धमतरी जिला के अंतिम छोर कारीपानी और बुडरा गांव के लोगो ने मनाया वन महोत्सव...100 एकड़ जमीन में रोपे 1000 हजार से ज्यादा पौधे...

धमतरी जिला के अंतिम छोर कारीपानी और बुडरा गांव के लोगो ने मनाया वन महोत्सव...100 एकड़ जमीन में रोपे 1000 हजार से ज्यादा पौधे...
धमतरी जिला के अंतिम छोर कारीपानी और बुडरा गांव के लोगो ने मनाया वन महोत्सव...100 एकड़ जमीन में रोपे 1000 हजार से ज्यादा पौधे...

छत्तीसगढ़ धमतरी...वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम 2006 के तहत मान्य किए जाने वाले सामुदायिक वन संसाधन अधिकार का असर अब जिला में दिखने लगा है। यह अधिकार प्राप्त करने के लिए धमतरी जिला के अंतिम छोर पर स्थित सीतानदी टाइगर रिजर्व के बुडरा एवं कारीपानी ग्राम सभा ने सन 2005 के बाद कब्जा की गई 100 एकड़ से ज्यादा की जंगल जमीन को आज खाली कर दिया। साथ ही वहां पर स्वयं से गांव के सभी महिला और पुरुषों ने तीजा के दिन "वन महोत्सव" मनाते हुए उस 100 एकड़ जमीन में एक हजार से अधिक पौधों का रोपण जिला पंचायत सदस्य मनोज साक्षी, उपसंचालक सीतानदी उदंती टाइगर रिजर्व वरुण जैन और गांव के प्रमुख गायता, पटेल, सरपंच, पंच आदि की उपस्थिति में किया।

ग्राम सभा सदस्यों का कहना है कि यह वृक्षारोपण आगे भी लगातार जारी रहेगा एवं ग्राम सभा द्वारा अगले एक सप्ताह में करीब 5000 पौधे लगाए जाने का लक्ष्य है। वर्तमान में पौधे उद्यानिकी विभाग द्वारा उपलब्ध करवाए गए थे, लेकिन अब ग्राम वासियों ने ग्राम में ही नर्सरी लगाकर पौधे तैयार करने का निर्णय लिया है जिसमें मुख्य रुप से गांव में काम आने वाले वन उत्पाद जैसे महुआ, आंवला, इमली, हर्रा, बहेड़ा, जामुन, कटहल, तिखूर, बांस आदि के पौधे तैयार किए जायेंगे। 

ज्ञात हो कि पिछली वन अधिकारों के मान्यता अधिनियम की नगरी में हुई जिला स्तरीय बैठक में बुडरा एवं कारीपानी ग्राम सभा की कलेक्टर एवं उप संचालक सीता नदी उदंती के साथ यह सहमति बनी थी की वह जंगल जमीन का व्यक्तिगत कब्जा छोड़कर उसे ग्राम सभा की ओर से सामूहिक रूप से प्रबंधन करेंगे और वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम 2006 के तहत 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन अपने ग्राम का सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्राप्त करेंगे।

गांव वालो की सामुदायिक अधिकार प्राप्त करने की इच्छा इतनी प्रबल है कि ना सिर्फ उन्होंने अपने द्वारा किए गए सभी अतिक्रमण को छोड़ने का ग्राम सभा में प्रस्ताव पारीत किया बल्कि उसमे की गई अपनी गलती को सुधारते हुए तत्काल वृक्षारोपण भी करने का निर्णय लिया गया। 

जिला पंचायत सदस्य मनोज साक्षी का कहना है की ग्राम सभा अब यह समझ गई है कि पूरा जंगल ही उनका है ना की वन विभाग का। इसलिए गांव के लोगो ने अपने जंगल को फिर से हरा भरा करने का और हमारे पूर्वजों ने जैसा हमे दिया था वैसा वापस बनाने का निर्णय लिया है। हम लघु वनोपज देने वाले पौधों का ज्यादा रोपण इसलिए कर रहे है क्योंकि यह हम को खेती से ज्यादा साल भर पेट भरने के लिए कुछ ना कुछ देते रहेंगे। साथ ही इससे जंगली जानवरों को भूख भी शांत होगी। 

उपसंचालक सीतानदी उदंती वरुण जैन ने कहां, "गांव वालो ने जंगल के प्रति जो अपनत्व दिखाते खुद से वृक्षारोपण किया है यही वन अधिकार कानून का असली अर्थ है। जंगल गांव वालो के प्रबंधन से ना सिर्फ बढ़ेगा बल्कि लोगो को सालो साल जीवन यापन का साधन उपलब्ध करवाता रहेगा। इससे जंगली जानवर भी गांव की तरफ नहीं आएंगे। यह बात दूसरे गांव के लोगो को सीखनी चाहिए कि जंगल अब से उन्ही के प्रबंधन में है और उन्हें व्यक्तिगत लालच छोड़ कर सामुदायिक रूप से जंगल को गांव के भले के लिए बढ़ाना चाहिए। बुडरा और कारीपनी गांव के इस बारे में आज जो मिसाल पेश की है वह बहुत ही सराहनीय है।"