CG:कई बीमारियों में कारगर ब्लैक राइस की 50 एकड़ में खेती कर रहे बेमेतरा जिले के किशोर

CG:कई बीमारियों में कारगर ब्लैक राइस की 50 एकड़ में खेती कर रहे बेमेतरा जिले के  किशोर

गौ आधारित खेती से लहलहा उठी धान, एक एकड़ से शुरू हुआ  सफर तीन साल में 50 एकड़ तक पहुंच गया
संजूजैन:7000885784
नवागढ़/बेमेतरा :छत्तीसगढ़ राज्य को धान का कटोरा कहा जाता है यहाँ 43 लाख किसान धान की खेती पर निर्भर हैं, तथा 3.7 मिलियन हेक्टेयर में धान की खेती होती हैं। और कई किस्म के धान की खेती होती हैं,आमतौर पर धान से पोहा बनता हैं इन्हीं किस्मों में एक किस्म ब्लैक राइस हैं जो अपने औषधीय गुणों के कारण लोकप्रिय है । बेमेतरा जिला के नवागढ़ निवासी युवा प्रगतिशील किसान किशोर कुमार राजपूत काले चावल की गौ वंश आधारित खेती कर रहे हैं । विगत तीन वर्ष पूर्व ब्लैक राइस की खेती एक एकड़ से शुरू किया और अच्छा मुनाफा कमाया इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए 2020 में 130 क्युटल चावल 100 रुपये किलो में सिक्किम में निर्यात किया 2021 में प्रदर्शन के तौर पर 50  एकड़ में काले चावल की फसल लगाई है। इस फसल से उत्पादित धान को खरीदने के लिए पश्चिम बंगाल की एक ट्रेडिंग कंपनी ने 25 टन ब्लैक राइस का ऑर्डर किया है। दक्षिण भारत की ट्रेड कंपनियां भी ब्लैक राइस के लिए संपर्क किया है।

सफेद चावल की तुलना काला चावल काफी फायदेमंद है। इसलिए स्थानीय बाजार में यह चावल भले ही 100 से 150 रुपये प्रति किग्रा बिक रहा,लेकिन फ्लिपकार्ट पर ऑनलाइन 399 रुपए प्रति किलो मूल्य है।

*छत्तीसगढ़ में काले चावल की   का पुराना इतिहास*

 छत्तीसगढ़  राज्य में काले चावल की परम्परागत खेती होती रही हैं,मगर जैसे जैसे समय बीतता गया इन किस्मों की पैदावार नाम मात्र की होती गई मगर अब इसकी खेती आधुनिक तरीकों से हो रही है।

ब्लैक राइस को छत्तीसगढ़ में करियाझिनी के नाम भी जाना जाता है। यह प्रजाति काफी पुराना है। किवदंति है कि खुदाई के दौरान हंडी में धान मिला था। उसके बाद से इसकी फसल लेनी शुरू की गई। सैनिकों को यह चावल खिलाया जाता था,ताकि उनकी सेहत बेहतर रहे और युद्ध में अच्छा प्रदर्शन कर सकें।

कई देशों में भी हैं इसकी  खपत

किशोर राजपूत ने बताया कि यह सामान्य चावल के मुकाबले ब्लैक राइस को पकने में ज्यादा वक्त लगता है। करीब छह से सात घंटे पानी में भिगोकर रखा जाए, तो जल्दी पक जाता है इंडोनेशिया ,श्रीलंका ,थाईलैंड ,अमेरिका,समेत कई देशों में भी इस ब्लैक राइस की डिमांड तेजी से बढ़ रही। कोरोना काल की वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की सलाह चिकित्सक दे रहे हैं। ब्लैक राइस स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है, इसलिए न केवल भारत में बल्कि विदेश में भी इस चावल की खपत बढ़ गई है।

किशोर राजपूत बताते हैं कि काले चावल की खेती के अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। किसानों का इस तरफ लगातार रुझान बढ़ता जा रहा है। अलग-अलग चार से पांच प्रजाति के ब्लैक राइस किसान लगा रहे हैं। जिसमें तुलसी घाटी, गुड़मा, मरहन,करियाझीनी, 90 से 110 दिन में फसल पक कर तैयार हो जाता है। आने वाले समय में इसे बढ़ावा देने किसानों को और अधिक प्रेरित किया जाएगा,ताकि व्यावसायिक लाभ उठा सकें।

काले चावल खाने के क्या-क्या हैं फायदे*

????ब्लैक राइस एकमात्र ऐसा चावल है, जिससे बिस्किट भी तैयार किए जाते हैं।

????हृदय को स्वस्थ और मजबूत रखने के लिए इनका इस्तेमाल फायदेमंद है।

????-इसमें मौजूद फायटोकेमिकल कोलेस्ट्राल के स्तर को नियंत्रित करते हैं और बुरे कोलेस्ट्राल को घटाते हैं।

????-हृदय की धमनियों में अर्थोस्क्लेरोसिस प्लेक फर्मेशन की संभावना कम करता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावना भी कम होती है।

-????मोटापा कम करने के लिए काले चावल खाना बेहद फायदेमंद है।

????-भरपूर मात्रा में फाइबर मौजूद होने से कब्ज जैसी समस्याओं को समाप्त करता है।

????-पेट फूलना या पाचन से जुड़ी अन्य समस्याओं में लाभ देता है।

-????काले चावल में मौजूद एंथोसायनिन नामक एंटीऑक्सीडेंट की वजह से कार्डियोवेस्कुलर और कैंसर जैसी बीमारियों भी बचा जा सकता है।

????-काले चावल में मौजूद विशेष एंटीऑक्सीडेंट तत्वों के कारण यह त्वचा व आंखों के साथ ही दिमाग के लिए फायदेमंद हैं

???? - कार्बोहाइड्रेट से मुक्त काले चावल को शुगर पेशेंट और हृदय रोगों के लिए काफी फायदेमंद है।

 ????ब्लैक राइस के सेवन से कोलेस्ट्राल के स्तर को भी नियंत्रित किया जा सकता है। 

????इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होने की वजह से अपच की समस्या को भी दूर करता है।
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