मस्तूरी क्षेत्र में स्कूलों की हालत खस्ता कई शिक्षक नहीं पहुंच रहे टाइम पे स्कूल बेग लेस डे पे स्कूल टाइम से पहले हो जा रहे हैं बंद राज्य सरकार के बेग लेस डे की उड़ाई जा रही धज्जिया छोटे-छोटे बच्चों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़

मस्तूरी क्षेत्र में स्कूलों की हालत खस्ता कई शिक्षक नहीं पहुंच रहे टाइम पे स्कूल बेग लेस डे पे स्कूल टाइम से पहले हो जा रहे हैं बंद राज्य सरकार के बेग लेस डे की उड़ाई जा रही धज्जिया छोटे-छोटे बच्चों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़
मस्तूरी क्षेत्र में स्कूलों की हालत खस्ता कई शिक्षक नहीं पहुंच रहे टाइम पे स्कूल बेग लेस डे पे स्कूल टाइम से पहले हो जा रहे हैं बंद राज्य सरकार के बेग लेस डे की उड़ाई जा रही धज्जिया छोटे-छोटे बच्चों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़

बिलासपुर//एक तरफ जहां सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारने राज्य सरकार यशस्वी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में नए नए तरीके से स्कूली बच्चों के भविष्य को संवारने की कोशिश में लगे हुए हैं तो दूसरी तरफ  कुछ गैर जिम्मेदार हेड मास्टरों की वजह से मस्तूरी क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था कितनी लचर है यह किसी से छिपी नहीं है यहां शिक्षक अपने मन मुताबिक कार्य कर रहे हैं इनको बच्चों की भविष्य की कोई परवाह नहीं है इनकी जब मन पड़ती है स्कूल आते हैं जब मन पड़ती है स्कूल से चले जाते हैं और यह सब ऐसे स्कूलों में हो रहा है जहां गांव के शिक्षक को गांव में ही पोस्टिंग दी गई है जिसका फायदा शिक्षक भरपूर उठा रहे हैं ताजा मामला शासकीय उन्नत प्राथमिक शाला सुकुलकारी का है जहां शनिवार को 10 बजे से पहले ही स्कूल में ताला जड़ दिया गया था यहाँ ना कोई शिक्षक था ना हेड मास्टर अब सोचिये क्या ऐसे सुधरेगा सरकारी स्कूलों का ब्यवस्था यही हाल ओखर में भी है साहू मोह्हले में स्थित प्राथमिक स्कूल में हेड मास्टर से जब हमने पूछा कि आप इतनी जल्दी घर कैसे जा रहे है तो उन्होंने एक लाइन में कहा कि उनको कुछ काम है इसलिए जल्दी घर जा रहे है अब जरा सोचिये शिक्षक अपना कार्य छोड़ कर बच्चो को पढ़ना लिखाना छोड़ कर ये सोच कर निकल जाते है कि उनको और भी कुछ काम है तो क्या वो काम स्कूल टाइम के बाद नहीं किया जा सकता क्या सरकार इन लापरवाह शिक्षकों को अपना कार्य स्कूल टाइम में करने का पैसा दे रही है या बच्चो को पढ़ाने का सवाल बड़ा है जिसका जवाब मस्तूरी में बैठे शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारीयों को तलाशना ही होगा नहीं तो बच्चो का भविष्य अधर में लटक जायेगा अब आपको स्कूलों कि खस्ता हालत के विषय में बताते है फोटो में देख सकते है कि यहाँ स्कूल भवन का क्या हाल है कलर तो दूर सामने का घास भी साफ करा देते तो बोल सकते थे कि यहाँ दो साल में कुछ खर्च किया गया है स्कूल का गेट भी पूरी तरह से ख़राब हो चूका है सड़ गया है ये सुकुलकारी प्राथमिक स्कूल का है जब हमने प्रभारी प्रधान पाठक से पूछा कि क्या स्कूल में सरकार रंगरोगन रिपेरिंग के लिए पैसा नहीं भेजती तो उन्होंने बताया कि पिछले दो सालो में दो बार 25000,25000 राशी भेजी गई थी पर अधिकारीयों को कमीशन और इस्टेशनरी में ख़त्म हो गई अब जरा सोचिये इतने छोटे से स्कूल में दो साल में कितने का स्टेशनरी उपयोग किया गया होगा और बाकि राशी कहा गई ये सब समझ से परे है अब बात करते है ओखर कि स्कूल कि यहाँ भी यही स्थिति निर्मित है यहाँ स्कूल के अंदर चारो तरफ बच्चो के बैठने वाले गेट के पास पूरा क्रेक हो गया है पर यहाँ भी हेडमास्टर साहब हमेशा जल्दी में रहते है इसलिए यहाँ रिपेरिंग नहीं हो पा रही है ऐसा नहीं है कि सरकारी पैसा इनको नहीं मिला है इनको भी 45000 कि राशी दो सालो में प्राप्त हुई है पर यहाँ भी पूरा पैसा स्टेशनरी में लगा दिया गया ये हम नहीं बोल रहे ये यहाँ के हेडमास्टर शैलेन्द्र साहू ने बताया बस इन्होने स्कूल के सामने कीचड़ होने कि बात करते हुए यहाँ पर डस्ट डलवाने कि बात बताई और फण्ड ख़तम अब ऐसे में सरकार कि क्या गलती वो तो अपना कार्य ईमानदारी से करते हुए बच्चो का भविष्य सुधारने में लगी है पर यहाँ शिक्षक ही स्वार्थ में दुबे पड़े है तो कोई क्या कर सकता है अब देखना होगा मस्तूरी में बैठे अधिकारी इन पर क्या कार्यवाही करते है