सन्त बाबा उमाकान्त ने बताया नित्य अवतार और निमित्त अवतार में भेद...

सन्त बाबा उमाकान्त ने बताया नित्य अवतार और निमित्त अवतार में भेद...
सन्त बाबा उमाकान्त ने बताया नित्य अवतार और निमित्त अवतार में भेद...

सन्त बाबा उमाकान्त ने बताया नित्य अवतार और निमित्त अवतार में भेद

कैसे बाबा जयगुरुदेव ने आपातकाल में जेल को ही भजन घर बना दिया

इंदौर (म.प्र.) : निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, गुरु आदेश की पालना का आदर्श स्थापित करने वाले, नित्य अवतार, इस समय धरती पर नामदान की अनमोल दौलत देने के एकमात्र अधिकारी, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज ने 29 मार्च 2023 इंदौर में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि 23 मार्च 1977 को गुरु महाराज 21 महीना जनतंत्र की रक्षा के लिए जेल में रहकर के बाहर आए थे। हालांकि गुरु महाराज ने जेल को भजन घर बताया था। हम लोगों जैसे बहुत से प्रेमी थे जो गुरु महाराज की मौज में जेल गए थे। तो वहां तो और कोई काम था नहीं। भजन ही करना था। भजन भाव भक्ति की बातें रहती थी। तो भजन घर तो एक तरह से था ही। तो जब से गुरु महाराज जेल से बाहर निकले तब से प्रेमी प्रति वर्ष 23 मार्च को अपने-अपने घरों पर सुबह के समय झंडा लगाते हैं और 30 मार्च को सुबह के समय झंडे को उतार लेते हैं। इस बीच में जो समय रहता है उसमें प्रचार-प्रसार, संतसग की बातें भजन, ध्यान यह सब कार्यक्रम चलता, चलाया जाता है।

कान और आंख का बेहरमी से उपयोग करने पर क्या होता है

कान में तेल न डालो, आंख की सफाई न करो, इन पर ध्यान न दो, बेरहमी से उपयोग करो तो मोतियाबिंद जल्दी हो जाता है नहीं तो उम्र के हिसाब से ज्योति कम होती है। नसें जब कमजोर होती है तब ज्योति कम होती है। जब बुढ़ापे में कान की नसें कमजोर होती है तब कम सुनाई पड़ता है। लेकिन अगर परहेज न करो तो जवान-जवान लोग बहरे हो जा रहे हैं। 12-14 साल के लड़के कहते हैं कि कान बंद हो गया, सुनाई नहीं पड़ता है।

न जानकारी में कैसे खुदा, जुदा हो जाता हैं

जीव समझ नहीं पाता है कि क्या कर्तव्य, कैसा कर्म करना चाहिए। सतसंग, सन्त मिले नहीं, जानकारी हो नहीं पाई। (जीव) अलग-अलग जगह पैदा हुआ, वहां-वहां का वैसा खान-पान, पहनावा अलग होता है। यहां तक कि देवी-देवता, पूजा-पाठ अलग-अलग करने लग जाते हैं। तो जब तक कोई जानकार नहीं मिलता है तब तक तो आदमी फायदे के लिए करता है। लेकिन जब नहीं समझ पाते हैं तब वही फायदे की जगह नुकसान कर जाता है, खु-दा का जु-दा हो जाता है। एक नुक्ता उपर-नीचे हो जाने पर खुदा का जुदा हो जाता है। न समझ पाने पर जीव हत्या, बलि दी तो पाप बन गया।

नित्य अवतार और निमित्त अवतार किसको कहते हैं ?

महापुरुष समय-समय पर इस धरती पर भेजे जाते हैं। नित्य अवतार और निमित अवतार दो तरह के बताये गए। नित्य अवतार जो हमेशा इस धरती पर रहते हैं और निमित्त अवतार जो आए, अपना काम करे और चले गए। जैसे राम भगवान जिनको कहा गया, अच्छा काम किए। राजा दशरथ के पुत्र, राजकुमार राम, भगवान राम कहने लग गए। अपनी पाई हुई ऊपर की शक्ति से ऐसा काम किया जो आदमी नहीं कर सकता था। रावण जैसे पराक्रमी को उन्होंने खत्म कर दिया। उनके पास कोई हथियार नहीं और ऐसा कुछ नहीं था कि रावण से लड़ाई लड़ सकते थे। लेकिन अपनी विल पावर (आत्मशक्ति) की बदौलत उन्होंने ऐसा काम करके दिखा दिया जो हर कोई नहीं कर सकता था। इसीलिए उनको लोगों ने भगवान कहा, वह निमित्त अवतार थे। उनके बाद कृष्ण भगवान, बुद्ध, परशुराम, अन्य धर्म चलाने वाले, मोहम्मद साहब, उनके बाद आये पैगम्बर लोग भी निमित्त अवतार थे। निमित्त इसमें क्या होता है? उनको काम दे दिया जाता है, उसी काम को वह करते हैं। ये, दुसरे के काम यानी गुप्त सन्त के काम को न कर पाते हैं और न उनके काम में कोई बाधा डालते हैं बल्कि जो हमेशा इस धरती पर रहते हैं, सन्त सतगुरु, समर्थ गुरु, मुर्शिद ए कामिल, पूरे फकीर जिनको कहा गया, इस धरती पर हमेशा गुप्त रूप में रहते हैं। जब हुकुम हो जाता है कि अब काम करो तो प्रकट रूप में वह आ जाया करते हैं। वह नित्य अवतार होते हैं। जो सन्त होते हैं, वह नित्य अवतार होते हैं।

गुरु महाराज के मौजूद होने, पर नामदान का आदेश देने के बाद नामदान क्यों नहीं दे सकते हैं

गुरु महाराज मौजूद थे तभी ही आदेश दे दिया था कि ये संभाल करेगे लेकिन लोगों ने मुझसे पूछा कि गुरु महाराज ने जब कह दिया है तब नाम दान क्यों नहीं देते हो? हमने कहा अभी हमको आदेश नहीं है। हम अभी हकदार नहीं हैं। जब तक गुरु महाराज मौजूद हैं तब तक इस धरती पर यह काम करने वाले दो नहीं हो सकते हैं, एक ही रहेगा। हमेशा नामदान एक ही ने दिया है। कबीर साहब के कई प्रसिद्ध  शिष्य थे लेकिन नानक जी को उन्होंने (आगे नामदान देने का) आदेश दिया। नानक जी ने भी अपने कई शिष्यों में से लहना (गुरु अंगद देव जी) को ही आदेश दिया।