Sahara Scam : सहारा समूह का गोरखधंधा ! जानिए क्या है सहारा ग्रुप स्कैम और क्यों निवेशकों को नहीं मिल रहा पैसा? कोर्ट ने तीन महीने में 15% ब्याज के साथ पैसा लौटाने का दिया आदेश…

Sahara Scam : अगस्त 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने SIRECL और SHICL को सेबी के साथ निवेशकों का पैसा तीन महीने के अंदर 15 फीसद ब्याज के साथ चुकाने का आदेश दिया था. साथ ही सेबी को सभी ओएफसीडी धारकों की डिटेल प्रदान करने को भी कहा गया.

Sahara Scam : सहारा समूह का गोरखधंधा ! जानिए क्या है सहारा ग्रुप स्कैम और क्यों निवेशकों को नहीं मिल रहा पैसा? कोर्ट ने तीन महीने में 15% ब्याज के साथ पैसा लौटाने का दिया आदेश…
Sahara Scam : सहारा समूह का गोरखधंधा ! जानिए क्या है सहारा ग्रुप स्कैम और क्यों निवेशकों को नहीं मिल रहा पैसा? कोर्ट ने तीन महीने में 15% ब्याज के साथ पैसा लौटाने का दिया आदेश…

Sahara Scam : अगस्त 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने SIRECL और SHICL को सेबी के साथ निवेशकों का पैसा तीन महीने के अंदर 15 फीसद ब्याज के साथ चुकाने का आदेश दिया था. साथ ही सेबी को सभी ओएफसीडी धारकों की डिटेल प्रदान करने को भी कहा गया.

Sahara Scam : सहारा सेबी विवाद (Sahara SEBI Case) फिर से सुर्खियों में है। इसके साथ ही उन लोगों के ज़ख्म फिर से हरे हो गए हैं, जिन्होंने सहारा ग्रुप (Sahara Group) की कंपनियों में अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा लगाया, लेकिन रिटर्न में कुछ नहीं मिला। गुरुवार को मध्य प्रदेश के दतिया से एक पुलिस टीम सहारा समूह के अध्यक्ष सुब्रत रॉय (Subrata Roy) और निदेशक मंडल के सदस्यों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट लेकर लखनऊ पहुंची।

 

यह वारंट साल 2020 में दर्ज हुई एक एफआईआर से जुड़ा है। दतिया पुलिस को 14 ऐसी शिकायतें मिली थीं, जिनमें कहा गया कि कंपनी उनका पैसा नहीं लौटा रही है। देश में ऐसे कई लोग हैं, जिनका पैसा ना तो सहारा और ना ही सेबी (SEBI) ने वापस लौटाया है। जिनका मोटा पैसा फंसा हुआ है, वे तो कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाकर अपना पैसा वापस पाने में लगे हैं, लेकिन जिनकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है, वे पूरी तरह भगवान भरोसे बैठे हुए हैं। तो आइए जानते हैं कि आखिर यह सहारा विवाद कैसे शुरू हुआ।(Sahara Scam : The hoax of the Sahara group! Know what is Sahara Group scam and why investors are not getting money?)

सहारा ग्रुप की दो कंपनियों से जुड़ा है विवाद :

 

सहारा इंडिया (Sahara India) की शुरूआत साल 1978 में हुई थी। सहारा स्कैम (Sahara scam) मुख्य रूप से सहारा ग्रुप की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल ऐस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SHICL) से जुड़ा है। बात 30 सितंबर, 2009 की है। सहारा ग्रुप की एक कंपनी सहारा प्राइम सिटी ने अपने आईपीओ के लिए सेबी में आवेदन (DRHP) दाखिल किया था। डीआरएचपी में कंपनी से जुड़ी सारी अहम जानकारी होती है। जब सेबी ने इस डीआरएचपी का अध्ययन किया, तो सेबी को सहारा ग्रुप की दो कंपनियों की पैसा जुटाने की प्रक्रिया में कुछ गलतियां दिखीं। ये दो कंपनियां SHICL और SIRECL ही थीं।

 

कौन हैं सुब्रत रॉय :

बिहार के अररिया जिले के रहने वाले सुब्रत रॉय ने अपना कारोबार 1978 में 2,000 रुपये की रकम लगाकर यूपी के गोरखपुर से शुरू किया था. उन्होंने लोगों से पैसा जमा करने की एक स्कीम से शुरुआत की. इस पर 1979-80 में पाबंदी लग गई और तुरंत पैसा वापस करना पड़ा. फिर उन्होंने हाउसिंग फाइनेंस कंपनी शुरू की, जिसके लिए बाजार से पैसा उगाहने की कोई सीमा नहीं थी. उनका यह काम चल निकला. बढ़ते-बढ़ते सहारा देश की टॉप की कंपनियों में शामिल हो गई. एक समय सहारा की कंपनियों में इंडियन रेलवे के बाद सबसे ज्यादा कर्मचारी काम करते थे.

 

2013 में टाइम मैगजीन ने सहारा को भारतीय रेलवे के बाद दूसरी सबसे ज्यादा नौकरी देने वाली संस्था बताया था. इंडिया टुडे ने उनका नाम देश के 10 सबसे ताकतवर लोगों में शामिल किया था.


OFCD के जरिए निवेशकों से जुटाए 24,000 करोड़ :

 

इसी दौरान 25 दिसंबर 2009 और 4 जनवरी 2010 को सेबी को दो शिकायतें मिलीं। इनमें कहा गया कि सहारा की कंपनियां वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर (OFCDs) जारी कर रही है और गलत तरीके से धन जुटा रही है। इन शिकायतों से सेबी की शंका सही साबित हुई। इसके बाद सेबी ने इन दोनों कंपनियों की जांच शुरू कर दी। सेबी ने पाया कि SIRECL और SHICL ने ओएफसीडी के जरिए दो से ढ़ाई करोड़ निवेशकों से करीब 24,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। सेबी ने सहारा की इन दोनों कंपनियों को पैसा जुटाना बंद करने का आदेश दिया और कहा कि वह निवेशकों को 15 फीसदी ब्याज के साथ उनका पैसा लौटाए।

( सुब्रत रॉय समेत 14 लोगों को गिरफ्तार करने लखनऊ पहुंची एमपी पुलिस, धोखाधड़ी का है मामला)


फिर शुरू हुआ अदालती कार्रवाई का दौर..

इसके बाद अदालती कार्रवाई का दौर शुरू हो गया। मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट से होता हुआ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। ऐसे भी संभावना जताई गई कि सहारा ग्रुप द्वारा काले धन को छिपाने के लिए बड़े स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग की गई। सुप्रीम कोर्ट ने जब फंड के सोर्स के बार में सबूत मांगे, तो समूह कोर्ट को संतुष्ट करने में विफल रहा।

तीन महीने में 15% ब्याज के साथ पैसा लौटाने का आदेश :

अगस्त 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों कंपनियों को सेबी के साथ निवेशकों का पैसा तीन महीने के अंदर 15 फीसद ब्याज के साथ चुकाने का आदेश दिया। साथ ही सेबी को सभी ओएफसीडी धारकों की डिटेल प्रदान करने को भी कहा गया। इसके बाद सहारा 127 ट्रक लेकर सेबी के ऑफिस पहुंचा, जिसमें निवेशकों की डिटेल्स थीं। लेकिन इन फाइल्स में निवेशकों की पूरी जानकारी नहीं थी। इससे मनी लॉन्ड्रिंग का शक बना रहा। सहारा सेबी को तीन महीने में 15 फीसद ब्याज के साथ पैसा जमा कराने में नाकाम रहा।

Sahara Scam : अगस्त 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने SIRECL और SHICL को सेबी के साथ निवेशकों का पैसा तीन महीने के अंदर 15 फीसद ब्याज के साथ चुकाने का आदेश दिया था. साथ ही सेबी को सभी ओएफसीडी धारकों की डिटेल प्रदान करने को भी कहा गया.

 

❍ हाइलाइट्स :
● सहारा ग्रुप की SIRECL और SHICL कंपनी से जुड़ा है सारा स्कैम.
● भारी रिटर्न का लालच देकर OFCDs के जरिए जुटाया गया था निवेशकों से पैसा.
● सहारा ने अब तक सेबी को जमा कराए सिर्फ 15,503.69 करोड़.
● सेबी ने सहारा के निवेशकों को अब तक लौटाए हैं केवल 138.07 करोड़.(Sahara Scam : The hoax of the Sahara group! Know what is Sahara Group scam and why investors are not getting money?)