ग्राम कुटेला धाम में गुरु घासीदास जयंती कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामील हुए पूर्व विधायक दिलीप लहरिया अपने उद्बोधन में बाबा के विषय में बताये कई अच्छी बाते जाने क्या क्या बोले लहरिया पढ़े पूरी खबर

ग्राम कुटेला धाम में गुरु घासीदास जयंती कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामील हुए पूर्व विधायक दिलीप लहरिया अपने उद्बोधन में बाबा के विषय में बताये कई अच्छी बाते जाने क्या क्या बोले लहरिया पढ़े पूरी खबर
ग्राम कुटेला धाम में गुरु घासीदास जयंती कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामील हुए पूर्व विधायक दिलीप लहरिया अपने उद्बोधन में बाबा के विषय में बताये कई अच्छी बाते जाने क्या क्या बोले लहरिया पढ़े पूरी खबर

मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम कुटेला धाम में परम पूज्य गुरु घासीदास बाबा जी के जयंती कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व विधायक दिलीप लहरिया जी शामिल हुए लहरिया ने बाबा गुरु घासीदास जी के विषय में बताते हुए कहा की  भारत के छत्तीसगढ़ राज्य की संत परंपरा में सर्वोपरि हैं बाबा गुरु घासीदास बाल्याकाल से ही घासीदास के हृदय में वैराग्य का भाव प्रस्फुटित हो चुका था। समाज में व्याप्त पशुबलि तथा अन्य कुप्रथाओं का ये बचपन से ही विरोध करते रहे। समाज को नई दिशा प्रदान करने में इन्होंने अतुलनीय योगदान दिया था। सत्य से साक्षात्कार करना ही गुरु घासीदास के जीवन का परम लक्ष्य था। 'सतनाम पंथ' का संस्थापक भी गुरु घासीदास को ही माना जाता है।

बाबा गुरु घासीदास का जन्म छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में गिरौद नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम मंहगू दास तथा माता का नाम अमरौतिन था और उनकी धर्मपत्नी का सफुरा था।

गुरु घासीदास का जन्म ऐसे समय हुआ जब समाज में छुआछूत, ऊंचनीच, झूठ-कपट का बोलबाला था, बाबा ने ऐसे समय में समाज में समाज को एकता, भाईचारे तथा समरसता का संदेश दिया।

घासीदास की सत्य के प्रति अटूट आस्था की वजह से ही इन्होंने बचपन में कई चमत्कार दिखाए, जिसका लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा। > गुरु घासीदास ने समाज के लोगों को सात्विक जीवन जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने न सिर्फ सत्य की आराधना की, बल्कि समाज में नई जागृति पैदा की और अपनी तपस्या से प्राप्त ज्ञान और शक्ति का उपयोग मानवता की सेवा के कार्य में किया।            

 

इस अवसर पर संत समाज व भारी संख्या में ग्रामीण जन उपस्थित रहे