भुरसीडोंगरी में गोंडवाना समाज का गौरवपूर्ण आयोजन: 'गायता जोहरनी परब' में सांस्कृतिक परंपराओं का भव्य सम्मान...




धमतरी,नगरी...ग्राम भुरसी डोंगरी, तहसील बेलरगांव, जिला धमतरी में गोंडवाना समाज समन्वय समिति, बरबांधा उपखंड क्षेत्र के तत्वावधान में 'गायता जोहरनी परब' का भव्य आयोजन हुआ। यह परब न केवल सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, बल्कि गोंडी परंपराओं और ग्राम व्यवस्था के रक्षकों का सम्मान करने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है। इस ऐतिहासिक आयोजन में क्षेत्र के हर गांव से लोग उमड़ पड़े, जिससे परब की भव्यता और गरिमा और बढ़ गई..
गायता जोहरनी परब का मुख्य आकर्षण था ग्राम व्यवस्था चलाने वाले भुमयार्र बुबा, मठियारिन याया, और उनके सेवक गायता का ससम्मान समारोह। इन सभी अतिथियों का स्वागत गोटूल के लया-लयोर द्वारा पारंपरिक रेला पाटा के साथ किया गया। इस सांस्कृतिक अनुष्ठान ने गोंडी समाज की जड़ों से जुड़े रहकर परंपराओं को जीवंत रखा...
कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए सिहावा विधानसभा क्षेत्र की विधायक, श्रीमती अंबिका मरकाम मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। उनके साथ बरबांधा उपखंड क्षेत्र के गांवों के प्रमुख सियान और समाज के प्रमुख भी विशेष अतिथि के रूप में मौजूद थे। सभी अतिथियों का स्वागत गोंडवाना परंपरा के अनुसार पीले चावल और महुआ फूल से किया गया, जो सम्मान और समर्पण का प्रतीक है...
संविधान, संस्कृति और समाज पर सार्थक चर्चा:...मुख्य वक्ता संदीप सलाम (KBKS भारत) ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में गोंडी समाज के संवैधानिक अधिकारों, रूढ़ी प्रथाओं, गोंडी भाषा-बोली, और संस्कृति की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे समाज की एकता और परंपराओं का सम्मान समाज को सशक्त बनाता है। सलाम ने सभी गांव प्रमुखों और समाज सेवकों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने समाज के इस महत्वपूर्ण आयोजन को सफल बनाया।
सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर का संगम:
इस आयोजन ने गोंडवाना समाज की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को एक बार फिर से जीवंत किया। गायता जोहरनी परब में शामिल हर व्यक्ति ने समाज की परंपराओं और ग्राम व्यवस्था में अपनी भूमिका पर गर्व महसूस किया। समारोह का समापन जोहार के साथ हुआ, जहां सभी ने समाज की एकता और सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखने का संकल्प लिया..
गोंडवाना समाज के इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि परंपराएं सिर्फ अतीत की कहानियां नहीं हैं, बल्कि वे समाज की जड़ों को मजबूत बनाए रखने की जीवित धरोहर हैं।