बिग CG न्यूज: जोगी परिवार को तगड़ा झटका.... ऋचा जोगी के आदिवासी होने के दावे को हाईपावर कमेटी ने किया खारिज.... गोंड जाति मानने से किया इनकार…. दिए ये निर्देश.... देखें आदेश.....




रायपुर। ऋचा जोगी के "गोंड" अनुसूचित जनजाति के स्थायी सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण को उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने निरस्त कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री और स्व. अजीत जोगी की बहू ऋचा जोगी के आदिवासी जाति मामले में जोगी परिवार को बड़ा झटका लगा है। फर्जी जाति मामले में अब ऋचा जोगी की भी मुश्किलें बढ़ गयी है। हाई पावर कमिटी ने भी ऋचा जोगी को गोंड आदिवासी नहीं माना है। कमिटी ने ऋचा जोगी के 2020 में बने गोंड जाति के प्रमाण पत्र को निरस्त करने का आदेश दिया है। साथ ही इस मामले मुंगेली कलेक्टर को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है। उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने अमित जोगी की पत्नी ऋचा जोगी के आदिवासी होने के दावे को खारिज कर दिया है।
अजीत जोगी मरवाही से विधायक थे, लेकिन उनका निधन हो गया। इस बीच जोगी परिवार से रिचा जोगी को विधानसभा से JCC (J) से टिकट मिला। मरवाही विधानसभा में उपचुनाव के लिए अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट थी। इस वजह से मरवाही विधानसभा के उपचुनाव के लिए अमित जोगी और उनकी पत्नी ऋचा जोगी का नामांकन रद्द कर दिया गया था। उनको आदिवासी जाति छानबीन समिति ने गैरआदिवासी करार दे दिया था। मरवाही उपचुनाव में नामांकन खारिज किए जाने को लेकर लड़ाई को लेकर रिचा जोगी हाई कोर्ट पहुंची थी।
आयुक्त आदिमजाति तथा अनुसूचित जाति विकास के उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने जारी आदेश में कहा है कि संत कुमार नेताम से प्राप्त शिकायती पत्र एवं दस्तावेज, शिकायतकर्ता रमेश खुसरो से प्राप्त शिकायती पत्र एवं दस्तावेज, अनावेदिका की ओर से प्रस्तुत दस्तावेज, अनुविभागीय अधिकारी (रा.) द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन अन्य सहपत्र एवं समिति की कार्यवाही विवरण पंजी संलग्न प्रेषित किये गये।
जिला स्तरीय समिति द्वारा पारित आदेश दिनांक 15.10.2020 में निष्कर्षतः यह लेख किया गया है कि प्रकरण में प्रस्तुत दस्तावेजों की विस्तृत समीक्षा एवं विश्लेषण के आधार पर जिला स्तरीय प्रमाण पत्र सत्यापन समिति जिला मुंगेली, अधिनियम 2013 की धारा 6(3) और नियम 2013 की धारा 18 में उल्लेखित प्रावधानों के तहत ऋचा रूपाली साधु पिता प्रवीण राज साधु, निवासी ग्राम पेण्ड्रीडीह, तहसील मुंगेली जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़ को जारी स्थायी सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण पत्र प्रथमदृष्टया संदेहास्पद होने के कारण अनुसूचित जनजाति के लिए अंतिम जांच होने तक के लिए निलंबित करने तथा अनावेदिका द्वारा किसी भी प्रकार के हित लाभ के लिए उपयोग नहीं किये जाने संबंधी आदेश जारी करने के निर्देश सक्षम प्राधिकारी अनुविभागीय अधिकारी (रा.) मुंगेली जिला मुंगेली, छत्तीसगढ़ को दिया जाता है तथा समस्त दस्तावेजों सहित पारित आदेश की प्रति निर्धारित प्रारूप में उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति रायपुर को अंतिम जांच हेतु भेजा जाये।"
जिला स्तरीय समिति द्वारा पारित उक्त आदेश के अनुक्रम में कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी (रा.) मुंगेली जिला मुंगेली, छ.ग. के आदेश दिनांक 16.10.2020 के द्वारा ऋचा रूपाली साधु पिता प्रवीण राज साधु को जारी "गोंड" अनुसूचित जनजाति के जाति प्रमाण पत्र दिनांक 17.07.2020 को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है।
इस छानबीन समिति द्वारा प्रकरण के प्राप्ति उपरांत समिति की बैठक दिनांक 23.10.2020 में जिला स्तरीय प्रमाण पत्र सत्यापन समिति से प्राप्त प्रतिवेदन एवं संबंधित दस्तावेजों का अवलोकन एवं परीक्षण किया गया तदोपरांत नियम 2013 के नियम 20 (1) के अनुसरण में समिति द्वारा प्रकरण को विस्तृत अन्वेषण कर प्रतिवेदित किये जाने हेतु कार्यालयीन पत्र दिनांक 09.11.2020 के माध्यम से विजिलेंस सेल को अग्रेषित किया गया।
उक्त निर्देश के अनुक्रम में प्रकरण के अन्वेषण उपरांत उप पुलिस अधीक्षक विजिलेंस सेल के द्वारा अपने पत्र दिनांक 17.03.2021 के माध्यम से विस्तृत प्रतिवेदन छानबीन समिति को उपलब्ध कराया गया। उक्त प्रतिवेदन के साथ धारक के द्वारा जाति प्रमाणपत्र वैधता परीक्षण हेतु भरकर प्रस्तुत किए गए नृजातीय प्रपत्र, सामाजिक स्थिति संबंधी अध्ययन प्रतिवेदन, धारक के पक्ष में जारी किये गये "गोंड" अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र, उनके पिता / पूर्वजों के राजस्व / शैक्षणिक अभिलेख, संबंधित हल्का पटवारी से अभिप्रमाणित वंशावली, धारक के द्वारा अपने पक्ष में प्रस्तुत अभिलेख एवं अन्य दस्तावेजों को संलग्न प्रस्तुत किया गया है। धारक के पूर्वजों के निवासी ग्राम के ग्रामवासियों द्वारा आम सूचना की मुनादी के दौरान उपस्थित होकर दिए गए बयान / कथन को विजिलेंस सेल के द्वारा अपने प्रतिवेदन में उद्धृत किया गया है। अन्वेषण के दौरान प्रकाश में आए समस्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए विजिलेंस सेल के द्वारा अपना निष्कर्ष दिया गया है। जिसके अनुसार धारक अपनी दावा की गई "गोंड" अनुसूचित जनजाति के समर्थन में कोई भी वैध दस्तावेज प्रस्तुत करने में विफल रही अतः प्राप्त तथ्यों के आधार पर धारक की जाति "गोंड़" अनुसूचित जनजाति होना नहीं पाया गया।
विजिलेन्स सेल के द्वारा प्रस्तुत अन्वेषण प्रतिवेदन के अनुसार सामाजिक प्रास्थिति के संबंध में धारक का दावा उचित एवं न्याय संगत प्रतिवेदित नहीं होने के कारण समिति द्वारा छ.ग. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण का विनियमन) नियम 2013 के नियम 22 (1) के अनुसरण में धारक को प्रत्यक्ष सुनवाई, मौखिक जाँच तथा अपनी सामाजिक प्रास्थिति की पुष्टि एवं समर्थन में गवाह एवं दस्तावेज प्रस्तुत करने हेतु कारण बताओ नोटिस दिनांक 22.03.2021 मय अन्वेषण प्रतिवेदन पंजीकृत डाक के माध्यम से प्रेषित करते हुए 15 दिवस के भीतर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने हेतु सूचित किया गया।
धारक से उक्त कारण बताओ नोटिस का प्रत्युत्तर नियत समयावधि व्यतीत होने के उपरांत भी छानबीन समिति को प्राप्त नहीं हुआ। फलस्वरूप कार्यालयीन पत्र दिनांक 07.05.2021 के द्वारा उक्त कारण बताओ नोटिस का प्रत्युत्तर दिए जाने हेतु स्मरण पत्र प्रेषित किया गया। स्मरण पत्र प्रेषित किए जाने के बाद भी जवाब प्राप्त नहीं होने के कारण समिति द्वारा धारक को समक्ष सुनवाई हेतु आहूत किए जाने का निर्णय लिया गया।
सिविल अपील क्र. 4545 / 1995 दिनांक 18.04.1995 डायरेक्टर ट्रायबल वेलफेयर, आंध्रप्रदेश बनाम लावेती गिरी एवं अन्य AIR 1995 SC 1506 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विनिर्धारित किया गया है कि "अपनी सामाजिक प्रास्थिति को साबित करने हेतु सबूत का भार हमेशा उस व्यक्ति पर होता है जो संवैधानिक सामाजिक आर्थिक लाभ प्राप्त करता है अथवा लाभ प्राप्त करने का प्रयत्न करता है। अतः माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रदत्त दिशा-निर्देशों तथा छ.ग. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण का विनियमन) नियम 2013 के नियम 22 (2) में विहित प्रावधान के अनुसरण में जाति प्रमाण पत्र धारक को अपनी सामाजिक प्रास्थिति के समर्थन में अपना पक्ष प्रस्तुत करने हेतु समुचित अवसर उपलब्ध कराया गया। जिसके अनुक्रम में दिनांक 05.06.2021 की तिथि नियत करते हुए सूचना पत्र प्रेषित किया गया। साथ ही नियम 2013 के नियम 22 (3) के अनुसरण में डौंडी पिटवाने के द्वारा लोक सूचना प्रसारित किए जाने •बाबत तहसीलदार मुंगेली जिला मुंगेली (छ.ग.) को पत्र प्रेषित किया गया जिससे कि धारक के संबंध में जानकारी रखने वाले व्यक्ति उक्त नियत तिथि को समिति के समक्ष उपस्थित होकर अपना मौखिक कथन / शपथपत्र अथवा कोई आनुषंगिक दस्तावेज प्रस्तुत कर सकें।
धारक उक्त नियत सुनवाई तिथि को समिति के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। पर उनके द्वारा विशेष वाहक के माध्यम से समिति के नाम से एक पत्र भिजवाया गया, जिसमें पारिवारिक स्वास्थ्यगत कारणों का हवाला देते हुए अपना पक्ष रखने हेतु दिनांक 10.06.2021 तक का समय प्रदान करने का निवेदन किया गया। समिति द्वारा उनके निवेदन को स्वीकार करते हुए अपना पक्ष रखने हेतु समिति की आगामी आयोजित बैठक दिनांक 11.06.2021 तक का समय प्रदान करते हुए उन्हें पत्र दिनांक 08.62021 के द्वारा तत्संबंधी सूचना दी गयी। साथ ही नियम 2013 के नियम 22 (3) के अनुसरण में डौंडी पिटवाने के द्वारा लोक सूचना प्रसारित किए जाने बाबत तहसीलदार मुंगेली जिला मुंगेली (छ.ग.) को पत्र प्रेषित किया गया जिससे कि धारक के संबंध में जानकारी रखने वाले व्यक्ति उक्त नियत तिथि को समिति के समक्ष उपस्थित होकर अपना मौखिक कथन / शपथपत्र अथवा कोई आनुषंगिक दस्तावेज प्रस्तुत कर सकें। धारक उक्त नियत तिथि को उपस्थित नहीं हुए। उनके द्वारा अपने प्रतिनिधि के रूप में अपने भाई ऋषभ सुशील साधु को आवश्यक अभिलेखों की छायाप्रति के साथ पक्ष प्रस्तुत करने हेतु भेजा गया। उनके प्रतिनिधि के द्वारा रजिस्ट्री बैनामा वर्ष 1940, स्वपनिल पिता पुष्पराज साधु का स्थायी जाति प्रमाण पत्र, प्रभात कुमार साधु पिता बी. साधु का जाति प्रमाण पत्र, प्रभात कुमार साधु की सैलरी स्लिप, यूको बैंक बिलासपुर से प्राप्त पुष्पराज साधु पिता एस. के. साधु का जाति प्रमाण पत्र, वंशवृक्ष वी साधु वल्द प्रभुदास का अधिकार अभिलेख, पुष्पराज साधु का विक्रय विलेख वर्ष 2002 एवं स्वप्निल साधु पिता पुष्पराज साधु का शालेय अभिलेख वर्ष 1994 आदि अभिलेखों की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी। उनके द्वारा यह कहा गया कि ये अभिलेख पूर्व में भी विजिलेन्स सेल को प्रस्तुत किए जा हैं, इसके अतिरिक्त उन्हें और कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करना है। उनके द्वारा और अतिरिक्त समय की मांग नहीं की गई। उल्लेखनीय है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 76 एवं 77 के अनुसार लोक दस्तावेजों की प्रमाणित प्रति अथवा मूल प्रति ही साक्ष्य हेतु ग्राहय है, छायाप्रति एवं निजी निजी संस्था का दस्तावेज अथवा उसकी छायाप्रति साक्ष्य हेतु ग्राह्य नहीं है।
आज दिनांक को नियम 2013 के नियम 22 (3) के तहत डौंडी पिटवाने के द्वारा तहस मुंगेली के द्वारा प्रसारित आम सूचना के अंतर्गत अपना लिखित / मौखिक कथन अथवा दस्तावेज प्रस्तुत करने हेतु कोई भी धारक के क्षेत्र के निवासी तथा अन्य व्यक्ति उपस्थित नहीं हुआ।
अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण का विनियमन) अधिनियम 2013 के अधीन निर्मित नियम 2013 के नियम 23 (2) में विहित प्रावधान के अनुसार न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी अनुविभाग मुंगेली जिला मुंगेली छ.ग. से दिनांक 27.07.2020 को धारक ऋचा रूपाली साधु पिता प्रवीण राज साधु के पक्ष में जारी "गोंड" अनुसूचित जनजाति के स्थायी सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण को एतद् द्वारा निरस्त किया जाता है।
नियम 2013 के नियम 23 ( 3 ) एवं अन्य सुसंगत प्रावधान के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित किये जाने हेतु कलेक्टर जिला मुंगेली छ.ग. को प्राधिकृत किया जाता है। नियम 2013 के नियम 23 ( 5 ) में विहित प्रावधान के अनुसार उक्त मिथ्या सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण पत्र को समपहृत किये जाने की कार्यवाही सुनिश्चित करने हेतु उप पुलिस अधीक्षक सतर्कता प्रकोष्ठ उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति (छ.ग.) नवा रायपुर अटल नगर को अधिकृत किया जाता है। उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति द्वारा पारित इस आदेश की प्रति सर्वसंबंधित को पंजीकृत डाक के माध्यम से विधि अनुकूल कार्यवाही हेतु प्रेषित की जावे ।