भारतीय राजनीति का आधुनिकीकरण होना देश के उन्नति के लिए बेहद जरूरी: पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी.
Modernization of Indian politics is very important for the progress of the country.




NBL, 23/05/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. Modernization of Indian politics is very important for the progress of the country.
अटल बिहारी वाजपेयी: आधुनिकीकरण एक प्रक्रिया है जो साधनों के विवेकपूर्ण प्रयोग पर आधारित होती है और जिसका उद्देश्य होता है, आधुनिक समाज की स्थापना, पढ़े विस्तार से... राजनीतिक आधुनिकीकरण की संकल्पना उस राजनीतिक परिवर्तन की स्थिति निर्देश करती है जो विशेषकर आधुनिक काल में यूरोपीय देशों में और फिर हाल ही के वर्षों में विश्व के अन्य देशों में हुआ। यह एक बहुपक्षीय प्रक्रिया है जिसके कई आयाम :
1. मनोवैज्ञानिक स्तर पर इसमें लोगों के मानकों, मूल्यों और अभिविन्यासों में परिवर्तन अपेक्षा की जाती है।
2. बौद्धिक स्तर पर इसमें अपने पर्यावरण के बारे में व्यक्ति की विपुल जानकारी और अधिक साक्षरता व जन संचार के माध्यमों के इस ज्ञान के विसरण की अपेक्षा की जाती है।
3. जनांकिक स्तर पर इसका निहितार्थ जीवन स्तर में सुधार एंव नगरीकरण से है।
4. समाजिक स्तर पर इसमें यह प्रवृत्ति पायी जाती है कि परिवार और अन्य प्राथमिक गुटों के प्रति निष्ठा की भावना के केन्द्र बिन्दु को स्वैच्छिक रूप से संगठित आनुषांगिक संगठनों के प्रति निष्ठा में बदला जाये ।
5. आर्थिक स्तर पर इसमें बाजारी कृषि के विकास,औद्योगीकरण का विकास एवं आर्थिक कार्यकलाप का व्यापक होना है।
आधुनिकीकरण आधुनिक समाज: की तरफ ले जाने वाली ऐसी प्रवृत्ति है जिसकी प्रमुख विशेषता इसके वातावरण की भौतिक और सामाजिक परिस्थितियों को नियन्त्रित या प्रभावित करने की अभूतपूर्व समर्थता है और जो मूल्य व्यवस्था की दृष्टि से इस क्षमता या समर्थता की वांछनीयता व परिणामों के बारे में आधारभूत रूप में आशावादी है।"
नगरीकरण, व्यापक साक्षरता, अधिक प्रति व्यक्ति आय, विस्तृत भौगोलिक तथा सामाजिक गतिशीलता,अर्थव्यवस्था मेंऔद्योगीकरण तथा वाणिज्यीकरण की मात्रा में वृद्धि,जन-संचार साधनों का विस्तार आधुनिकीकरण के हेतु हैं।"
राजनीतिक आधुनिकीकरण राजनीतिक विकास का पूर्वगामी है. .
मानव जाति निरन्तर परिवर्तन की प्रक्रिया से गुजरती रही है और इस दृष्टि से 20वीं सदी ने, विशेषतया बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध ने अन्य किसी भी समय को पीछे छोड़ दिया है।
बीसवीं सदी में राजनीतिक जीवन परिवर्तन की जिस प्रक्रिया से गुजरा है, परिवर्तन की उस प्रक्रिया को समझने के लिए कुछ अवधारणाओं का प्रतिपादन किया गया है, उनमें दो
अवधारणाएं प्रमुख हैं : प्रथम, राजनीतिक आधुनिकीकरण और द्वितीय, राजनीतिक विकास ।
राजनीतिक आधुनिकीकरण और राजनीतिक विकास की ये प्रक्रियाएं परस्पर जुड़ी हुई हैं, इनमें परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध है, लेकिन साथ ही ये प्रक्रियाएं कुछ भिन्नताएं लिए हुए भी हैं।
राजनीतिक आधुनिकीकरण...
क्लाड वेल के अनुसार, "आधुनिकीकरण एक प्रक्रिया है
जो साधनों के विवेकपूर्ण प्रयोग पर आधारित होती है और आधुनिक समाज की स्थापना के उद्देश्य से मुक्त होती है।" वस्तुतः प्रत्येक परिवर्तन को आधुनिकीकरण नहीं कहा जा सकता, क्योंकि कुछ परिवर्तन समाज को आगे बढ़ाने के बजाय पीछे की ओर ले जाते हैं।
राजनीतिक आधुनिकीकरण परिवर्तन की ऐसी प्रक्रिया है जो प्रगतिशीलता की ओर उन्मुख रहती है।आधुनिकीकरण पश्चिमीकरण नहीं है। कुछ विकासशील देश ऐसे हैं जो को पश्चिमीकरण अपनाये बिना आधुनिकीकरण की ओर बढ़े हैं । लोकतान्त्रिक व्यवस्था या राजनीति में जनता की सहभागिता आधुनिकीकरण का एक तत्व है, लेकिन राजनीतिक आधुनिकीकरण अनिवार्य रूप से लोकतान्त्रिक व्यवस्था के साथ जुड़ी हुई स्थिति नहीं है।
राजनीतिक आधुनिकीकरण का सम्बन्ध ऐसी राजनीतिक व्यवस्था के विकास से है जो इतनी लचीली है कि हर प्रकार की मांग को प्रस्तुत होने के अवसर प्रदान कर सके, किन्तु उसमें इतनी शक्ति सम्पन्नता भी हो कि हर प्रकार की मांग का समुचित ढंग से मुकाबला कर सके और अनुचित मांग को दृढ़ता के साथ ठुकरा देने की क्षमता रखने वाली राजनीतिक व्यवस्था को आधुनिक कहा जा सकता है।
राजनीतिक विकास. ..
राजनीतिक विकास, राजनीतिक संरचनाओं का विभिन्नीकरण और विशेषीकरण तथा राजनीतिक संस्कृति का ऐसा बढ़ता हुआ लौकिकीकरण है जिससे जनता में समानता और राजनीतिक व्यवस्था में कार्यक्षमता तथा उसकी उपव्यवस्थाओं में स्वायत्तता आ जाये।
वस्तुतः राजनीतिक विकास एक ऐसी प्रक्रिया का नाम है जिसके अन्तर्गत राजनीति में जनता को बहुत अधिक सहभागिता की स्थिति प्राप्त होती है। राजनीतिक व्यवस्था में ऐसी क्षमता होती है कि वह बदलती हुई परिस्थितियों के अनुरूप नवीन लक्ष्यों को प्राप्त करने और नित्य उठने वाली समस्याओं को हल करने में सफलता प्राप्त कर सके, जिसके अन्तर्गत विभिन्न संस्थाओं के द्वारा अलग-अलग प्रकार के कार्यों को सम्पन्न किया जाय और राजनीति धर्म आदि पारम्परिक प्रभावों से मुक्त हो।
राजनीतिक विकास और राजनीतिक आधुनिकीकरण-
राजनीतिक विकास और राजनीतिक आधुनिकीकरण के आपसी समीकरण के सम्बन्ध में प्रमुख रूप से दो दृष्टिकोण हैं। इनमें से प्रथम दृष्टिकोण दोनों के परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध पर बल देता है तथा द्वितीय दृष्टिकोण इन दोनों प्रक्रियाओं की भिन्नता पर बल देता है।
प्रथम दृष्टिकोण इस बात का प्रतिपादन करता है कि राजनीतिक विकास और राजनीतिक आधुनिकीकरण दोनों ही ऐसी गत्यात्मक अवधारणाएं हैं जो विकासशील देशों की राजनीतिक व्यवस्थाओं को समझने में सहायक होती हैं।
सर्वप्रथम, सामाजिक जीवन के स्तर पर आधुनिकीकरण की प्रक्रिया प्रारम्भ होती है, समाज के आधुनिकीकरण की यह प्रक्रिया राजनीतिक व्यवस्था को आधुनिकीकरण की दिशा में आगे बढ़ाती है। इस प्रकार राजनीतिक आधुनिकीकरण आधुनिकीकरण की प्रक्रिया से प्रेरित और निरूपित होता है। राजनीतिक आधुनिकीकरण की यह स्थिति ही किसी देश को राजनीतिक विकास की दिशा में आगे बढ़ाती है तथा इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि 'राजनीतिक आधुनिकीकरण राजनीतिक विकास का पूर्वगामी होता है।
राजनीतिक आधुनिकीकरण और राजनीतिक विकास में मौलिक अन्तर है, इन दोनों का अन्तर बतलाते हुए कुछ प्रमुख बातें इस प्रकार है :
(1) राजनीतिक विकास की संकल्पना व्यापक है जबकि राजनीतिक आधुनिकीकरण एक सीमित अवधारणा है।
(2) राजनीतिक विकास, राजनीतिक प्रक्रियाओं और राजनीति का संस्थापन है जबकि राजनीतिक आधुनिकीकरण का सम्बन्ध राजनीति में संरचनात्मक परिवर्तनों से है जिसमें संस्थापन हो, यह आवश्यक नहीं है।
(3) राजनीतिक विकास, विकास प्रक्रिया से स्वायत्त होता है जबकि राजनीति आधुनिकीकरण, आधुनिकीकरण की प्रक्रिया से स्वायत्त न होकर उसका एक महत्वपूर्ण पहल ही होता है।
(4) राजनीतिक विकास की सुनिश्चित अवस्थाएं होती हैं जबकि राजनीतिक आधुनिकीकरण में क्रम और प्रतिमान ही हो सकते हैं, पर सुनिश्चित अवस्थाएं नहीं हो सकती हैं।
(5) राजनीति में होने वाले विकास अनिवार्यतया राजनीतिक विकास ही हों, यह आवश्यक नहीं है। ऐसे विकास राजनीतिक पतन भी हो सकते हैं जबकि राजनीतिक आधुनिकीकरण मूलतः प्रत्येक आधुनिकीकृत अवस्था से सम्बद्ध रहता है।
(6) राजनीतिक विकास कभी-कभी स्थैतिकता की स्थिति का बोधक हो सकता है जबकि राजनीतिक आधुनिकीकरण में कभी भी स्थैतिकता की स्थिति नहीं आती है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी
इस बात पर बल दिया है कि राजनीतिक आधुनिकीकरण राजनीतिक विकास की तुलना में अधिक गत्यात्मक प्रक्रिया है और इसी आधार पर वे राजनीतिक आधुनिकीकरण को विकासशील समाज और राजनीतिक व्यवस्थाओं के अध्ययन के लिए अधिक उपयुक्त मानते हैं।
राजनीतिक आधुनिकीकरण के प्रमुख लक्षण निम्न प्रकार है ...
1. राजनीतिक आधुनिकीकरण का एक महत्वपूर्ण लक्षण यह है कि मानव जीवन की गतिविधियों से सम्बन्धित सभी प्रकार की शक्तियों का राज्य या राजनीतिक व्यवस्था में केंद्रीकरण होने लगता है। अर्थात् राजनीतिक शक्ति का महत्व बढ़ना राजनीतिक आधुनिकीकरण की निशानी है।
2. राजनीतिक आधुनिकीकरण के लिए सरकार की जनता तक पहुंच वृद्धिपरक होनी चाहिये। जनता व सरकार की हर स्तर पर सम्पर्कता का अर्थ राज्य का समाज में अधिकाधिक प्रवेश होता है। यह तभी सम्भव होता है जब सरकारें सकारात्मक कार्यों के निष्पादन में आगे बढ़ें।
3. आधुनिक राजनीतिक समाजों में केन्द्र और परिवार की अन्तःक्रिया बहुत बढ़ जाती है। यहां केन्द्र का अर्थ राजनीतिक व्यवस्था से है और परिसर का अर्थ समाज से है। राजनीतिक दल, हित और दबाव समूह, नौकरशाही एवं निर्वाचनों के माध्यमों से यह सम्पर्कता बढ़ती है तथा संचार के साधनों द्वारा इसमें निरन्तरता बनी रहती है।
4. आधुनिक राजनीतिक समाजों में धार्मिक, परम्परागत, पारिवारिक और जातीय सत्ताओं का स्थान एक लौकिकीकृत और राष्ट्रीय राजनीतिक सत्ता के द्वारा ले लिया जाता है।सत्ता के परम्परागत स्रोतों के निर्बल होने और उनके स्थान पर राष्ट्रीय राजनीतिक सत्ता की स्थापना, राजनीतिक आधुनिकीकरण की सबसे अधिक महत्वपूर्ण विशेषता है।
5. आधुनिक राजनीतिक व्यवस्थाओं में राजनीतिक संस्थाओं का विभिन्नीकरण और विशेषीकरण होना अनिवार्य है।
6. राजनीतिक आधुनिकीकरण के लिए संस्थात्मक और प्रक्रियात्मक परिवर्तन ही पर्याप्त नहीं हैं। संस्थाओं और प्रक्रियाओं में जन-सहभागिता कितनी है यह भी राजनीतिक आधुनिकीकरण का एक मापदण्ड है।
7. राजनीतिक आधुनिकीकरण वाली राजनीतिक व्यवस्थाओं में व्यक्तियों की अभिवृत्तियों में परिवर्तन आना अधिक महत्व रखता है ।
8. राजनीतिक व्यवस्थाओं को केवल नौकरशाही के वृहत्तर आकार के आधार पर आधुनिक नहीं कहा जाता है। वास्तव में, आधुनिकीकरण के लिए नौकरशाही के आकार के बढ़ाने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण उसके आधार की व्यापकता है। व्यापक आधार का अर्थ है कि नौकरशाही के कर्मचारियों में सारे समाज में से भर्ती होने की केवल प्रक्रियात्मक व्यवस्था ही नहीं हो, अपितु प्रशासक वास्तव में समाज के सभी वर्गों से आ सकें।
राजनीतिक आधुनिकीकरण के अभिकरण...
राजनीतिक आधुनिकीकरण एक पेचीदा परिवर्तन है जिसमें कई अभिकरणों और माध्यमों की भूमिका रहती है, किन्तु राजनीतिक आधुनिकीकरण का प्रत्यक्ष सम्बन्ध आर्थिक विकास से नहीं जोड़ा जा सकता है।
डॉ. एस. पी. वर्मा ने स्पष्ट कहा है कि "सामाजिक संचारण और आर्थिक विकास, दोनों ही राजनीतिक आधुनिकीकरण के निर्णायक तत्व माने जाते हैं और इनसे विकासशील देशों के लिए घातक परिणाम निकले हैं?"
मोटे रूप से आधुनिकीकरण के प्रमुख अभिकरण इस प्रकार हैं- (i) राजनीतिक आधुनिकीकरण का प्रमुख अभिकरण अभिजन और बुद्धिजीवी वर्ग होता है। (ii) राजनीतिक दल राजनीतिक आधुनिकीकरण के प्रमुख उपकरण होते हैं। (iii) सरकारों के तत्वावधान में ही आधुनिकीकरण की सारी गतिविधियां संचालित होती हैं।
बुद्धिजीवियों के द्वारा राजनीतिक व्यवस्थाओं के साध्यों, गन्तव्यों और उद्देश्यों के विकल्प सुझाये जाते हैं।
इन्हीं विकल्पों में से कुछ का चयन करके राजनीतिक शक्ति को संरचात्मक रूप दिया जाता है। अभिजन इन संरचनात्मक व्यवस्थाओं से सम्बन्धित प्रक्रियाओं के कार्मिक होते हैं। इनकी विचारधारा और विंशेष प्रकार की मान्यताएं व आकांक्षाएं राजनीतिक आधुनिकीकरण का परिप्रेक्ष्य तैयार करती हैं, इन्हीं के द्वारा राजनीतिक आधुनिकीकरण की क्रियाएं सक्रिय या शिथिल बनती हैं।
राजनीतिक दल भी राजनीतिक आधुनिकीकरण के प्रमुख उपकरण होते हैं। लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं में इनकी भूमिका सर्वविदित है। सर्वाधिकारी शासनों में तो एकाधिकारवादी राजनीतिक दल ही राजनीतिकरण का प्रेरक रहता है। राजनीतिक दलों के माध्यम से विचारधारा को आधुनिकीकरण का शक्तिशाली अभिकरण माना जाता है।
सरकारों का राजनीतिक आधुनिकीकरण के अभिकरण के रूप में विशेष महत्व है। आधुनिक राजनीतिक व्यवस्थाओं में सरकारों के माध्यम से ही अधिकांश कार्यों की पहल होती है। सरकारों के पास बाध्यकारी शक्ति होती है। सरकारें आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्रों में बहुमुखी प्रगति की प्रेरक बनकर राजनीतिक व्यवस्था के आधुनिकीकरण की आधार-भूमि तैयार करने का प्रभावी माध्यम बन जाती हैं।