Eco-Friendly Home : इंजीनियरो ने बिना सीमेंट और ईंट के बनाया घर, घर गर्मी में नहीं रहती एसी और पंखे की जरूरत, जाने कैसे किया ये कमाल...

Eco-Friendly Home: Engineers built a house without cement and brick, the house does not need AC and fan in summer, know how it was done... Eco-Friendly Home : इंजीनियरो ने बिना सीमेंट और ईंट के बनाया घर, घर गर्मी में नहीं रहती एसी और पंखे की जरूरत, जाने कैसे किया ये कमाल...

Eco-Friendly Home : इंजीनियरो ने बिना सीमेंट और ईंट के बनाया घर, घर गर्मी में नहीं रहती एसी और पंखे की जरूरत, जाने कैसे किया ये कमाल...
Eco-Friendly Home : इंजीनियरो ने बिना सीमेंट और ईंट के बनाया घर, घर गर्मी में नहीं रहती एसी और पंखे की जरूरत, जाने कैसे किया ये कमाल...

Eco-Friendly Home :

 

नया भारत डेस्क : हर इंसान की ख्वाहिश अपने सपनों का एक घर बनाने की होती है, ताकि वो अपने परिवार के साथ खुशी से रह सके. इस बीच डूंगरपुर के एक परिवार ने पर्यावरण के संतुलन का ध्यान रखते हुए अनोखा घर बनाया है. इस घर में कंक्रीट और सीमेंट की जगह नहीं है बल्कि यह एनवायरनमेंट फ्रेंडली है. जनजाति क्षेत्र में एक ऐसा घर पहले शायद ही कभी देखा होगा, जहां हर चीज को रिसाइकिल कर पुन: उपयोग में लिया गया है. (Eco-Friendly Home)

डूंगरपुर शहर में रहने वाले सिविल इंजीनियर आशीष पंडा और उनकी पत्नी मधुलिका ने ये खास घर बनाया है. मधुलिका पेशे से सॉफ्टवेयर डेवलपर हैं. इसके साथ वह समाजसेवा का भी काम करती हैं. जबकि घर की नींव से लेकर बाहर और भीतर तक सबकुछ पर्यावरण के अनुकूल है. (Eco-Friendly Home)

उड़ीसा से संबंध रखने वाले 40 वर्षीय आशीष ने बताया कि स्कूल की पढ़ाई करने तक उनका जीवन मद्रास में बीता है. इसके बाद उन्होंने बिट्स पिलानी से सिविल इंजीनियरिंग की. फिर देश के अलग-अलग हिस्सों में काम किया. जबकि विजयवाड़ा की 41 वर्षीया मधुलिका ने भी बिट्स पिलानी से इंजीनियरिंग की. इसके बाद वह मास्टर्स की पढ़ाई के लिए अमेरिका चली गयीं. उन्होंने अमेरिका में एक साल काम भी किया. (Eco-Friendly Home)

मधुलिका ने कहा कि मैं और आशीष भले ही अलग-अलग जगहों पर रहे, लेकिन अपने कॉलेज के समय से ही हमने तय कर लिया था कि हम राजस्थान ही लौटेंगे. कॉलेज के दिनों से ही मेरा सामाजिक विषयों की तरफ और आशीष का प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की तरफ झुकाव था. (Eco-Friendly Home)

साल 2008 में देश-विदेश में कई जगह रहने के बाद यह दंपति राजस्थान लौट आया. आशीष के मुताबिक, हम दोनों यह तय कर चुके थे कि किसी बड़े-मेट्रो शहर में नहीं रहना है. हमेशा से प्रकृति के करीब रहना चाहते थे. इसके लिए कुछ महीने अलग-अलग गांवों में रहकर भी देखा. वहीं, मधुलिका ने कहा कि साल 2010 में डूंगरपुर में ही हमारी बेटी का जन्म हुआ और इसके बाद हमने यहीं पर बसने का फैसला किया. (Eco-Friendly Home)

आशीष और मधुलिका ने घर के निर्माण के लिए सभी लोकल मटीरियल का उपयोग किया है, जैसे बलवाड़ा के पत्थर और पट्टियां, घूघरा के पत्थर और चूने का उपयोग. घर की सभी दीवारें पत्थर से बनाई गईं हैं और इनकी चिनाई, प्लास्टर और छत की गिट्टी में चूने का इस्तेमाल किया है. इसमें गर्मी के दिनों में भी एसी और पंखे की जरूरत नहीं होती है. (Eco-Friendly Home)

इसके अलावा इस घर की छत, छज्जे, सीढ़ियों के निर्माण आदि के लिए पट्टियों का इस्तेमाल किया है. मजेदार बात ये है कि इस पूरे घर में कही भी सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है. आशीष और मधुलिका ने बताया कि राजस्थान में जितने भी पुराने महल, हवेलियां और घर बने हुए सभी में पत्थर, चूने या फिर मिट्टी का उपयोग किया हुआ है. किसी की भी छतों में सीमेंट और स्टील का इस्तेमाल नहीं हुआ है. फिर भी ये इमारतें बरसों से सही-सलामत खड़ी हुई हैं. (Eco-Friendly Home)