कॉलेजिएट सिस्टम को लेकर की गई टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई आपत्ति, कहा- यह कानून है, इसका पालन होना चाहिए.
The Supreme Court objected to the remarks




NBL, 09/12/2022, The Supreme Court objected to the remarks made regarding the collegiate system, said- this is the law, it should be followed.
न्यायाधीशों की नियुक्ति की कोलेजियम व्यवस्था पर न्यायपालिका और सरकार आमने सामने आ गई है। न्यायाधीशों की नियुक्ति की कोलेजियम की सिफारिशों को लंबे समय तक दबाए रखने के रवैये पर कड़ा एतराज जताते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोलेजियम व्यवस्था कानून है और इसका पालन होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा घोषित प्रत्येक कानून सभी हितधारकों पर बाध्यकारी है।
* कोलेजियम व्यवस्था को कोर्ट ने ठहराया सही...
सरकार की पैरोकारी कर रहे अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कोर्ट ने कहा जब तक कोलेजियम व्यवस्था लागू है और उसे कोर्ट ने सही ठहराया है, उसे लागू करना होगा। आप दूसरा कानून लाना चाहते हैं लाएं किसी ने आपको दूसरा कानून लाने से नहीं रोका है। कोर्ट ने कहा कि अगर समाज का एक वर्ग ये तय करने लगेगा कि किस कानून का पालन करना है और किसका नहीं करना तो ब्रेकडाउन हो जाएगा। इतना ही नहीं कोर्ट ने सरकार के पदासीन लोगों द्वारा कोलेजियम व्यवस्था के बारे में की गई टिप्पणियों पर भी एतराज जताया। एक दिन पहले ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा में एनजेएसी को कोर्ट की ओर के खारिज किए जाने पर सवाल खड़ा किया था।
* अदालत करती है कानून की अंतिम व्याख्या...
गुरुवार को कोर्ट ने संवैधानिक व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा कि संवैधानिक योजना में अदालत ही कानून की अंतिम व्याख्या करती है। संसद को कानून बनाने का अधिकार है लेकिन उसका परीक्षण करने का अधिकार कोर्ट को है। कोर्ट ने अटार्नी जनरल से कहा कि जजों की नियुक्ति के बारे में कोर्ट द्वारा तय की गई कानूनी व्यवस्था के बारे में सरकार को कानूनी स्थिति समझाएं और मामले का कोई बेहतर हल ढूंढे। ये निर्देश और टिप्पणियां न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, एएस ओका और विक्रमनाथ की पीठ ने न्यायाधीशों की नियुक्ति की कोलेजियम की सिफारिशों को सरकार द्वारा न लागू न किये जाने का मुद्दा उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कीं।
* न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर सुनवाई...
गुरुवार को न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया मैमोरेंडम आफ प्रोसीजर (एमओपी) और कोलेजियम की लंबित सिफारिशों के बारे में सुप्रीम कोर्ट में स्थिति रिपोर्ट पेश की। स्थिति रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने कोलेजियम द्वारा नियुक्ति की सिफारिश के साथ भेजे गए 19 नामों को हाल ही में कोलेजियम को वापस भेज दिया है। इनमें से कुछ सिफारिशें ऐसी भी हैं जिन्हें कोलेजियम दोहरा चुका है। एक याचिकाकर्ता संगठन की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि कुछ सिफारिशें तो 2016 की हैं जिन्हें अभी तक सरकार ने मंजूर नहीं किया है।
* सरकार की ओर से की गई डील पर सवाल...
पीठ ने सरकार की ओर से की जाने वाली हीलाहवाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस तरह की देरी के कारण ही ऐसी याचिकाएं दाखिल होती हैं और मांग की जाती है। इस स्थिति से बचा जा सकता था। सिफारिश के दो साल बाद नाम वापस भेजे गए। कोलेजिमय द्वारा दोहराई गई सिफारिशों को वापस भेजना पूर्व निर्देशों का उल्लंघन है। ये एक तरह से न खत्म होने वाली लड़ाई है। इस पिंग पांग बैटल को कैसे खत्म किया जाए। पीठ ने सरकार से यह भी कहा कि उसे कोलेजियम द्वारा भेजी गई सिफारिशों में वरिष्ठताक्रम का भी ध्यान रखना चाहिए इस पहलू पर भी विचार किया जाए क्योंकि लंबे समय तक सिफारिश दबाए रहने से वरिष्ठता क्रम डिस्टर्ब होता है।