आज साल का हिसाब करो कि हमारे तन-मन-धन से कितना पाप हुआ और कर्म काटने के लिए संकल्प बनाओ, गुरु को कर्म समर्पित करो, गुरु आदेश का पालन करो

आज साल का हिसाब करो कि हमारे तन-मन-धन से कितना पाप हुआ और कर्म काटने के लिए संकल्प बनाओ, गुरु को कर्म समर्पित करो, गुरु आदेश का पालन करो
आज साल का हिसाब करो कि हमारे तन-मन-धन से कितना पाप हुआ और कर्म काटने के लिए संकल्प बनाओ, गुरु को कर्म समर्पित करो, गुरु आदेश का पालन करो

आज साल का हिसाब करो कि हमारे तन-मन-धन से कितना पाप हुआ और कर्म काटने के लिए संकल्प बनाओ, गुरु को कर्म समर्पित करो, गुरु आदेश का पालन करो

यदि पूरे समरथ सतगुरु नहीं मिले तो कर्म नहीं कटेंगे और फिर लौट-लौट कर चौरासी में आना पड़ेगा

मनुष्य शरीर मिला यानी सीमा बॉर्डर पर खड़े हो, गुरु से प्रार्थना करो, दया लेकर कदम आगे बढ़ा दो और भवसागर पार हो जाओ


उज्जैन (म.प्र.)। जीवों को इस दुःखों के संसार से निकल कर भवसागर पार होने की जितनी जल्दी है उससे कई कई गुना जल्दी जिन समरथ गुरु को है, जन्म-जन्म के कर्मों को युक्ति से बहुत आसानी से कटवा सकने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज ने नव वर्ष कार्यक्रम में 31 दिसम्बर 2022 प्रातः उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि देखो प्रेमियों जैसे नौकरी करने वालों का वेतन मजदूरी का हिसाब होता है, जो अब्सेंट अनुपस्थित रहते हैं जो नौकरी पर नहीं जाते हैं उनको तनख्वाह नहीं मिलती है। जो मजदूर मजदूरी करने नहीं जाते हैं उनका मजदूरी कटता है। कब? जब हिसाब होता है। 10 दिन, 15 दिन, 1 महीने में जब जहां जैसा नियम होता है।

ऐसे ही कर्मों का हिसाब होता है, लेना-देना होता है

यह नया साल जो आता है इसमें हिसाब-किताब होता है। जैसे बैंक का, दफ्तरों का हिसाब। बहुत से सेठ लोग दीपावली को हिसाब करते हैं। कोई हिंदी तिथि के अनुसार साल जब बदलता है चैत में तब वह हिसाब करते हैं। ऐसे ही आपको इस साल का हिसाब-किताब करने की जरूरत है कि हमने शरीर से कितना पाप किया, धन हमारा किस जगह पाप में गया, मन हमारा कितना पापी हुआ, इसका आपको हिसाब करना है। इस को याद करके कर्मों को काटने के लिए आज के दिन संकल्प बनाना है, अपने कर्मों को गुरु को समर्पित करना है, गुरु के आदेश का पालन करना है, तन मन धन से जो हो सके गुरु के आदेश का पालन करके अपने कर्मों को काट लेना है।

अगर कर्म नहीं कटे तो

फिर-फिर भटका खाए, लख चौरासी भरम कर पग में अटके आए। अबकी पासा न लगा तो फिर लख चौरासी जाए। चौरासी का चक्कर काटकर के, कीड़ा मकोड़ा सांप बिच्छू आदि शरीरों में बंद होकर के, बहुत तकलीफों के बाद, मां के पेट में उल्टा लटकने के बाद फिर यह मनुष्य शरीर आपको मिला है। मनुष्य शरीर ऐसे जैसे मध्य में अटके हो और एक पैर आगे बढ़ा दो तो आप अभी निकल जाओ। जैसे एक देश से दूसरे देश में जाना है और सीमा बॉर्डर पर पहुंच जाएं और रोक दिया जाए नहीं जा सकते हो। अगर एक पैर आगे बढ़ा दे तो समझ लो उस पार चला गया। ऐसे ही आप अपना एक पैर आगे बढ़ा दो, थोड़ा सा ध्यान दुनिया की तरफ से हटा करके उधर लगा दो, यह जो नाम का रास्ता आपको मिला उससे नाम की कमाई करके नाम को याद करते हुए, नाम का सुमिरन करते हुए आप अपना पग आगे बढ़ा दो। गुरु की दया ले करके अपना पग आगे बढ़ा दो। फिर भटकने के लिए लख चौरासी में न आना पड़े,चौरासी लाख योनियों में न जाना पड़े, अंडज पिंडज युष्मज योनियों में आपको न जाना पड़े, इसी जन्म में पार हो जाओ तो इसके लिए आज के दिन गुरु से माफी मांगो, दया मांगो कि अबकी बार खेय लगाओ पार नैया, भंवर पड़ी मझधार। अबकी बार हम को पार कर दो। अब दुबारा फिर इधर कदम नहीं रखेंगे, वादा करते हैं दया करो दया करो।