Business Idea: एक एकड़ में करे इस फल की खेती, इसकी उन्नत किस्मों से मिलेगा तगड़ा मुनाफा, जानिए खेती करने का सही तरीका...

Business Idea: Cultivate this fruit in one acre! Its improved varieties will get big profits, know the right way to do farming... Business Idea: एक एकड़ में करे इस फल की खेती! इसकी उन्नत किस्मों से मिलेगा तगड़ा मुनाफा, जानिए खेती करने का सही तरीका...

Business Idea: एक एकड़ में करे इस फल की खेती, इसकी उन्नत किस्मों से मिलेगा तगड़ा मुनाफा, जानिए खेती करने का सही तरीका...
Business Idea: एक एकड़ में करे इस फल की खेती, इसकी उन्नत किस्मों से मिलेगा तगड़ा मुनाफा, जानिए खेती करने का सही तरीका...

Grapes Farming Business Idea:

 

नया भारत डेस्क : प्रगतिशील किसानों के लिए अंगूर की खेती कमाई का एक अच्छा जरिया बन सकता है. यदि एक एकड़ में अंगूर की खेती की जाए तो 6-7 लाख रुपये की कमाई सालभर में की जा सकती है. हालांकि की अंगूर की खेती में प्रति एकड़ 3 से 4 लाख रुपये का खर्च आता है. इसके बावजूद 3 से 4 लाख रुपये की कमाई इससे हो जाती है. अंगूर का नाम सुनते ही सबके मुंह में पानी आ जाता है. इसका रसीला स्वाद लोगों को बहुत भाता है. यही नहीं अंगूूर खाने में स्वादिष्ट होने के साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद होता है. इसके स्वाद और गुणों को देखते हुए इसकी मांग बाजार में अच्छी खासी होती है. किसान सब्जी और फूल की खेती के साथ अंगूर की खेती भी कर सकते हैं. अंगूर की मिठास किसानों को अच्छा मुनाफ़ा देकर उनकी आमदनी को दोगुना कर सकती है. 

बता दें कि महाराष्ट्र के नासिक में अंगूर की खेती बड़े पैमाने पर होती है. अगर किसान चाहें, तो हरे अंगूर के साथ-साथ काले रंग अंगूर की खेती भी कर सकते हैं. इसकी कुछ किस्मों की क्वालिटी इतनी अच्छी होती है कि अंगूर में मिठास ही मिठास भर देती है. इसके चलते देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अच्छी मांग बनी रहती है. दुनियाभर में लगभग 10 अंगूर उत्पादक देश हैं, जिनमें भारत का नाम भी शामिल है. (Grapes Farming Business Idea)

अंगूर की खेती को चाहिए अनुकूल मौसम :

इस खेती की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए मौसम का अनुकूल होना बहुत जरूरी है. राष्ट्रीय उद्यान विभाग के मुताबिक, इसकी खेती गर्म और शुष्क जलवायु में की जाती है. इसकी खेती के लिए तापमान 25 से 32 डिग्री का होना चाहिए. दिसंबर से जनवरी महीने में फसल की तैयार की गई जड़ की रोपाई की जाती है. बता दें कि अगर किसान फसल की ड्रिप सिंचाई करें, तो पानी की बचत भी की जा सकती है. (Grapes Farming Business Idea)

बाग में बाड़ लगाकर खेती :

बागवान जानकारों की मानें, तो अंगूर की खेती को बाग में बाड़ लगाकर करनी चाहिए. इस तरह इसकी पैदावार अच्छी होती है. अगर किसान चाहें, तो बाग में लोहे के एंगल या लकड़ी के बांस पर जाल तैयार कर सकता है. बाग में बाड़ को तैयार करने के बाद लाइन से अंगूर के पौधे लगाएं. बता दें कि इन लाइन से लाइन की दूरी लगभग 9 फीट की होनी चाहिए. इसके साथ ही एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी लगभग 5 फीट की रखें. इस तरह पौधे बांस या लोहे के एंगल के सहारे से ऊपर चढ़कर तारों के जाल पर फैल जाते हैं. ध्यान दें कि पौधों की कटिंग साल में 2 बार कर देनी चाहिए. किसान ध्यान दें कि इसकी खेती शुरू करने से पहले उद्यानिकी विशेषज्ञ से इसकी सारी अहम जानकारियां ले लेनी चाहिए. (Grapes Farming Business Idea)

बेलों की सधाई एवं छंटाई :

बेलों से लगातार अच्छी फसल लेने के लिए एवं उचित आकर देने के लिए साधना एवं काट-छांट की सिफारिश की जाती है। बेल को उचित आकर देने के लिए इसके अनचाहे भाग के काटने को साधना कहते हैं, एवं बेल में फल लगने वाली शाखाओं को सामान्य रूप से वितरण हेतु किसी भी हिस्से की छंटनी को छंटाई कहते हैं. (Grapes Farming Business Idea)

इस किस्म की विदेशों में मांग :

बागवान जानकारों का कहना है कि अंगूर की फसल साल में एक बार ही आती है. इस फसल को तैयार होने में लगभग 110 दिन का समय लगता है. अगर एक एकड़ खेत में अंगूर की पैदावार की बात करें, तो लगभग 1200 से 1300 किलो अंगूर प्राप्त हो जाते हैं. बता दें कि देश से विदेशों में अंगूर की थामसन किस्म की मांग बनी रहती है. (Grapes Farming Business Idea)

अंगूर की उन्नत किस्में :

1.परलेट

यह उत्तर भारत में शीघ्र पकने वाली किस्मों में से एक है। इसकी बेल अधिक फलदायी तथा ओजस्वी होती है. गुच्छे माध्यम, बड़े तथा गठीले होते हैं एवं फल सफेदी लिए हरे तथा गोलाकार होते हैं. फलों में 18 – 19 तक घुलनशील ठोस पदार्थ होते हैं. गुच्छों में छोटे-छोटे अविकसित फलों का होना इस किस्म की मुख्य समस्या है. (Grapes Farming Business Idea)

2. थॉम्पसन सीडलेस

इस किस्म महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में उगाई जाती है. इसे व्यापक रूप से बीजरहित, इलपसोडियल लंबी, मध्यम त्वचा वाली सुनहरी-पीली बेरियों के रूप में अपनाया जाता है. यह किस्म अच्छी क्वालिटी की होती है और इसका उपयोग टेबल प्रयोजन और किशमिश बनाने के लिए किया जाता है। औसतन पैदावार 20-25 टन / हैक्टेयर है.

3.पूसा सीडलेस

इस किस्म के कई गुण थाम्पसन सीडलेस किस्म से मेल खाते हैं. यह जून के तीसरे सप्ताह तक पकना शुरू होती है. गुच्छे मध्यम, लम्बे, बेलनाकार सुगंधयुक्त एवं गठे हुए होते हैं. फल छोटे एवं अंडाकार होते हैं। पकने पर हरे पीले सुनहरे हो जाते हैं. फल खाने के अतिरिक्त अच्छी किशमिश बनाने के लिए उपयुक्त है.

4.पूसा नवरंग

यह संकर किस्म भी हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा विकसित की गई है. यह शीघ्र पकने वाली काफी उपज देने वाली किस्म है. गुच्छे मध्यम आकर के होते हैं. फल बीजरहित, गोलाकार एवं काले रंग के होते हैं. इस किस्म में गुच्छा भी लाल रंग का होता है. यह किस्म रस एवं मदिरा बनाने के लिए उपयुक्त है. (Grapes Farming Business Idea)

5.अनब-ए-शाही

यह किस्म आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और कर्नाटक राज्यों में उगाई जाती है. यह किस्म देर से परिपक्व होने वाली और भारी पैदावार वाली है. बेरियां जब पूरी तरह से परिपक्व हो जाती है तो ये लम्बी, मध्यम लंबी, बीज वाली और एम्बर रंग की हो जाती है. इसका जूस साफ और मीठा होता है. यह कोमल फफूंदी के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है. औसतन उपज 35 टन है.

6.बंगलौर ब्लू (अंगूर का गुच्छा)

यह किस्म कर्नाटक में उगाई जाती है. बेरियां पतली त्वचा वाली छोटी आकार की, गहरे बैंगनी, अंडाकार और बीजदार वाली होती है. फल अच्छी क्वालिटी का होता है और इसका उपयोग मुख्यत: जूस और शराब बनाने में होता है. यह एन्थराकनोज से प्रतिरोधी है लेकिन कोमल फफूंदी के प्रति अतिसंवेदनशील है. (Grapes Farming Business Idea)

6.भोकरी

यह किस्म तमिलनाडू में उगाई जाती है. इसकी बेरियां पीली हरे रंग की, मध्यम लंबी, बीजदार और मध्यम पतली त्वचा वाली होती है. यह किस्म कमजोर क्वालिटी की होती है और इसका उपयोग टेबल प्रयोजन के लिए होता है. यह जंग और कोमल फफूंदी के प्रति अतिसंवेदनशील है. औसतन उपज 35 टन/ हेक्टेयर/ वर्ष है.

7.गुलाबी

यह किस्म तमिलनाडू में उगाई जाती है. इसकी बेरियां छोटे आकार वाली, गहरे बैंगनी, गोलाकार और बीजदार होती है. यह किस्म अच्छी क्वालिटी की होती है और इसका उपयोग टेबल प्रयोजन के लिए होता है. यह क्रेकिंग के प्रति संवदेनशील नहीं है परन्तु जंग और कोमल फफूंदी के प्रति अतिसंवेदनशील है. औसतन उपज 10-12 टन / हेक्टेयर है. (Grapes Farming Business Idea)

8.काली शाहबी

इस किस्म छोटे पैमाने पर महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश राज्यों में उगाई जाती है. इसकी बेरियां लंबी, अंडाकार बेलनाकार, लाल- बैंगनी और बीजदार होती है. यह किस्म जंग और कोमल फफूदी के प्रति अतिसंवेदनशील है. औसतन उपज 10-12 टन/ हेक्टेयर है. वैराइटी जंग के लिए तिसंवेदनशील है और कोमल फफंदी. औसतन उपज 12-18 टन/हैक्टेयर है.

9.परलेटी

यह किस्म पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के राज्यों में उगाई जाती है. इसकी बेरियां बीजरहित, छोटे आकार वाली, थोडा एलपोसोडियल गोलाकार और पीले हरे रंग की होती है. यह किस्म अच्छी क्वालिटी की होती है और इसका उपयोग टेबल प्रयोजन के लिए होता है. कल्सटरों के ठोसपन की वजह से यह किस्म किशमिश के लिए उपयुक्त नहीं है. इसकी औसतन पैदावार 35 टन है.

10. ब्यूटी सीडलेस 

यह वर्षा के आगमन से पूर्व मई के अंत तक पकने वाली किस्म है गुच्छे मध्यम से बड़े लम्बे तथा गठीले होते हैं. फल मध्यम आकर के गोलाकार बीज रहित एवं काले होते हैं। जिनमे लगभग 17-18 घुलनशील ठोस तत्व पाए जाते हैं. (Grapes Farming Business Idea)