CG:देवकर में पुरे चार महीने तक चली तप, तपस्या, त्याग, धर्म अराधना,तप महोत्सव चातुर्मास समापन...हेमन्त मुनि जी म.सा. एवं सौरभ मुनि जी म.सा.के सानिध्य में हुआ चातुर्मास




संजू जैन:7000885784
बेमेतरा(देवकर):देवकर नगर के जैन भवन में आयोजित तप महोत्सव चातुर्मास 2022 जो की परम पूज्य आचार्य भगवंन 1008 राम लाल म, सा, जी के आशीम अनुकम्पा से आज्ञानुवर्तीय शासन दीपक हेमन्त मुनि जी म, सा, एवं सौरभ मुनि जी म, सा, जी के सानिध्य प्राप्त हुआ है यह चातुर्मास 13 जुलाई 2022 से आरंभ हुआ और यह चातुर्मास पूज्य सन्तों की मंगल प्रवेश तप, तपस्या, त्याग, के साथ गतिमान हुआ जो चातुर्मास की अंतिम समापन के साथ भी गतिमान है देवकर जैन समाज ने इस बार चातुर्मास में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। नगर के चार युवाओं ने मासखमण किया, एक महिला,इस प्रकार चातुर्मास काल में पांच मासखमण पूर्ण हुआ साथ ही साथ,24,19,15,11,09, दिनों की उपवास व्रत पूर्ण हुआ एवं चार महीने में सोलह अठाई,150 तेला/तीन दिनों की उपवास/ ईकासना, बियासना,तप की मासखमण, पन्द्रह लोगों ने किया, सन्तों की सानिध्य में इकासना दिवस,बियासना दिवस, आंयबिल दिवस, तेला दिवस,निवी दिवस,संवर दिवस, सामाईक दिवस, प्रतिक्रमण दिवस, प्रश्न मंच, धार्मिक कार्यक्रम प्रतियोगिता,दया,पौषध दिवस, आदि और भी कार्यक्रम पुरी सफलता पूर्वक सम्पन्न किया गया। चार महीने की इस चातुर्मास में जितने भी कार्यक्रम प्रतियोगिता हुआ एवं तप तपस्या त्याग हुआ उन सभी लोगों का सम्मान, एवं पुरस्कार वितरण स्वा, धनराज जी केजा बाई बोरा की स्मृति में सुरेश बोरा एवं रमेश बोरा के तरफ से प्रदान किया गया उपवास व्रत वालों को चांदी का सिक्का एवं प्रतियोगिताओ को पुरस्कार दिया गया तथा मास खमण करने वाले आदि बोरा/पिता अनिल बोरा/53/दिनों की उपवास, रौनक बोरा/पिता निर्मल बोरा/31/दिनों की उपवास, प्रखर बोरा/पिता राकेश बोरा 31 दिनों तक उपवास, ज्ञान चन्द पारख/पिता स्वर्गीय प्रेम चन्द जी पारख,को समता युवा मंडल, एवं साधु मार्गी संध द्वारा प्रतिक चिन्ह सम्मान प्रत्र दिया गया,मासखमण करने वाली श्री मति अंजना बोरा को भी सम्मानित किया गया।
नगर देवकर मे आयोजित इस ऐतिहासिक चातुर्मास की डंका पुरे छत्तीसगढ़ के साथ राजस्थान में विराजमान आचार्य श्री 1008 राम लाल जी म, सा, जी के दरबार में भी सुनाई दी जो देवकर नगर के लिए एक सम्मान व चर्चा का विषय बना रहा। आयोजित तप महोत्सव चातुर्मास समिति का अध्यक्ष सुरेश बोरा एवं पदाधिकारी, जैन श्री संध के अध्यक्ष छगन लाल जी बोरा,सचिव राजेन्द्र बोरा एवं सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों की सहयोग से यह चातुर्मास सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ । जैन सन्तों का चातुर्मास समापन के बाद विदाई बेला बहूत ही मार्मिक और गमनीम माहौल में हुई महिलाएं, युवाओं,बालीका मंडल, पुरुष वर्ग की आंखों से अश्रु धारा बहती रही चार महीने में गुरु और शिष्यो में ऐसा संबंध हो गया था कि विदाई के वक्त लोगों को बहूत तकलीफ का एहसास हुआ गुरुओं के सानिध्य में चार महीने सुबह से रात तक धार्मिक कार्यक्रम होते रहे। चातुर्मास की अंतिम प्रवचन करते हुए पूज्य संत श्री हेमन्त मुनि जी म, सा, एवं सौरभ मुनि जी म, सा, जी ने कहा कि -मनुष्य जीवन एक चौराहे जैसा है जो कुछ करना है इसी जन्म में होना है सिर्फ रास्ता महत्वपूर्ण नहीं है, महत्व पूर्ण है तो मंजिल अगर मंजिल नही तो रास्ता का कोई मतलब नही है। हमें तो जंगल का पौधा बनना है जो अपने आप बढ़ता रहता है अपने दम पर बगीचे का पौधा नही बनना है जिसे हर वक्त देखरेख की जरूरत पड़ता है, प्रयत्न और धर्य हर सफलता की सीढ़ी होती है जब तक व्यक्ति सच को नही समझता वह समाधी में नही रह सकता। जहां वाद है वहां विवाद है और जहां विवाद है वहां अशांति है, अशांति है वहां कलह, लड़ाई, होता है, धर्म को समझने वाला व्यक्ति कभी भटकेगा नही माया हमेशा तोड़ती है और सरलता हमेशा जोड़ती है आत्मा में माया की गांठ नही होनी चाहिए मनुष्य का दुःख का मुख्य कारण माया, झूठ,कपट चल,है लोभ ही आवश्यकता की संसार का जन्मदाता है धर्म निष्काम भाव से होना चाहिए कुछ पाने की कल्पना नही होना चाहिए भाव में धर्म है।