CG:देवरबीजा माहेश्वरी निवास सदन से निकला भव्य कलश यात्रा गाजेबाजे के साथ ...करीब 100 महिलाएं सिर पर कलश धारण किये कथा स्थल पर पहुंचे..हनुमान जन्मत्सव के अवसर पर कथा में बताये ..




संजू जैन:7000885784
बेरला :बेमेतरा जिले के बेरला ब्लाक देवभूमि देवरबीजा में 16 अप्रैल से संगीतमय श्री मद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह जहां ,16 अप्रैल को शाम 04 बजे भव्य कलश यात्रा माहेश्वरी निवास से निकला जो बस स्टैंड, से बीजा रोड माहेश्वरी कॉम्प्लेक्स कथा स्थल पहुंचा
शनिवार को गाजेबाजे के साथ भव्य कलशयात्रा निकला सौभाग्यवती महिलाओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
बता दे की कलश यात्रा माहेश्वरी निवास सदन से प्रारंभ हुई।जो कथा स्थल पर पहुंची। महिलाएं सिर पर कलश धारण किए चल रहीं थी।
परम श्रद्धेय महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी श्री भास्करानंद जी महाराज वृंदावन धाम जी द्वारा कथा स्थल पर विधिविधान के साथ कलशों की स्थापना कराई एवं भागवत महापुराण का पुजा कराये एवं आरती हुआ
ततपश्चात हनुमान जन्मत्सव के अवसर पर आचार्य स्वामी श्री भास्करानंद जी महाराज ने बताये की
हनुमान जयंती 16 अप्रैल को हिन्दू कैलेंडर के अनुसार , हनुमान जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा को हुआ था , इसलिए हर साल चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जाती है . हनुमान जी भगवान शिव के अंश थे . उनके पिता केसरी और माता अंजना थीं . जब उनका जन्म हुआ तो वे बहुत ही तेजवान , कांतिमय , बुद्धिमान एवं बलशाली थे . जैसे जैसे वे बड़े हुए , वैसे वैसे उनकी बाल्यकाल की शरारतें भी बढ़ने लगीं . उनके बाल्यावस्था से जुड़ी एक कथा है , जिसमें उनके महावीर बनने का वर्णन मिलता है
जैसे ही वे सूर्य देव के पास पहुंचे, उनको निगलने के लिए अपना मुंह खोल दिया. यह देखकर सूर्य देव वहां से भागने लगे. अब सूर्य देव आगे आगे और बाल हनुमान उनके पीछे पीछे. यह देखकर देवराज इंद्र आश्चर्य में पड़ गए.
उन्होंने सूर्य देव को बचाने के लिए हनुमान जी पर वज्र से प्रहार कर दिया. इसके परिणाम स्वरुप बाल हनुमान पृथ्वी पर गिर पड़े. इस बात की ज्ञान जब पवन देव को हुआ तो वे क्रोधित और दुखी हो गए क्योंकि हनुमान जी पवन पुत्र भी हैं.
शोकाकुल पवन देव मूर्छित हनुमान जी को लेकर एक गुफा में चले गए और वहां पर उनकी मूर्छा टूटने की प्रतीक्षा करने लगे. उधर, वायु देव के न होने के कारण पशु, पक्षी, मनुष्य सब त्राहि त्राहि करने लगे. पृथ्वी पर हाहाकार मच गया. उधर इंद्र देव को भी पता चल चुका था कि जिस बालक पर उन्होंने प्रहार किया था, वह कोई सामान्य बालक नहीं हैं. वह रुद्रावतार हनुमान हैं.
वायु देव के दुख को दूर करने और पृथ्वी पर वायु के संकट को दूर करने के लिए त्रिदेव के साथ सभी प्रमुख देवता उस गुफा में प्रकट हुए. वहां पर सभी देवों को रुद्रावतार हनुमान जी के बारे में पता चला ब्रह्मा, विष्णु, महेश समेत सभी देवताओं ने हनुमान जी को अपनी दिव्य शक्तियों से सुसज्जित कर दिया
सूर्य देव ने हनुमान जी को शिक्षा देने का दायित्व लिया बाद में वे हनुमान जी के गुरु बने इस प्रकार सभी देवों की शक्तियों के मिलने से पवनपुत्र महावीर हनुमान बन गए,जो अपने प्रभु श्रीराम के संकटमोचन
इस अवसर पर उपस्थित पुरे आयोजक माहेश्वरी परिवार के पदाधिकारी, ग्राम देवरबीजा के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे