आज की युवा शक्ति का मार्ग दूषित होता जा रहा है, मानो उनका धार्मिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय चरित्र मिट गया हो, जबकि देश में युवा शक्ति का गौरवशाली इतिहास गवाह है।
The path of today's youth power is getting polluted,




NBL, 31/05/2023, Lokeshwer Prasad Verma Raipur CG: The path of today's youth power is getting polluted, as if their religious, cultural and national character has been erased, while the glorious history of youth power in the country is the witness.
आज के युवा शक्ति की राह भ्रष्ट हो रही है। उनका धार्मिक, सांस्कृतिक तथा राष्ट्रीय चरित्र मानो मिट गया है। स्वतंत्रता के पश्चात् धर्म निरपेक्षता के नाम पर धर्म से परहेज की भावना पनपाई गई, पर धार्मिक उत्सवों में भाग लेने के लिए उकसाया गया। सत्ता सुरक्षा के लिए खोखले मस्तिष्क वाले प्रशासनिक ढाँचे को जुटाया गया, जिसे मनचाहे ढंग से संचालित किया जा सके। बौद्धिक चिन्तनशील समाज के बदले ठग वह भीड़ बटोरी गई, जिसने राजाओं-नवाबों के चरणों को भी नीचा दिखा दिया।
टेलीविजन और इंटरनेट की दुनिया टेलीविजन और इंटरनेट की दुनिया ने युवकों के लिए सूचनाओं का भण्डार लगा दिया है। इसलिए उनका आई.क्यू. अर्थात् बुद्धिलब्धि काफी ऊँचा होता है। इस हाई-फाई सूचना तंत्र ने उनकी मौलिक कल्पना-शक्ति व तार्किक क्षमता को नष्ट किया है। वे स्थितियों से निबटने और विरोधी वातावरण में खुद को संतुलित रखने में अक्षम हो गए है । उनकी सहन शक्ति कमजोर हो गयी है तथा वे जल्द होशो-हवास खो बैठते हैं। इनका संज्ञानात्मक विकास (कॉगनिटिव डेवलपमेंट) कम हो पाता है और मनोवेगपूर्ण व्यक्तित्व(इम्पल्सिव पर्सनॉल्टी) का स्वामी बन जाता है। उनके लिए उनकी मर्जी ही सब कुछ हो जाती है।
* नैतिक मूल्यों का विनाश....
नैतिक मूल्यों से हीन आज के युवा सड़कों पर नारियों के आभूषण झटकता है, पुरुषों के पौरुष को चाकू और पिस्टल से चुनौती देते है। लूट मचाते है, चोरी करते है, बैकों में डाके डालते है और देश में बेबुनियाद आंदोलन खड़े करते है। दूसरी ओर सुन्दरी नारी को अपना साथी बनने को विवश करते है। आज का भारतीय युवक सिगरेट, शराब, भाँग, तथा अन्य नशीले पदार्थों में आत्मविस्मृत रहना पसंद करने लगे है। जो आज के युवक अपने नैतिक मूल्यों का विनाश की और ले जा रहे हैं, बड़ों व छोटे मानवीय मूल्यों का आज कोई कदर नहीं है, खुद के अपने औलाद के उपर उम्मीद लगाना आज के माँ बाप को भरोसा नहीं होता की कब ये मेरे साथ दुर्व्यवहार कर देवे ऐसा डर बना रहता है। आजके माँ बाप के लिए अपने औलाद की आज्ञाकारी का ना होना भी उनके डर का एक कारण है। कब किस समय ये मेरा औलाद अपने विनाश को गले लगा लेगा पता नहीं क्योकि इनके अंदर मानवीय नैतिकता रत्ती मात्र भी नहीं है। जबकि सदियों से इन युवाओं की गौरवशाली इतिहास रहा देश में जो आज देखने को नहीं मिल रहा है, आजके युवा पीढ़ी दूषित हो रहे हैं, देश के लिए चिंता का विषय बन कर ना रह जाए देश के बागडोर यही युवा पीढ़ी को थामना है इन्ही युवाओं को देश को उन्नति के ओर ले जाने है।
* युवाओं का गौरवशाली इतिहास...
युवाओं का गौरवशाली की कई इतिहास रची गयी है। युवा शक्ति को देश-सेवा, समाज सेवा और विश्व कल्याण की कथाएँ इतिहास के पन्नों पर स्वर्णक्षरों में अंकित हैं । युवा ने मृत्यु के अधिष्ठाता यमराज तक को झुका दिया था। भारतीय संस्कृति के पुनरुद्धारक शंकराचार्य 32 वर्ष की आयु में प्रत्येक भारत को एकता के सूत्र में झुकाकर वेदान्त दर्शन की विजय दिग्दिगांत में फहरा गये। वीर सावरकर, चाफेकर बंधु, मदनलाल धींगड़ा, चन्रशेखरआजाद, अशफाकुल्लाखाँ, भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव आदि कितने युवा थे जिनके अस्त्रों से अग्नि की ज्वालाएँ फूटती थीं। ब्रिटिश साम्राज्यवाद को भस्म करने के लिए 23 वर्ष की आयु में आर्य भट्ट और 17 वर्षीय रामानुजम् ने गणित और ज्योतिष में जो चमत्कार किए, वे आज भी अद्वितीय हैं। केवल 14 वर्ष की अल्पायु में ही सन्त ज्ञानेश्वर ने श्रीमदभगवत गीता पर अपूर्व भाष्य लिखकर सबको चमत्कृत कर दिया था, ऐसे और कई अद्द्भुत कारनामे इन भारतीय नव युवाओं ने की है जो भारत की तस्वीर ही बदल दी जो भी अच्छा किया देश के लिए उनका ही देन है जो आज हम सभी देशवासि अमन चैन शांति से रह रहे है, लेकिन आज के युवा पीढ़ी को इन हमारे पूर्वज युवा पीढ़ी के अनेक देश हित कार्यो को आत्मसात कर भारतीय संस्कृति और भारतीय सभ्यताओ की अनवरत रक्षा करने हेतु अपने आप के अंदर पाले हुए अनेक अवगुणो की त्याग कर देश हित में अपना योगदान दिया जाना चाहिए।
* राष्ट्र के शान...
युवा शक्ति राष्ट्र का प्राण तत्त्व है। वही उनकी गति है, स्फूर्ति है, चेतना है, आज है, राष्ट्र का ज्ञान है। युवाओं की प्रतिभा, पौरुष, तप, त्याग और गरिमा राष्ट्र के लिए गर्व का विषय है। युवा वर्ग का पथ, संकल्प और सिद्धियाँ राष्ट्रीय पराक्रम और प्रताप के प्रतीक हैं। उनकी शक्ति अमर है। युवा शापित राष्ट्र की दूसरी रेखा है तथा कल की कर्णधार है जिन्हे देश का संचालन करना है। अपनी शक्ति, सामर्थ्य और साहस से देश को परम वैभव तक पहुँचाने का दायित्व युवाओं को स्वीकारना है। युवाओं का ऊर्जा अक्षत, यश अक्षय, जीवन अंतहीन, पराक्रम अपराजेय, आस्था अडिग और संकल्प अटल होता है। 16 उम्र से 35 उम्र तक के युवाओं की ताकत ही युवा शक्ति है।
युवा शक्ति हमारे राष्ट्र के गौरव है तथा हमारे राष्ट्र को विकास और उनत्ति के और ले जाने के लिए एक सक्षम शक्ति है। लेकिन आज के युवा अपने गलत दिशा की और बढ़ते जा रहे है। उन्हें खुद पे काबू नहीं रहता है तथा कई गलत कामो में हिस्सा लेकर देश की विकास को खंडित कर रहे है। आज के युवा को समझना होगा की उन्ही के हाथ हमारे देश का भविष्य निर्भर है। देश को युवा शक्ति की अधिक जरुरत है।