वर्तमान अयोध्या का श्री राम मंदिर, प्राचीन काल के विज्ञान और नये युग के विज्ञान का अनूठा संगम, 1000 वर्षों के लोगों को भारत सनातन विज्ञान की महानता बताएगा।

The present Shri Ram Temple of Ayodhya,

वर्तमान अयोध्या का श्री राम मंदिर, प्राचीन काल के विज्ञान और नये युग के विज्ञान का अनूठा संगम, 1000 वर्षों के लोगों को भारत सनातन विज्ञान की महानता बताएगा।
वर्तमान अयोध्या का श्री राम मंदिर, प्राचीन काल के विज्ञान और नये युग के विज्ञान का अनूठा संगम, 1000 वर्षों के लोगों को भारत सनातन विज्ञान की महानता बताएगा।

NBL, 14/01/2024, Lokeshwar Prasad Verma Raipur CG: The present Shri Ram Temple of Ayodhya, a unique confluence of the science of ancient times and the science of the new age, will tell the people of 1000 years from now about the greatness of Bharat Sanatan Vigyan. पढ़े विस्तार से.... 

भारत में सदियों पहले बने प्राचीन मंदिरों के रहस्यों को सुलझाना आज के आधुनिक विज्ञान की समझ से परे है, जबकि प्राचीन काल में भी विज्ञान का उपयोग किया जाता था, उसी प्रकार आधुनिक युग में अयोध्या के श्री राम मंदिर का निर्माण किया गया। जो प्राचीन काल के विज्ञान, अतीत के विज्ञान, वर्तमान युग के विज्ञान और सनातन परंपरा के विज्ञान को सम्मिलित करके बनाया जा रहा है।... 

जो कई रहस्यों को लेकर जन्म ले रहा है, जो हमारे भारतीय सनातन धर्म का हिस्सा हैं। संस्कृति की प्रगति का वर्णन करते हुए 1000 वर्ष पूर्व भारत का विकास उस समय के वर्तमान लोगों को बताएगा कि उस समय भारत की सनातनी धार्मिक संस्कृति कितनी विकसित रही होगी, जिसकी भव्यता 1000 वर्ष बाद भी वैसी ही है, श्री राम मंदिर अयोध्या के. और उनकी अद्वितीय कारीगरी, जो पत्थर की मूर्तियों और चित्रों से उकेरी गई थी, उस समय के लोगों को अपने पूर्वजों की इस महान सनातनी संस्कृति पर गर्व होगा और इस प्राचीन सनातनी संस्कृति को संरक्षित करने और अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध होंगे।मंदिर 250 फीट चौड़ा, 380 फीट लंबा और 161 फीट (49 मी॰) होगा ऊँचा। एक बार पूरा होने पर, मंदिर परिसर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर होगा। इसे नागर शैली की वास्तुकला की गुर्जर - चालुक्य शैली में डिज़ाइन किया गया है, जो एक प्रकार की हिंदू मंदिर वास्तुकला है जो मुख्य रूप से उत्तरी भारत में पाई जाती है।

राम मंदिर की मुख्य विशेषताएं:

1. राम मंदिर ट्रस्ट ने एक्स पर जानकारी दी है कि मंदिर परंपरागत नागर शैली में बनाया जा रहा है. मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फुट, चौड़ाई 250 फुट और ऊंचाई 161 फुट है वहीं 3 मंजिला मंदिर में प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फुट जहां कुल 392 खंभे और 44 द्वार बनाये गए है। 

2. राम मंदिर ट्रस्ट के मुताबिक मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह) और प्रथम तल पर श्रीराम दरबार बनाया गया है. मंदिर में पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से प्रवेश किया जा सकेगा। 

3. मंदिर के 70 एकड़ क्षेत्र में से 70 प्रतिशत क्षेत्र हमेशा हरा-भरा रहेगा. वहीं मंदिर में लोहे का उपयोग नहीं किया गया है और न ही धरती के ऊपर कंक्रीट बिछाई गयी है। 

4. मंदिर में 5 मंडप बनाये गए है जिनके नाम इस प्रकार है। 

* नृत्य मंडप

* रंग मंडप

* सभा मंडप

* प्रार्थना मंडप

* कीर्तन मंडप

5. मंदिर के खंभों व दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी गयी है जो मंदिर की खूबसूरती को और बढ़ा देती है. दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था की गयी है। 

6. मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा. चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट है. परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण किया जा रहा है. वहीं उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा। 

7. मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा. मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे। 

8. दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णो‌द्धार किया गया है और वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है। 

9. मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है. इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है. मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है. मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे। 

10. 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र (Pilgrims Facility Centre) का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी।

11. मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी. मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है. पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। 

* 22 जनवरी को उद्घाटन कार्यक्रम.... 

अयोध्या नगरी में बने राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को किया जायेगा जिसको लेकर तैयारियां जोरों पर है. इस अवसर पर पीएम मोदी मुख्य यजमान होंगे. इस उद्घाटन समारोह में 25,000 से अधिक लोग शामिल हो रहे है. वहीं राम मंदिर ट्रस्ट ने तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं को भी न्योता भेजा है। 

आज श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या में श्री राम जी के मंदिर की स्थापना पूरे विश्व के लोगों के बीच प्रसिद्ध हो गई है, क्योंकि श्री राम जी की चर्चा पूरे विश्व में हो रही है, और भारत में विपक्षी दलों के नेता भी नफरत भरी राजनीति कर रहे हैं. सवाल यह है कि हम भाजपा के कार्यक्रम में क्यों जाएं जबकि भाजपा सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्व में देश के अन्य श्रीराम भक्त अनुयायियों के साथ मिलकर श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में श्रीराम की स्थापना और निर्माण के लिए संघर्ष कर चुके हैं। आज अयोध्या में श्री राम जी का मंदिर. उसी बीजेपी के द्वारा स्थापना ,पीएम नरेंद्र मोदी को ये सौभाग्य मिला कि उन्होंने कहा था कि ये हमारा संकल्प है कि राम जन्मभूमि पर ही श्री राम मंदिर बनेगा और उनकी पार्टी बीजेपी की कथनी और करनी दोनों सार्थक हो गईं, इसे भाजपा का भाग्य कहा जाए जो सच्चा सनातनी होने की फर्ज निभाने में कामयाब रहे। और बीजेपी के पीएम नरेंद्र मोदी ने बखूबी निभाया अपना सनातनी फर्ज, बीजेपी क्यों नहीं मनाएगी जश्न? श्री राम प्रभु के दम पर ही तो बीजेपी राजनीति में आई और इन्हीं श्री राम प्रभु के आशीर्वाद से आज बीजेपी भारत और भारत के कई राज्यों में भी सत्ता संभाल रही है, यह श्री राम प्रभु जी की कृपा है।* मंदिर का निर्माण.... 

कई हिंदुत्व समर्थकों ने मंदिर के डिजाइन और मुसलमानों की भागीदारी को लेकर इसके निर्माण पर आपत्ति जताई है। वे राम मंदिर में इस्लामिक रूपांकन ढूंढते हैं। राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इन चिंताओं का जवाब देते हुए कहा कि मंदिर का निर्माण विशेषज्ञों द्वारा किया जा रहा है और उनके धर्म के बारे में कोई सवाल नहीं हो सकता है।

इतिहास के पन्नों में आज के आधुनिक भारत के अन्य धर्मों के लोग भी अयोध्या के श्री राम मंदिर निर्माण में भाग लेने के रूप में दर्ज हैं, चाहे वे धार्मिक, मानसिक या शारीरिक व आर्थिक योगदान दे रहे हों, और जो विपक्षी नेता राजनीतिक द्वेष के साथ इसमें भाग नहीं ले रहे हैं अयोध्या के श्री राम मंदिर में उन्हें भी इतिहास में जगह दी जाएगी. क्योकि भारत आज लोकतांत्रिक देश है इन्ही राजनीति करने वाले नेताओं से देश चलता है और भारत हिंदू धर्म के बड़ी आबादी वाला देश है जो श्री राम प्रभु इनके आदर्श वादी ईष्ट भगवान है जबकि भारत के बहुत से मुसलमान भाई बहन के साथ-साथ देश के अन्य धर्मों के लोगों भी श्री राम प्रभु के प्रति प्रेम, स्नेह और सद्भावना रखती है और आज देश में देखने को मिल रही है। 

लेकिन श्री राम प्रभु के स्थापना दिवस पर भारत के कुछ विपक्षी दलों के राजनीतिक नेता इसमें शामिल नहीं होने की बात कह रहा है और उन्होंने श्री राम प्रभु का निमन्त्रन प्रस्ताव को खारिज कर दिया, अशुद्ध राजनीतिक द्वेष के कारण अब उनकी नफरत को देश की जनता पर क्या असर होता है ये तो देश की जनता ही जान पाएगी जो उन्हें अपना नेता मानती है, जबकि श्री राम प्रभु के स्थापना दिवस पर देश के सभी धर्मो के लोग शामिल हो रहे है और गंगा जमुनी तहजीब का सही सार्थक स्वरूप देश के सभी देशवासियों को अब सही मायने में देखने को मिल रहा है। बीजेपी के सबका साथ सबका विकास का असली चेहरा सामने आया है, यही श्री राम प्रभु चाहते थे अपने शासन काल में जो अब भारत में देखने को मिल रहा है।