फसलों को पशुओं से बचाने रोका-छेका की हुई शुरुआत खेती की रखवाली में समय नहीं होगा बर्बाद गौठानों के संचालन में सभी का सहयोग जरुरीः सीईओ जिपं श्री नूतन कंवर




*सुकमा, 01 जुलाई 2021/* पशुओं के खुले में घुमने से होने वाली समस्या के समाधान के लिए छत्तीसगढ़ की परम्परा रोका-छेका की शुरुआत आज सुकमा जिले में की गई। सुकमा जिले के विभिन्न गांवों में आयोजित बैठक में ग्रामीणों ने फसलों को पशुओं से बचाने के लिए उन्हें खुला नहीं छोड़ने की शपथ ली। मुख्य कार्यक्रम ग्राम पंचायत रामाराम गौठान में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ जिला पंचायत सीईओ श्री नूतन कुमार कंवर ने पौधारोपण कर किया। इस अवसर पर ग्राम पंचायत रामाराम की सरपंच, बिहान स्व-सहायता समूह की महिलाएं एवं विभिन्न विभागों के अधिकारी-कर्मचारी और पशुपालक ग्रामीण उपस्थित थे।
ग्राम पंचायत रामाराम की सरपंच श्रीमती हांदे मरकाम ने कहा कि मानसून आने से कृषक अपने खेतों में फसल लगाना शुरु कर देते हैं। आवारा घूमते पशुओं से फसलों को नुकसान होता है और किसान की कठिन परिश्रम व्यर्थ हो जाता है। इसलिए जरुरी है कि सभी कृषक और पशुपालक अपने मवेशियों को बाँध कर रखें या गौठान में ले आएं। उन्होंने ग्रामीणों से रोका छेका कार्यक्रम को सफल बनाने में पूरा सहयोग करने की बात कही।
इस अवसर पर श्री नूतन कुमार कंवर ने कहा कि धान की फसल लगाने के साथ ही ग्रामीणों को खेती की रखवाली करनी पड़ती है। किसानों को होने वाली इस समस्या के समाधान के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा रोका-छेका की पंरपरा लायी गई है ताकि कृषकों के फसलों को नुकसान ना हो। उन्होंने कहा कि पशुओं के खुला घुमने से किसानों को होने वाली समस्या को देखते हुए गांवों में गौठान बनाए गए। पशुपालक अपने मवेशियों को गौठान में लाए, जिससे वे इधर उधर ना घूमें और कृषकों के फसल को नुकसान ना पहुँचाए। फसल को पशुओं से बचाने के लिए उन्हें खुला नहीं छोड़ने में सभी ग्रामीण सहयोग करें। उन्होंने मवेशियों को खुला नहीं छोड़ने और रोका-छेका की परम्परा को बेहतर ढंग से मनाने की अपील की।
*गौठान बन रहें हैं आर्थिक समृद्धि का पर्याय*
श्री नूतन कंवर ने कहा कि जिले के सभी गौठानों में रोजगारमूलक गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। क्षेत्र और देश के विकास के लिए महिलाओं का आर्थिक रुप से सशक्त होना आवश्यक है। गांवों में बनाए गए ये गौठान अब सिर्फ पशुओं का आश्रय स्थल नहीं हैं, बल्कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरुप विभिन्न रोजगारमूलक कार्यों के केन्द्र बन गए हैं। यहां नाडेप और वर्मी कम्पोस्ट के साथ रोजगारमूलक कार्यों की शुरूआत हुई, वहीं अब इसी परिसर में मुर्गीपालन, अण्डा उत्पादन, सब्जी उत्पादन जैसे गतिविधियाँ संचालित की जा रही हैं। पशुओं को रोग से बचाने के लिए टीकाकरण का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने ग्रामीणों से अपील करते हुए कहा कि वे इस गौठान से जुड़ें और यहां संचालित गतिविधियों को सीखकर समृद्धि की राह पर आगे बढ़ें।