जिनके भाव जिस तरह से रहते हैं उसी तरह से उनके बच्चे पैदा होते हैं - सन्त उमाकान्त जी महाराज

जिनके भाव जिस तरह से रहते हैं उसी तरह से उनके बच्चे पैदा होते हैं - सन्त उमाकान्त जी महाराज
जिनके भाव जिस तरह से रहते हैं उसी तरह से उनके बच्चे पैदा होते हैं - सन्त उमाकान्त जी महाराज

यदि एक साल के अंदर बच्चा मर जाए तो वापिस चौरासी की योनि में डाला जाता हैं

 

 

उज्जैन (म. प्र.)। इस विधि के विधान की पूरी जानकारी, हर बारीकी, आदि से अंत तक का पूरा भेद जानने वाले, जिनसे न तो ये पूरा सिस्टम छिपा है और न ही मनुष्य का भूत-भविष्य-वर्तमान, तो समय-समय पर इशारों में गहरी बात बता देने वाले, अपने भक्तों के कर्मों के कर्जे को, पिछले जन्मों के लेन-देन को बड़ी आसानी से हल्के में जैसे सूली का कांटा कर दिया जाए, ऐसे चुकवा कर आत्मा को इस मृत्युलोक के बंधनों से दिन-प्रतिदिन आजाद करवाने वाले, फिर जीवात्मा को निर्मल कर अपने निज घर सतलोक जयगुरुदेव धाम पहुंचाने वाले मौजूदा पूरे समरथ सन्त सतगुरु त्रिकालदर्शी उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 14 नवंबर 2020 को प्रातः कालीन बेला में आश्रम उज्जैन में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि भाव बहुत महत्वपूर्ण है।

 

अच्छी संतान कब पैदा होती है

 

जो ऐसा भाव रखते हैं कि एक कोई अच्छी संतान पैदा हो जाए, ध्रुव जैसा, भरत, प्रहलाद राम रहीम मोहम्मद कृष्ण भगतसिंह चंदशेखर अशफाक उल्ला खां जो देशभक्त थे महात्मा गांधी जैसा पैदा हो जाए तो जिसके भाव जिस तरह से रहते हैं उसी तरह के उनके बच्चे पैदा होते हैं। जो कामवासना वश बच्चे पैदा करते हैं, उनके बच्चे उसी तरह से व्यभिचारी प्रवृत्ति के पैदा होते है। तो मनुष्य पशुओं से भी बदतर हो गया है यानी जानवर समझ लो, पशुओं से भी नीच प्रवृति में चला गया।

 

यदि एक साल के अंदर बच्चा मर जाए तो वापिस चौरासी की योनि में डाला जाता हैं

 

मनुष्य शरीर में भी बच्चा अगर मर गया, पैदा होते ही मर गया या एक साल के अंदर मर गया तो उसको भोग योनि में डाला गया। मनुष्य शरीर पाते हुए भी उसकी उम्र नहीं है। भोग योनि में डाल दिया गया। अब वह कहां जाएगा? यही कीड़ा मकोड़ा (आदि योनियों में जाएगा) बनेगा, उसकी आत्मा का उद्धार नहीं हो सकता।

 

इस समय ज्यादा दुःखी कौन हो रहा है

 

महाराज जी ने 23 अगस्त 2022 को राजनंदगांव (छत्तीसगढ़) में बताया कि गुरु महाराज के जो नामदानी हो आप लोग गुरु को समझो। हाड मांस के शरीर में गुरु होते हैं, उसका नाम गुरु नहीं होता है। गुरु एक पावर शक्ति होती है। वह शक्ति आज भी मौजूद है। शरीर वाले गुरु तो चले गए लेकिन जो उपाय आपको बता गए, ध्यान भजन सिमरन करने का उससे आप गुरु की पहचान अंतर में कर सकते हो।

 

भटकाव उन्ही के अंदर है जो सुमिरन, ध्यान, भजन नहीं करते

 

बराबर समझाता रहता हूं। देखो उन्हीं के अंदर भटकाव है, लोभ लालच ज्यादा है, मान सम्मान ज्यादा चाहते हैं जो गुरु के रास्ते से भटक रहे हैं। ज्यादा दु:खी वही लोग हो रहे हैं जो सुमिरन ध्यान भजन नहीं करते हैं। उन्हीं को लोभ लालच काम क्रोध ज्यादा सता रहा है।

 

24 घन्टे गृहस्थी में ही न फंसे रहो

 

प्रेमियों! आप रहो इस गृहस्थ आश्रम में। गृहस्थी आपको किसी को, चाहे पुराने हो चाहे नए हो, छोड़ना ही नहीं है। बाल-बच्चों की देख रेख करना है, यह भी जिम्मेदारी बनती है। लेना-देना यह जो आपका है, यह भी दायित्व निभाना जरूरी होता है। लेकिन 24 घंटा इसी में फंसे मत रहो। कुछ अपनी आत्मा के लिए भी करो।

 

सन्त उमाकान्त जी के वचन

 

घर-घर मानव धर्म फैलाओ, घर बैठे प्रभु दर्शन पाओ। घिरी बदरिया पाप की बरस रहे अंगार, सन्त न होते जगत में जल मरता संसार। चंट चालाक लोगों पर प्रभु की दया कम होती है। चरित्रवान, संस्कारवान बनो, हिन्सा हत्या व आत्महहो ड्जत्या कभी मत करो। घर-घर में सतयुगी वातावरण बनाओ, सतयुग आने का समय हो रहा है?