Business Ideas : शुरू करें कीवी की खेती ! होगा मुनाफे का सौदा, पढ़िए इसकी पूरी जानकारी...
Business Ideas: Start Kiwi Farming! There will be a profitable deal, read its full information ... Business Ideas : शुरू करें कीवी की खेती ! होगा मुनाफे का सौदा, पढ़िए इसकी पूरी जानकारी...
Business Ideas Kiwi Cultivation :
किसान ज्यादातर पारंपरिक खेती में विश्वास रखते हैं, लेकिन बदलते वक़्त और बाज़ार में विदेशी सब्जी और फलों की बढ़ती मांग को देख किसानों ने नई-नई फसलों की खेती को अपनाना शुरू कर दिया है. इनमें से कुछ ऐसे फल भी पाए जाते हैं, जिनकी मांग भारत में होने की वजह से उन्हें विदेश से आयात किया जाता है. भारत में भी अब कीवी का उत्पादन बढ़ने लगा है। नागालैंड में कीवी की सबसे ज्यादा बागवानी होती है। इसके लिए केन्द्र सरकार ने नागालैंड को कीवी स्टेट का दर्जा दिलाने में मदद शुरु कर दी है। (Business Idea)
जानिए क्या है कीवी या करौंदा :
कीवी एक विदेशी फल है जिसने अपने स्वास्थ्यवर्धक गुणों के कारण लोगों के खान-पान में जगह बना ली है। कीवी में भरपूर मात्रा में विटामिल सी, विटामिन ई, फाइबर, पोटेशियम, कॉपर, सोडियम और एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है। इसमें संतरे के मुकाबले कई गुना ज्यादा विटामिन सी पाई जाती है। इस वजह से कीवी इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के साथ-साथ कई बीमारियों में फायदेमंद है। बाजार में अच्छे दाम पर बिकने के बावजूद कीवी में मौजूद गुणों की वजह से देश और दुनिया में इसकी बहुत ज्यादा मांग है। इसकी बढ़ती डिमांड के कारण इसकी बागवानी प्रचलत तेजी से बढ़ रहा है। आईए जानते हैं कीवी की खेती/ कीवी की बागवानी के बारे में। (Business Idea)
हालांकि नॉर्थ-ईस्ट (North-East) के दूसरे राज्यों में कीवी की फसल काफी होने लगी है। लेकिन नागालैंड के मुकाबले में अभी वो बहुत पीछे हैं। कारोबारी बताते हैं कि एक हैक्टेयर बगीचे से 24 लाख के आमदनी हो सकती है। वहीं सेब के एक हेक्टेयर में बगीचा लगाने से मात्र 8.9 लाख कमाए जा सकते हैं, जबकि सब्जी उत्पादन जिनमें खासतौर से टमाटर से मात्र 2 से 2.5 लाख तक की ही आमदनी की जा सकती है। (Business Idea)
कीवी के फायदे :
कीवी में विटामिन सी, संतरे से 5 गुना ज्यादा होता है। इसके अंदर 20 से भी ज्यादा पोषक तत्व पाए जाते हैं। कीवी फ्रूट में विटामिंस और पोटेशियम, कॉपर, फाइबर भी बड़ी मात्रा में पाया जाता है। ऐसे में इसे सुपर फ्रूट भी कहा जाता है। करीब 70 ग्राम फ्रेश कीवी फ्रूट में विटामिन सी 50 फीसदी, विटामिन K एक फीसदी, कैल्शियम 10 फीसदी, फाइबर 8 फीसदी, विटामिन E 60 फीसदी, पोटैशियम 6 फीसदी पाया जाता है। इसमें पाया जाने वाला एंटी ऑक्सीडेंट शरीर को रोगों से बचाने का काम करता है। यह शरीर में शरीर की रोग निरोधक क्षमता को बढ़ाता है। (Business Idea)
कीवी की खेती के लिए मौसम और भूमि का चुनाव :
ज्यादा तापमान वाले क्षेत्रों में कीवी की खेती करना संभव नहीं है। जहाँ ज्यादातार ठंडा मौसम रहता है वहीँ पर इस फल की खेती की जाती है। जहां सामान्यतः तापमान 30 डिग्री से ऊपर नहीं जाता, वहां कीवी की खेती (Kiwi Cultivation) की जा सकती है। देश के पहाड़ी और ठंडी जलवायु वाले राज्य में किसान इसकी खेती कर रहे हैं। केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण, खाद्य प्रसंस्करण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का कहना है कि कीवी जैसे विदेशी फल का उत्पादन करने की दिशा में नागालैंड और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्य बेहतर भूमिका निभा रहे हैं। कीवी उत्पादन से यहां के किसानों की आय बढ़ने के साथ ही बागवानी के क्षेत्र में भी विस्तार हुआ है। राज्य की अर्थ व्यवस्था को भी बढ़ावा मिला है। (Business Idea)
बता दें कि कीवी की खेती (Kiwi Cultivation) के लिए जनवरी का महीना सबसे अच्छा होता है। कीवी के लिए खेती के लिए ऐसे क्षेत्र उपयुक्त होते हैं जिनकी समुद्र तल से ऊंचाई 1000 से 2000 मीटर के बीच हो और वहां की जलवायु हल्की उपोष्ण और हल्की शीतोष्ठ हो। सालभर में करीब 150 सेमी की औसत बारिश होनी चाहिए। सर्दियों में तापमान 7 डिग्री सेल्सियस तक रहना चाहिए। कीवी की बागवानी के लिए अच्छी जल निकासी वाली, गहरी, उपजाऊ, बलुई रेतीली दोमट मिट्टी उचित रहती है। जिसका पीएच मान 5.0 से 6.0 के बीच होना चाहिए। (Business Idea)
कीवी की पौधे पौधे कैसे तैयार करें?
कीवी की पौध चरणबद्ध तीन प्रक्रियाओं में तैयार होती है:
- बडिंग विधि
- ग्राफ्टिंग
- लेयरिंग विधि
- बडिंग विधि : इस विधि से कीवी की पौध तैयार करना सबसे उचित रहता है। इस विधि मेें कीवी फल से बीजों को निकाल लें और उन्हें साफ करके अच्छी तरह से सुखा लें। सुखाने के एक सप्ताह बाद बीज की बुवाई करें। नर्सरी तैयार करते हुए ध्यान रखें कि बुवाई के बाद एक सप्ताह के लिए इस पर सीधी धूप ना पड़े, इसलिए इसे अंदर ही रखें। इसके बाद क्यारियों पर मल्चिंग कर दें और जुलाई तक पौध पर छाया रहने दें। जब पौधे में 4 से 5 पत्ते आ जाए तो रोपाई का काम करें, मई या जून महीने में इसे नर्सरी में लगाया जा सकता है। (Business Idea)
- ग्राफ्टिंग : ग्राफ्टिंग या कलम विधि से कीवी की पौध तैयार करने के लिए एक साल पुरानी शाखाओं को काट लेना चाहिए। इसमें 2 से 3 कलियां होनी चाहिए। इन शाखाओं की लंबाई 15 से 20 सेमी के मध्य होनी चाहिए। अब 1000 पीपीएम आईबी नाम का रूट ग्रोथ हार्मोन लगाकर मिट्टी में गाड़ दें। याद रहे कि गाडऩे के बाद यह हिलना नहीं चाहिए और इस पर तेज धूप भी नहीं आनी चाहिए। यह काम जनवरी में होना चाहिए। इस तरह से तैयार हुआ पौधा एक साल बाद रोपाई के लिए तैयार हो जाता है। (Business Idea)
- लेयरिंग विधि : कीवी के पौध की एक साल पुरानी शाखा का चुनाव कर उसकी एक इंच छाल चारों तरफ से हटानी चाहिए। इसके बाद उसके चारों तरफ अच्छी तरह से मिट्टी बांध दें। इसमें हवा नहीं जानी चाहिए। इसके बाद करीब एक महीन के भीतर इसमें से नस्से निकलने लगेंगे। इसके बाद इस शाखा को मुख्य पौध से काटकर दूसरी जगह लगाना चाहिए। इसको मुख्य पौधे से हटाते समय ध्यान रखें कि शाखा चिरनी नहीं चाहिए, और जहां मिट्टी बांधी थी उसके ठीक नीचे से काटें। (Business Idea)
कीवी की पौधे का रोपण :
कीवी की खेती में पौधे से पौधे की दूरी 6 मीटर होनी चाहिए और एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति की दूरी 4 मीटर तक रखी जाती है ये बैल पर लगने वाला पौधा है जिसमें नर और मादा 2 तरह के पौधे लगाने होते हैं। इसमें हर 9 मादा पौधों के लिए एक नर पौधा लगाना होता है। (Business Idea)
कीवी के पौधों में सिंचाई :
कीवी के पौधों को गर्मियों में ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है। गर्मियों के दिनों में 10 से 15 दिनों के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए। कीवी फल उगने की प्रारंभिक अवस्था में सितंबर और अक्टूबर के महीने में भी सिंचाई करनी चाहिए। (Business Idea)
भारत में कीवी की प्रमुख प्रजातियां :
देश में किवी की हेवर्ड, एबॉट, एलीसन, मोंटी, टुमयूरी और बू्रनो नाम की किस्में उगाई जाती हैं। इनमे सबसे ज्यादा मांग हेवर्ड किस्म की रहती है। (Business Idea)
कीवी की खेती ( Kiwi plant ) में रोग और रोकथाम :
- कीवी की खेती में जड़ गलन, कालर रॉट, क्राउन रॉट आदि रोग होते हैं। मिट्टी में फफूंद लगने की वजह ये रोग से होते हैं। इन रोगों के बरसात और गर्मियों के मौसम में ज्यादा फैलने की संभावना रहती है। इनकी वजह से पत्तियां मुरझाकर आकार में छोटी होने लगती है। टहनियां सूख जाती और जड़े गलकर पौध खराब हो जाती है।
- रोकथाम के उपाय : कीवी की पौध को फफूंद से बचाने के लिए सबसे कारगर उपाय यही है कि जड़ों में पानी नहीं भरा रहना चाहिए यानी जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए।
- बैक्टीरियल लीफ स्पॉट : कीवी के पौधों में ये रोग बसंत ऋतु के अंत में होता है। इससे पत्तियां प्रभावित होती है जिसकी वजह से पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे पडऩे लगते हैं। इस रोग की रोकथाम के लिए जीवाणुनाशक का छिडक़ाव कली खिलने से पहले करना चाहिए। (Business Idea)
Sandeep Kumar
