दुनिया में दो तरह की हिंसा होती है, सकारात्मक और नकारात्मक और दोनों में देश की राजनीति शामिल होती है, या तो प्यार या नफरत।
There are two types of violence in the world, positive and negative




NBL, 22/06/2023, Lokeshwer Prasad Verma Raipur CG: There are two types of violence in the world, positive and negative and both involve the politics of the country, either love or hate.
दुनिया देश में जो भी हो रहे हैं, जैसे जो लोग देश में अपने हक के लिए लड़ाई लड़ रहे होते है देश के अंदर ऐसे आम जनमानस को आक्रोशित कर देश में हिंसा भड़का देते है या देश में हिंसा करवा देते है देश के अंदर देश के राजनीतिक नेताओ के द्वारा जो अपना राजनीतिक स्वार्थ व निजी द्वेष के चलते जन आंदोलन को गलत दिशा निर्देश कर उनके माइंड मे गलत मानसिकता के साथ नफरत का बीज बो देते हैं देश के कुछ राजनीतिक नेताओं के द्वारा जो इन जन हित आंदोलन करने वाले लोगों को सही से न्याय नहीं मिल पाता , क्योकि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों राजनीतिक दल है, और दोनों पक्ष देश के आवाम से जुड़े हैं और दोनों की ताकत देश की लोकतंत्र है, इसलिए प्यार की राजनीति कम और नफरत की राजनीति ज्यादा करते है, और हिंसा करने वाले लोगों को सत्ता पक्ष या विपक्ष दोनों में से कोई न कोई एक राजनीतिक समर्थन जरूर दे देता है, इसी से हिंसा करने वाले लोगों को बल मिल जाता है, अन्यथा हिंसा करने वाले लोगों को सौ बार सोचना पड़ेगा अगर देश की सत्ता पक्ष व विपक्षी पार्टियां एक होकर देश हित में बात करे तो ये हिंसा करने या हिंसा फैलाने वाले हिंसक लोग एक भी देश में नजर नहीं आयेंगे क्योकि इन हिंसक लोगों का जब कोई माई बाप ही नहीं होगा तो ये किस आधार पर अपने आप को हिंसक बनाकर देश में हिंसा करेगा। यह विचारणीय योग्य विषय है।
भारत देश में भी यही कहानी सदियों से स्टार्ट है, देश में सरकारी नौकरी अपने हक के लिए आंदोलन करते हैं और सत्ता पक्ष को आगाह करते हैं वैसा ही देश के किसान देश के मजदूर देश के युवा बेरोजगार व देश के खिलाड़ी व देश के शिक्षा व स्वास्थ्य या अन्य सुविधाओ को लेकर जन आंदोलन होता है इन सभी को दुरुस्त या मजबूत करने के लिए लेकिन सत्ता पक्ष मजबूत व दुरुस्त करते उनके पहले विपक्षी दलों के नेताओं के द्वारा जन आंदोलन को गलत दिशा निर्देश देकर उनके जन आंदोलन के माँगो के बनते काम को और बिगाड देते हैं, और विपक्षी दलों के नेताओं के मुख से आपको ये कहते हुए मिल जायेगा हम जब सत्ता में आयेंगे तो आपके सभी माँगो को हम पुरा करेंगे आज सत्ता पक्ष में बैठी सरकार को बदलना होगा आज इस सरकार से देश की लोकतंत्र खतरे मे है आज देश की आर्थिक स्थित खराब हो गया है आज देश के युवा बेरोजगारो को रोजगार नही मिल रही है देश के सत्ता में बैठा सरकार निक्कमा है, जब हम सत्ता में काबिज होंगे तो आसमां छू रही बढ़ती महंगाई दर को कम कर देंगे 1200 सो रुपये की गैस सिलेंडर को हम 400 सौ रुपये में देंगे सब तरफ खुशहाली ही खुशहाली होगा देश के अंदर सभी देशवासियों के सभी धर्मो के लोगों में भाईचारे व एकता होगा लेकिन आज तक कोई राजनीतिक नेता ऐसा कर पाए है, बल्कि हम देश वासी खुद एक साथ भाईचारे व एकता के साथ मिल जुल कर रहना चाहते हैं सभी धर्मो के लोग लेकिन देश के राजनीतिक नेताओं ने हम देश वासियों को चैन सुख से रहने नहीं देते, यह विषय भी विचारणीय है।
पूरी दुनिया में आतंकवाद व नक्सलवाद को रोकने के लिए अपने देश में बजट लाते है करोड़ो करोड़ो रुपिया, लेकिन क्या आजतक आतंकवाद या नक्सलवाद को रोक पाया वैसा ही करीबी हटाओ के लिए करोड़ो खर्च करने का दावा करते हैं क्या देश का गरीबी हटा दिया गया ऐसे ही भ्रष्टाचार व घोटाले कर रहे हैं देश के राजनीतिक नेता व देश के सरकारी अधिकारी व कर्मचारी व देश के बड़े बड़े उद्योग पति व देश के छोटे बड़े व्यापारी देश को लूट रहे हैं एक रुपिया के समान को पाँच रुपिया में बेच रहे हैं क्या यह सब गलत कार्य रुक गया देश में जब यह सब जड़ से समाप्त नहीं कर पाए सदियों से देश में राज करने वाले राजनीति दलों की राज नेता लोग तो क्या आज इन राजनीतिक नेताओं के बोलने से यह सब समाप्त हो जायेगा यह सब भ्रम है हम देशवासीयो के लिए आज ऐसा कोई नेता नहीं है जो साफ पाक पवित्र देश हित में काम करे कोई न कोई दाग जरूर है इन राजनीतिक नेताओं के उपर या इनके अन्य सहयोगी राजनीतिक नेताओं के उपर व इनके परिवार के सदस्यों के उपर कही न कही देश को नुकसान जरूर हुआ है इन लोगों के द्वारा। इस बात को भी देश के लोगों को जरूर सोचना चाहिए।
आज देश दुनिया के लोगों को साकारात्मक सोच के साथ देश के राजनीतिक नेताओं की चयन करना चाहिए ताकि देश उन्नति के साथ आगे बढ़ सके शांति पूर्ण तरीका से राजनीतिक नेताओं के द्वारा दिए गए लालच में आकर अपने ही देश को खोखला कर अपने देश के लोकतंत्र को कमजोर ना बनाए इस पर विचार जरूर कीजिए आप देश वासी।