Farming Business Ideas : शुरू करें लौकी की खेती और कमाए हर महीने लाखों, जानिए इसकी खेती संबंधित पूरी जानकारी.
Farming Business Ideas: Start gourd farming and earn lakhs every month, know complete information related to its cultivation. Farming Business Ideas : शुरू करें लौकी की खेती और कमाए हर महीने लाखों, जानिए इसकी खेती संबंधित पूरी जानकारी.




Farming Business Ideas :
आज हम आपको लौकी की खेती से संबंधित जानकारी जैसे- लौकी की खेती कैसे करें, लौकी की उन्नत किस्म एवं पैदावार की जानकारी देने जा रहे हैं.लौकी सब्जी को सभी कद्दू वर्गीय सब्जियों में प्रमुख माना जाता हैं. लौकी की फसल साल में तीन बार उगाई जाती है. जायद, खरीफ, रबी सीजन में लौकी की फसल ली जाती है. (Farming Business Ideas)
ज्वार, बाजरा, गेहूं, धान, जौ, आलू, चना, सरसों की अपेक्षा सब्जियों की खेती में कमाई ज्यादा है। लेकिन ये मुनाफा काफी कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आप खेती किस तकनीकी से करते हैं। जहां पहले किसान धान, गेहूं और मोटे अनाजों की पैदावार को अपनी आय का एक मात्र जरिया मानते थे, (Farming Business Ideas)
वहीं वर्तमान समय में किसानों ने इस सोच से आगे बढक़र आलू, टमाटर, बैंगन, मिर्च, तोरई, कद्दू, खीरा आदि जैसी सह फसली खेती को कमाई का जरिया ही नहीं बनाया है बल्कि इनकी खेती से पूरे साल लाखों रुपये की कमाई भी कर रहे हैं। आज हम जिस सब्जी की खेती के बारे में बात कर रहे हैं। वह सभी कद्दूवर्गीय सब्जियों में एक महत्वपूर्ण सब्जी के रूप में जानी जाती हैं। (Farming Business Ideas)
इस सब्जी का नाम लौकी है। इसकी पत्तिया, तने व गूदे से अनेक प्रकार की औषधियां बनायी जाती है। पहले लौकी के सूखे खोल को शराब या स्प्रिट भरने के लिए उपयोग किया जाता था इसलिए इसे बोटल गार्ड के नाम से जाना जाता है। यह हर सीजन में मिलने वाली सब्जी हैं। इस सब्जी की मांग मंडी में हर समय काफी बड़े स्तर पर रहती है। लौकी की खेती से किसान भाई कम खर्च पर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। आज हम आपको लौकी की खेती से संबंधित जानकारी जैसे- लौकी की खेती कैसे करें, लौकी की उन्नत किस्म एवं पैदावार की जानकारी देने जा रहे हैं। (Farming Business Ideas)
वर्ष में तीन बार कर सकते हैं लौकी की खेती :
लौकी एक ऐसी कद्दूवर्गीय सब्जी हैं, जिसकी फसल वर्ष में तीन बार उगाई जाती हैं। जायद, खरीफ, रबी सीजन में लौकी की फसल ली जाती है। जायद की बुवाई मध्य जनवरी, खरीफ मध्य जून से प्रथम जुलाई तक और रबी सितंबर अंत से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक लौकी की खेती की जाती है। जायद की अगेती बुवाई के लिए मध्य जनवरी में लौकी की नर्सरी की जाती है। (Farming Business Ideas)
पोषक तत्वों से भरपूर है लौकी :
आमतौर पर लोग लौकी को खाना बहुत ही कम पसंद करते हैं। अधिकतर लोगों को लौकी खाने से बचते हुए देखा गया है। कुछ को इसका स्वाद पसंद नहीं होता है, तो कुछ को ये पता ही नहीं होता है कि ये कितनी फायदे चीज हैं। अगर आपको भी ये लगता हैं कि लौकी खाने से कोई फायदा नहीं है तो आपको बता दें कि ऐसा नहीं है। लौकी एक बेहद फायदेमंद सब्जी है, जिसके इस्तेमाल से आप कई तरह की बीमारियों से राहत पा सकते हैं। आपको बता दें कि लौकी में कई तरह के प्रोटीन, विटामिन और लवण पाए जाते हैं। इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम पोटेशियम और जिंक पाया जाता है। ये पोषक तत्व शरीर की कई आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं और शरीर को बीमारियों से सुरक्षित भी रखते हैं। इसके अलावा लौकी में कई ऐसे गुण होते हैं जो कुछ गंभीर बीमारियों में औषधि की तरह काम करते हैं। (Farming Business Ideas)
जानें लौकी (घीया) खाने से क्या-क्या फायदे हैं :
- वजन कम करने में मददगार है।
- नींद न आने की बीमारी को कम करता है।
- बालों का समय से पहले सफेद होने से रोकता है।
- स्ट्रेस कम करता है लौकी को खाने से स्ट्रेस कम होता है।
- हृदय को स्वस्थ रखने के लिए लौकी बेहद लाभकारी है।
- डाइजेशन में मदद करता है।
- स्किन के लिए फायदेमंद है।
- शरीर को ठंडा तथा हाइड्रटेड रखता हैं। (Farming Business Ideas)
ऐसे करे लौकी की खेती (lauki ki kheti) :
लौकी की खेती में उपयुक्त भूमि :
देश में लौकी की खेती को किसी भी क्षेत्र में सफलतापूर्वक की जा सकती है। इसकी खेती उचित जल निकासी वाली जगह पर किसी भी तरह की भूमि में की जा सकती है। किन्तु उचित जल धारण क्षमता वाली जीवाश्म युक्त हल्की दोमट भूमि इसकी सफल खेती के लिए सर्वोत्तम मानी गयी है। लौकी की खेती में भूमि का पी.एच मान 6 से 7 के मध्य होना चाहिए। (Farming Business Ideas)
उपयुक्त जलवायु एवं तापमान :
लौकी की खेती के लिए गर्म एवं आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। इसकी बुआई गर्मी एवं वर्षा के समय में की जाती है। यह पाले को सहन करने में बिल्कुल असमर्थ होती है। इसकी खेती को अलग-अलग मौसम के अनुसार विभिन्न स्थानों पर किया जाता है, किन्तु शुष्क और अर्द्धशुष्क जैसे क्षेत्रों में इसकी पैदावार अच्छी होती है। लौकी की खेती में 30 डिग्री के आसपास का तापमान को काफी अच्छा होता हैं। इसके बीज जमने के लिए 30-35 डिग्री सेंटीग्रेड और पौधों की बढ़वार के लिए 32 से 38 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उचित होता हैं। (Farming Business Ideas)
लौकी की किस्में :
अर्का नूतन, अर्का श्रेयस, पूसा संतुष्टि, पूसा संदेश, अर्का गंगा, अर्का बहार, पूसा नवीन, पूसा हाइब्रिड 3, सम्राट, काशी बहार, काशी कुंडल, काशी कीर्ति एंव काशी गंगा आदि।
हाइब्रिड किस्में :
काशी बहार, पूसा हाइब्रिड 3, और अर्का गंगा आदि लौकी की हाइब्रिड किस्में हैं। जो 50 से 55 दिनों में पैदावार देने लगती हैं तथा इन किस्मों की औसत उपज 32 से 58 टन प्रति हेक्टेयर के आस पास होती है। (Farming Business Ideas)
पौधों को कैसे तैयार करें :
लौकी की जल्दी और अधिक पैदावार के लिए आप इसके पौधों को नर्सरी में तैयार करके सीधे खेत में लगा सकते हैं। पौधों को खेत में रोपाई से लगभग 20 से 25 दिन पहले तैयार किया जाता है। इसके लिए आप तैयार खेत में एक तरफ इसकी नर्सरी तैयार करें। इसकी नर्सरी तैयार करने के लिए पहले आप जो मिट्टी लेते हैं उसमें 50 प्रतिशत कंपोस्ट खाद और 50 प्रतिशत मिट्टी का प्रयोग करें। खाद एवं मिट्टी का अच्छे से मिश्रण बनाकर के क्यारियों का निर्माण करें। इन तैयार क्यारियों में पानी लगाकर लौकी के बीजों को लगभग 4 से.मी. की गहराई पर बुवाई करके मिट्टी की पतली परत बिछा लें तथा हल्की सिंचाई करें। लगभग 20 से 25 दिन बाद पौधे खेत में लगाने के योग्य तैयार हो जाते हैं। इसके अलावा आप इसके पौधे प्लास्टिक या फाइबर के गिलास में भी तैयार कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त बीजों को नर्सरी में बुवाई से पहले रोग मुक्त करने के लिए बीज को गोमूत्र या बाविस्टीन से उपचारित कर लेना चाहिए। (Farming Business Ideas)
लौकी बुवाई का समय :
लौकी की फसल साल में तीन बार उगाई जाती है। जायद, खरीफ, रबी सीजन में लौकी की फसल ली जाती है।
- जायद की बुवाई मध्य जनवरी
- खरीफ की बुवाई मध्य जून से प्रथम जुलाई तक
- रबी सीजन की बुवाई सितंबर अन्त से अक्टूबर प्रथम तक (Farming Business Ideas)
लौकी के पौधों की सिंचाई :
लौकी की खेती की सिंचाई उसकी फसल के ऋतु पर निर्भर करती हैं। यदि आप ने इसकी खेती जायद सीजन के लिए की हैं, तो इसकी खेती की सिंचाई पहली सिंचाई रोपाई से पहले करें। इसके बाद 4 से 5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए। लौकी की खरीफ ऋतु में खेत की सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं होती हैं। परन्तु वर्षा न होने पर 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता पड़ती हैं। अधिक वर्षा की स्थिति में जल के निकास के लिए नालियों का गहरा व चौड़ा होना आवश्यक हैं। इसके अलावा रबी सीजन की फसल को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। लौकी की रबी सीजन के लिए इसके पौधों में नमी बनाया रखने एवं पौधों पर फल बनने लगे तब हल्की-हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। रबी सीजन में इसके पौधों की सिंचाई 15 से 20 दिनों के अन्तराल में नमी के अनुसार करें। (Farming Business Ideas)
उर्वरक की सही मात्रा :
लौकी की खेती में सही उवर्रक मात्रा के लिए खेत की मिट्टी परीक्षण के आधार पर इसकी खेती में उवर्रक की सही मात्रा तय करें। इसकी खेती में पहले खेत को तैयार करते समय प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 200 से 250 क्विंटल पुरानी गोबर की खाद को अच्छे से मिट्टी में मिला देना चाहिए। इसके बाद रासायनिक खाद के लिए 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 35 किलोग्राम फास्फोरस और 30 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में दे सकते हैं। नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा खेत की तैयारी के समय देनी चाहिए। बची हुई नाइट्रोजन की आधी मात्रा 4 से 5 पत्ती की अवस्था में और बची आधी मात्रा पौधों में फूल बनने से पहले देनी चाहिए। (Farming Business Ideas)
लौकी की फसल की सुरक्षा कैसे करें?
लौकी की फसल जल्द रोगग्रस्त होती है। इसकी फसल में मुख्य रूप से चुर्णी फफूंदी, उकठा (म्लानि), फल मक्खी और लाल कीड़ा जैसे प्रमुख रोग का ज्यादातर प्रकोप रहता है। इसकी जड़ों से लेकर बाकी हिस्सों में कीड़े भी लगते हैं। लौकी की उन्नत खेती एवं उन्नत पैदावार के लिए किसान भाई को इसकी फसल को इन कीटों एवं वायरसों के प्रकोप से भी बचाना जरूरी है। इसके लिए किसान भाई को इन कीटों एवं रोगों के प्रति सचेत रहना चाहिए एवं कृषि विशेषज्ञ की सलाह से कीटनाशक या रासायनिक खाद का इस्तेमाल करके फसल का उपचार एवं निवारण करते रहना चाहिए। (Farming Business Ideas)
लौकी की खेती से एक लाख तक का मुनाफा :
इसके बीजों की खेत में रोपाई के लगभग 50 से 55 दिनों के बाद इसकी फसल पैदावार देना आरंभ कर देती है। जब इसके फल सही आकार और गहरा हरा रंग में ठीक-ठाक प्रकार का दिखने लगे तब उनकी तुड़ाई कर लें। फलों की तुड़ाई डंठल के साथ करें। इससे फल कुछ समय तक ताजा बना रहता है। फलों की तुड़ाई के तुरंत बाद उन्हें पैक कर बाजार में बेचने के लिए भेज देना चाहिए। लौकी की फसल में पैदावार की बात करें, तो इसकी खेती कम खर्च में अच्छी पैदावार देने वाली खेती हैं। लौकी की खेती के लिए एक एकड़ में लगभग 15 से 20 हजार की लागत आती है और एक एकड़ में लगभग 70 से 90 क्विंटल लौकी का उत्पादन हो जाता है बाजारों में भाव अच्छा मिल जाने पर 80 हजार से एक लाख रुपए का शुद्ध आय होने की संभावना रहती है। (Farming Business Ideas)