समाज का शोषण समाज के लोगों के द्वारा ही किया जाता है, जिसे हम निष्ठुर कहते है,पढ़े जरूर.

Society is exploited only by the people of the society, which we call cruel, must read.

समाज का शोषण समाज के लोगों के द्वारा ही किया जाता है, जिसे हम निष्ठुर कहते है,पढ़े जरूर.
समाज का शोषण समाज के लोगों के द्वारा ही किया जाता है, जिसे हम निष्ठुर कहते है,पढ़े जरूर.

NBL, 04/05/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. Raipur CG: Society is exploited only by the people of the society, which we call cruel, must read.

सदियो से हर इंसान की एक समाज को देखते आ रहे हैं, हम सब, चाहे वह जिस भी जाति धर्म के लोग हो, लेकिन उस समाज में कुछ न कुछ कमी दिखाई देते हैं आज भी, पढ़े विस्तार से... 

समाज में हर वर्ग के लोग होते है, गरीब, अति गरीब, मध्यम वर्गीय गरीब और सबसे अमीर, उसी प्रकार से शिक्षा मे भी स्तर है, लेकिन शिक्षा का वर्ग आगे पिछे हो सकते हैं, जैसे अमीर इंसान के बच्चों में निम्न स्तर का शिक्षा ज्ञान होना और अति गरीब के बच्चों में उच्च स्तर का शिक्षा ज्ञान होना। यही से मतभेद शुरू हो सकता है, केवल गरीब व अमीर होने के कारण और यह मतभेद हर समाज में व्याप्त है। 

जबकि यह समाज के एक ही जाति धर्म के लोग होते हुए भी अपने ही समाज के लोगों की टांग खीचने व टांग अडाने मे लग जाते है, ऐसा क्यू? इसका कारण है, मानसिक स्थिति का छोटा पन होना और इस मूल बिमारी उसकी अपने अमीर होने का अहंकार उनकी जो अपने ही समाज के लोगों को हिंन भावना से देखना। जबकि अपने समाज के उभरते हुए गरीब परिवार के बच्चों को आगे बढ़ाने मे सहयोग दे सकते है, ताकि समाज का स्तर बढ़ सके लेकिन ऐसा कतई नही करते, हमने करीब से देखा गरीब को दुत्तकारतें हुए और उनके गरीबी पर हँसते हुए। 

यही आज धर्म का हाल है, धर्म में भी आज लोगों मे एकता पन नहीं है, जबकि कितने बड़े से बड़ा ज्ञानी व समाज सुधारक पैदा ले लिया व कितने भी संस्था का निर्माण व र्खोल लिए आवाज दो हम सब एक है के धारणा से लेकिन कोई खास सफलता नहीं मिले, आज भी धर्म समाज के लोग तितर बितर है, इसलिए तो धर्म समाज के एकापन नहीं होने के कारण देश के बाहरी आक्रानताओ ने देश मे कब्जा व अपने लिए स्थान बनाये और कम रूप में होते हुए भी अपने पैठ मजबुत बनाये रखना उनका जारी है। और आपके ज्यादा आबादी वाले धर्म समाज को खंड खंड कर रहे है, धर्मान्तरन करते हुए। 

और जिस समाज में और जिस धर्म के लोगों मे एकापन है, वह सब समाज मिलकर आपको आँखे दिखाने मे कोई कोर कसर नहीं छोड़ते कभी आपके धर्म जुलुस मे पत्थर फेंक कर व कभी आपको तलवार व बन्दुक दिखाकर आपके आबादी को कमजोर व आपके एक पन नहीं होने का फायदे उठा कर डराते हैं। और उनके गुरुआओ द्वारा आक्रामक भाषण देना खुलें आम चैलेंज करना, जो अनीति मे रहकर भी संविधान की बात करना जो खुद कानून कायदे से विहीन होता है। 

यह उन लोगों के लिए है जो अपने मातृ भूमि से प्रेम नहीं करते जो जयचंद टाईप के लोग है, जो अपने ही धर्म समाज को छोङकर अन्य धर्म समाज को अपना रहे है, इसलिए वक्त है सुधार कर लो नहीं तो आने वाले समय आपके लिए शुभस्नेह व शुभसंकेत दिखाई नहीं दे रहा है समाज व समाज के लोगों का साथ दो और अपने धर्म को सबल बनाओ। एक हाथ मे माला और एक हाथ मे भाला रखते हुए, देश मे शांति बनाये रखते हुए मजबुत बनों मजबुर नहीं।