेकर व देश के रोजगार को लेकर आंदोलन करो देश के सुनहरे विकास को लेकर आंदोलन करो, एक राष्ट्र सशक्त भारत के निर्माण के उपर बात करो, ना की उन वीर राष्ट्र निर्माण बलिदानी देश भक्त महापुरषो को लेकर राजनीति करो उनके जैसे राष्ट्र निर्माण का सोच रखो जो दो गुट होकर भी देश के लिए सोचा देश के हित के लिए बलिदान हो गए वैसे राष्ट्र निर्मानी बनो देश के राजनीतिक दलों के नेताओ। देश तोड़ने में नहीं देश को जोड़ने के लिए नेता बनो।